Tuesday, January 31, 2017

क्षणिकाएं

जीवन की सांझ
एक नयी सोच
एक नया दृष्टिकोण,
एक नया ठहराव
सागर की लहरों का,
एक प्रयास समझने का
जीवन को जीवन की नज़र से।
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होता है कभी आभास
किसी के साथ होने का
घर के सूनेपन में,
दिखाता है कितने खेल
यह सूनापन
बहलाने को एकाकी मन।
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ज़िंदगी
एक अधूरी नज़्म,
तलाश कुछ शब्दों की
जो छूट गए पीछे
किसी मोड़ पर।

...©कैलाश शर्मा