Tuesday, January 31, 2017

क्षणिकाएं

जीवन की सांझ
एक नयी सोच
एक नया दृष्टिकोण,
एक नया ठहराव
सागर की लहरों का,
एक प्रयास समझने का
जीवन को जीवन की नज़र से।
*****

होता है कभी आभास
किसी के साथ होने का
घर के सूनेपन में,
दिखाता है कितने खेल
यह सूनापन
बहलाने को एकाकी मन।
*****


ज़िंदगी
एक अधूरी नज़्म,
तलाश कुछ शब्दों की
जो छूट गए पीछे
किसी मोड़ पर।

...©कैलाश शर्मा 

19 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 01 फरवरी 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जिंदगी जाने कितने ही रंगों और मोड़ों से गुजरती है, जिसे कोई नहीं जानता
    बहुत सुन्दर

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  3. बहुत ख़ूब है हर शब्द ... ज़िंदगी की हर नज़्म भी तो पूरी करनी है इन शब्दों में ...

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  4. बहुत ही अच्छा article है। ......... very nice ......... Thanks for sharing this article!! :)

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  5. सहीं कहाँ आपने एक उर्म के बाद मानव जीवन को हर उस कोण से समझने का प्रयास करता हैं। जो बह वहाँ नहीं कर पाया , जहाँ वो कल खड़ा था । बचपन में लोग हमें समझाते हैं। जवानी में हम उन चिजों का पऱिक्षण करते हैं। और बुड़ापें में बच्चों को समझाते हैं।
    सुन्दर शब्द रचना

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  6. ज़िदगी एक अधूरी नज़्म ------
    वाह ! बहुत सुंदर आदरणीय ! बहुत सुंदर।

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  7. होता है कभी आभास
    किसी के साथ होने का
    घर के सूनेपन में,
    दिखाता है कितने खेल
    यह सूनापन
    बहलाने को एकाकी मन।
    बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय शर्मा जी !!

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  8. एकाकी मन अक्सर यादों की भीड़ से घिर ही जाता है ।
    भावसिक्त क्षणिकाएं ।

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  9. भावपूर्ण रचना..

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  10. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है .............. http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/02/5.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  11. जीवन की सांझ तक चलते -चलते काफी उतार-चढावों के
    अनुभव से जीवन के बारे में दृष्टिकोण अनुभवी एवं नया होना लाजमी है इसकी बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति की है आपने।
    वाह!!!बहुत सुन्दर........

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  12. हर क्षणिका कम से कम शब्दों में सघन भावों से भरी है. हृदयस्पर्शी क्षणिकाएं. बधाई!

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