मन की टूटी आस
लिखूं मैं,
अंतस का विश्वास लिखूं मैं,
फूलों का खिलने से लेकर
मिटने का इतिहास लिखूं मैं।
अंतस का विश्वास लिखूं मैं,
फूलों का खिलने से लेकर
मिटने का इतिहास लिखूं मैं।
रोटी को रोते बच्चों का,
तन के जीर्ण शीर्ण वस्त्रों का,
चौराहे बिकते यौवन का
या सपनों का ह्रास लिखूं मैं,
किस किस का इतिहास लिखूं मैं।
चौराहे बिकते यौवन का
या सपनों का ह्रास लिखूं मैं,
किस किस का इतिहास लिखूं मैं।
रिश्तों का अवसान
है देखा,
बिखरा हुआ मकान है देखा,
वृद्धाश्रम कोनों से उठती
क्या ठंडी निश्वास लिखूं मैं,
क्या जीवन इतिहास लिखूं मैं।
बिखरा हुआ मकान है देखा,
वृद्धाश्रम कोनों से उठती
क्या ठंडी निश्वास लिखूं मैं,
क्या जीवन इतिहास लिखूं मैं।
आश्वासन होते न पूरे,
वादे रहते सदा अधूरे,
धवल वसन के पीछे काले
कर्मों का इतिहास लिखूं मैं,
टूटा किसका विश्वास लिखूं मैं।
वादे रहते सदा अधूरे,
धवल वसन के पीछे काले
कर्मों का इतिहास लिखूं मैं,
टूटा किसका विश्वास लिखूं मैं।
टूट गए जब स्वप्न
किसी के
मेहंदी रंग हुए जब फ़ीके,
पलकों पर ठहरे अश्क़ों की
न गिरने की आस लिखूं मैं,
किस किस का अहसास लिखूं मैं।
मेहंदी रंग हुए जब फ़ीके,
पलकों पर ठहरे अश्क़ों की
न गिरने की आस लिखूं मैं,
किस किस का अहसास लिखूं मैं।
जीवन में अँधियारा गहरा
मौन गया आँगन में ठहरा,
कैसे अपने सूने मन की
फिर खुशियों की आस लिखूं मैं,
कैसे अपना इतिहास लिखूं मैं।
कैसे अपने सूने मन की
फिर खुशियों की आस लिखूं मैं,
कैसे अपना इतिहास लिखूं मैं।
...©कैलाश शर्मा
वाह ! बहुत ही उत्कृष्ट एवं मर्मस्पर्शी रचना ! अति सुन्दर !
ReplyDeleteवाह ! एक -एक पंक्ति लाजवाब।बेहतरीन कविता सर।
ReplyDeleteवाह ! एक -एक पंक्ति लाजवाब।बेहतरीन कविता सर।
ReplyDeleteकमाल की रचना।, हृदयस्पर्शी भाव
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव सुंदर रचना ।
ReplyDeleteकैलाश जी इस कविता ने जर्जर होते मानवीय रिश्तों और उसके परिणामस्वरूप उभरे एक नए सामाजिक परिवेश का बहुत मार्मिक, तार्किक और सुन्दर छन्दबद्ध वर्णन किया है।
ReplyDeleteउत्कृष्ट भावाभिव्यक्ति, सुन्दर संयोजन।
ReplyDeleteसरल नहीं जिंदगी की अकथ कहानी लिखना, सुनाना, सुनना .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .....
वाह … आभार आपका !
ReplyDeleteरोटी को रोते बच्चों का,
तन के जीर्ण शीर्ण वस्त्रों का,
चौराहे बिकते यौवन का
या सपनों का ह्रास लिखूं मैं,
किस किस का इतिहास लिखूं मैं
Bhavmay karti shabd rachna.....
ReplyDeleteSadar
बेहतरीन भाव भीनी रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteफिर खुशियों की आस लिखूं मैं,
ReplyDeleteकैसे अपना इतिहास लिखूं मैं।
---------------------------------- भाव का सुंदर प्रवाह .
बहुत बहुत बढ़िया शब्द ताल और खूबसूरत शब्दों के साथ खूबसूरत अहसास !
ReplyDeleteबेहतरीन भाव और रचना
ReplyDeleteरिश्तों का अवसान है देखा,
ReplyDeleteबिखरा हुआ मकान है देखा,
वृद्धाश्रम कोनों से उठती
क्या ठंडी निश्वास लिखूं मैं,
क्या जीवन इतिहास लिखूं मैं।
आश्वासन होते न पूरे,
वादे रहते सदा अधूरे,
धवल वसन के पीछे काले
कर्मों का इतिहास लिखूं मैं,
टूटा किसका विश्वास लिखूं मैं।
विचारों को रवानगी देती सार्थक प्रस्तुति !!
बहुत अच्छी और भावों को स्पष्ट करती प्रवाहमयी रचना...
ReplyDeleteसाझा करने हेतु आभार...
बहुत गहरे और बेहद सुंदर भाव ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत ही गहरे भावों से सजी हुई रचना। दिल को छू गई। अच्छे लेखन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई और आभार।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब। सुंदर और गहन भावाभिव्यक्ति
ReplyDeletebehad bhavpurn,sundar rachna.
ReplyDeleteमर्म को स्पर्श करती, टीस को सहलाती-सी प्रभावी रचना ।
ReplyDeleteगहन भाव ... मन को छूते हुए छंद ...
ReplyDeleteअति गहन ।
ReplyDeleteबेहद मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteGood work Kailash Sharma G
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