जग में जब सुनिश्चित
केवल जन्म और मृत्यु
क्यों कर देते विस्मृत
आदि और अंत को,
हो जाते लिप्त
केवल जन्म और मृत्यु
क्यों कर देते विस्मृत
आदि और अंत को,
हो जाते लिप्त
अंतराल में
केवल उन कृत्यों में
जो देते क्षणिक सुख
और भूल जाते उद्देश्य
इस जग में आने का।
केवल उन कृत्यों में
जो देते क्षणिक सुख
और भूल जाते उद्देश्य
इस जग में आने का।
बहुत है अंतर ज़िंदगी गुज़ारने
और ज़िंदगी जीने में,
और ज़िंदगी जीने में,
कभी जी कर भी वर्षों तक,
कभी जी लेते भरपूर ज़िंदगी
केवल एक पल में।
...©कैलाश शर्मा
सत्य है।
ReplyDeleteसच कहती बहुत सुंदररचना
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-03-2017) को "कविता का आथार" (चर्चा अंक-2919) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार...
DeleteAtyantt Sundar tarkee se satya kaha hai.....
ReplyDeleteआत्मबोध को अभिव्यक्त करती विचारणीय रचना।
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर संरचना हैं
ReplyDeleteसच कहा है ... ये अंतर-बोध की बात है ...
ReplyDeleteपल भर में जीवन जिया जाता है ... सुन्दर रचना है ...
बहुत उम्दा
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/03/62.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteरह जाती अनज़ान ज़िंदगी
ReplyDeleteकभी जी कर भी वर्षों तक,
कभी जी लेते भरपूर ज़िंदगी
केवल एक पल में।-
आदरणीय सर बहुत ही लजवाब बात लिखी आपने | बहुत सुंदर भावों से सजी रचना | सादर ----------
बहुत सुंदर बात, सीधे और सरल शब्दों में..जीवन जीने का अंदाज जिसे आ गया वही तृप्त हो गया
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत लाइन्स प्रस्तुत की.
ReplyDeleteवाआआह लाजवाब
ReplyDeleteबहुत है अंतर ज़िंदगी गुज़ारने
ReplyDeleteऔर ज़िंदगी जीने में
क्या बात कह दी सर ! बहुत सही और सटीक !! कभी -कभी कहते भी हैं कि जिंदगी भले छोटी हो लेकिन शानदार हो !!
Happy Valentines Gift Ideas Online
ReplyDeleteOrder Gifts Online Delivery in India
ReplyDelete