Sunday, January 16, 2011
मुक्तक
(१)
पीर से प्यार इतना है कि उधार लेता हूँ,
एक बूँद आंसू को, खुशियाँ हज़ार देता हूँ.
मेरी खुशियाँ भी कितनी अजीब हैं देखो,
ज़िन्दगी बेचकर, म्रत्यु खरीद लेता हूँ.
(२)
नदी क्या है ? सिर्फ एक प्रवाह है,
अश्कों को सुखाने को उठती हर आह है.
कौन कहता है कि नर श्रेष्ठ कृति ब्रह्मा की,
आदमी क्या है? विधना का एक गुनाह है.
(३)
यूँ तो हर रात के दामन में सितारे होते,
डूबने वाले को तिनके भी सहारे होते,
पूछो मत दर्द के दरिया में बहुत डूबा हूँ,
आज यह दर्द न होता,गर वे हमारे होते.
(४)
दिल जो जलता है किसी का तो सुबह होती है,
दर्द सीने में छुपा कर के सुबह रोती है,
कोई पोंछेगा हथेली से ये रक्तिम आंसू,
आस इतनी सी में आँचल को भिगो लेती है.
(५)
अश्रु क्या है ? दर्द की मुस्कान है,
पीर क्या है ? प्यार का प्रतिदान है.
जी रहे हैं सब, जीने का अर्थ जाने बिना,
ज़िन्दगी क्या है ? म्रत्यु का अहसान है.
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कौन कहता है कि नर श्रेष्ठ कृति ब्रह्मा की,
ReplyDeleteआदमी क्या है? विधना का एक गुनाह है।
वाह, शर्मा जी,
क्या जबर्दस्त बात कही है आपने।
सच, आदमी विधना का एक गुनाह ही तो लगता है।
सभी मुक्तक लाजवाब हैं।
गज़ब के मुक्तक्।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (17/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
किस किस की तारीफ करू सर जी। सारे एक से बढ़कर एक है। उत्तम रचना। आभार।
ReplyDeleteपाँचों मुक्तक बहुत सुन्दर हैं!
ReplyDeleteबहुत सन्दर मुक्तक
ReplyDeleteबेहतरीन
एक से बढ़कर एक मुक्तक, बधाई।
ReplyDeleteयूँ तो हर रात के दामन में सितारे होते,
ReplyDeleteडूबने वाले को तिनके भी सहारे होते,
पूछो मत दर्द के दरिया में बहुत डूबा हूँ,
आज यह दर्द न होता,गर वे हमारे होते.
सब के सब मुक्तक जीवन के बहुत करीब ....बहुत सुंदर भाव सम्प्रेषण ......शुक्रिया
उम्दा!! ... पांचों मुक्तक बेहतरीन लिखे हैं ... शुभकामाएं
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteबहुत ही गहरे एहसास है हर मुक्तक में ...... सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteaadarniy sir
ReplyDeletepahli bar blog par itni behtreen muktak padhne ko mili.
vaise to har panktiyan kamal ki hain par---
अश्रु क्या है ? दर्द की मुस्कान है,
पीर क्या है ? प्यार का प्रतिदान है.
जी रहे हैं सब, जीने का अर्थ जाने बिना,
ज़िन्दगी क्या है ? म्रत्यु का अहसान है.
in panktiyon me saare muktko ka nichod hai .bahut hi badhiya,hardik naman
poonam
दिल से निकली आवाज़ लगते हैं सारे मुक्तक. भाषा पर पकड़ गहरी है जीवन का फलसफा निखर कर आया है सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक मुक्तक| आभार।
ReplyDeleteजिंदगी के कई शेड्स इन मुक्तकों में सरस काव्यभाषा में संभव हुए हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मुक्तक हैं ...
ReplyDeleteअश्रु क्या है ? दर्द की मुस्कान है,
पीर क्या है ? प्यार का प्रतिदान है.
जी रहे हैं सब, जीने का अर्थ जाने बिना,
ज़िन्दगी क्या है ? म्रत्यु का अहसान है.
सटीक ..
har pangti ek se badhker ek.
ReplyDeleteहर मुक्तक में ...... सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसारे के सारे अपने आप में अभिव्यक्ति के नगीने हैं। आनन्ददायक।
ReplyDeleteदिल जो जलता है किसी का तो सुबह होती है... bahot khoobsurat!
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है |एक एक मुक्तक बहुत सुन्दर बन पड़ा है |बधाई
ReplyDeleteआशा
सभी मुक्तक अपने आप को समर्थ सिद्ध कर रहे हैं |
ReplyDeleteपांचवां मुक्तक कुछ ज्यादा ही प्रिय लगा |
सभी एक से बढकर एक लगे ,आपको बधाई ।
ReplyDeleteSare muktak jiwan darshan ko paribhashit karte hain .
ReplyDeleteSundar aur arthpurn hain.
हर एक मुक्तक दिल को छूता हुया। और आखिरी मुक्तक तो लाजवाब रहा। बधाई सुन्दर लेखन के लिये।
ReplyDeleteमेरी खुशियाँ कितनी अजीब हैं----- वाह सच मे किसी को खुशी दे कर खुशी तो मिलती है मगर खुद को उसके लिये भी बहुत मुश्किलों का सामना करना पडता है
अश्रू क्या हैं दर्द की मुस्कान हैं ----- पूरा मुकत बहुत अच्छा लगा। शुभकामनायें।
दर्द की स्याही से उकेरे दिल के जज्बात !
ReplyDeleteकैलाशजी, हर मुक्तक में जिंदगी के रूपों का सटीक चित्रण .. बहुत ही सुंदर शब्दों व भावों से सजी बेहतरीन, अनूठी, अप्रतिम रचना
ReplyDeleteयूँ तो हर रात के दामन में सितारे होते,
ReplyDeleteडूबने वाले को तिनके भी सहारे होते,
पूछो मत दर्द के दरिया में बहुत डूबा हूँ,
आज यह दर्द न होता,गर वे हमारे होते...
BAHUT KHOOB ... मज़ा आ गया IS MUKTAK KO PADH KAR ....
वाह... बहुत ही भावपूर्ण रचना है... तीन-चार बार पढी तब जाकर कुछ कमेन्ट करने के शब्द आए...
ReplyDelete.
ReplyDeleteजी रहे हैं सब, जीने का अर्थ जाने बिना,
ज़िन्दगी क्या है ? म्रत्यु का अहसान है....
Mind blowing creation !
.
मेरे दिल की बातें हैं , मगर कह आप रहे हो. कमाल की कलम आपकी. शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteप्रणाम,
ReplyDeleteहर मुक्तक बेहद उम्दा. विचारणीय रचनाएं. वाह!
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सागर by AMIT K SAGAR
कहीं-कहीं अथाह और इतनी गहराई कि जीवन के सार मे डूब जाएँ और पता भी न लगे कि बाहर किधर और कहाँ से जाएँ!
ReplyDeleteअश्रु क्या है ? दर्द की मुस्कान है,
ReplyDeleteपीर क्या है ? प्यार का प्रतिदान है.
जी रहे हैं सब, जीने का अर्थ जाने बिना,
ज़िन्दगी क्या है ? म्रत्यु का अहसान है.
इन पंक्तियों के गहरे भाव ...बहुत ही सुन्दर एवं विचारणीय शब्द ।
bouth he aacha blog hai aapka...... good going
ReplyDeleteMusic Bol
Lyrics Mantra