ढलका नयनों से
नहीं बढ़ी
कोई उंगली
थामने पोरों पर,
गिरा सूखी रेत में
खो दिया अपना अस्तित्व,
शायद यही नसीब था
मेरे अश्क़ों का।
थामने पोरों पर,
गिरा सूखी रेत में
खो दिया अपना अस्तित्व,
शायद यही नसीब था
मेरे अश्क़ों का।
*****
आज लगा कितना अपना सा
सितारों की भीड़ में तनहा चाँद
सदियों से झेलता दर्द
प्रति दिन घटते बढ़ने का,
जब भी बढ़ता वैभव
देती चाँदनी भी साथ
लेकिन होने पर अलोप
अस्तित्व प्रकाश का
कोई भी न होता साथ.
सितारों की भीड़ में तनहा चाँद
सदियों से झेलता दर्द
प्रति दिन घटते बढ़ने का,
जब भी बढ़ता वैभव
देती चाँदनी भी साथ
लेकिन होने पर अलोप
अस्तित्व प्रकाश का
कोई भी न होता साथ.
****
काटते रहे अहसास
फसल शब्दों की,
और कुचल गए शब्द
मौन के पैरों तले।
फसल शब्दों की,
और कुचल गए शब्द
मौन के पैरों तले।
...©कैलाश शर्मा
काटते रहे अहसास
ReplyDeleteफसल शब्दों की,
और कुचल गए शब्द
मौन के पैरों तले।
बहुत ही अनुपम भावों से सजी विरह रचना |
गिरा सूखी रेत में
खो दिया अपना अस्तित्व,
शायद यही नसीब था
मेरे अश्क़ों का।-- हर एक शब्द मर्म स्पर्शी है \ सादर आभार आदरणीय इस रूहानी आनंद देने वाली रचना के लिए |
वाह बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteभाव पूर्ण. सुसज्जित.
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-12-2017) को "सब कुछ अभी ही लिख देगा क्या" (चर्चा अंक-2819) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार...
Deleteबहुत ख़ूब ... शब्द कुचले ही जाते हैं ...
ReplyDeleteतीनों क्षणिकाएँ लाजवाब हैं ... बहुत ही अर्थपूर्ण ...
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब!!!
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/12/48.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब क्षणिकाएं....
ReplyDeleteवाह!!!!
बहुत सुंदर सारगर्भित क्षणिकाएं..
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह ! बेहतरीन प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीय ।
ReplyDeleteआदरणीय आपकी रचनायें पढ़ी मन भाव -विभोर हो गया बहुत सुन्दर ! आभार ''एकलव्य"
ReplyDeleteसुंदर क्षणिकाएं. बहुत खूब शास्त्री जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteकाटते रहे अहसास
ReplyDeleteफसल शब्दों की,
और कुचल गए शब्द
मौन के पैरों तले।
बरबस ही वाह वाह निकल पड़ता है..
बहुत सुन्दर/
उत्कृष्ट व प्रशंसनीय प्रस्तुति........
ReplyDeleteनववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
काटते रहे अहसास
ReplyDeleteफसल शब्दों की,
और कुचल गए शब्द
मौन के पैरों तले।
क्षणिकाएं कुछ ही शब्दों में एक पूरा चित्र खींच देती हैं और उस पैमाने पर पूरी तरह सटीक बनती हैं आपकी हर एक क्षणिका !! सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय शर्मा जी
आपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteनिमंत्रण पत्र :
ReplyDeleteमंज़िलें और भी हैं ,
आवश्यकता है केवल कारवां बनाने की। मेरा मक़सद है आपको हिंदी ब्लॉग जगत के उन रचनाकारों से परिचित करवाना जिनसे आप सभी अपरिचित अथवा उनकी रचनाओं तक आप सभी की पहुँच नहीं।
ये मेरा प्रयास निरंतर ज़ारी रहेगा ! इसी पावन उद्देश्य के साथ लोकतंत्र संवाद मंच आप सभी गणमान्य पाठकों व रचनाकारों का हृदय से स्वागत करता है नये -पुराने रचनाकारों का संगम 'विशेषांक' में सोमवार १५ जनवरी २०१८ को आप सभी सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद !"एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
निमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय माड़भूषि रंगराज अयंगर जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत ही अनुपम भावों से सजी विरह रचना |
ReplyDeleteगिरा सूखी रेत में
खो दिया अपना अस्तित्व,
शायद यही नसीब था
मेरे अश्क़ों का।
..... हर एक शब्द मर्म स्पर्शी है
वाह सु़दर
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