चाहे हो बेटी, पत्नी या माँ
क्यों आते औरत के ही हिस्से
सभी व्रत और त्याग
कभी बेटे और कभी पति के लिए
अहोई अष्टमी या करवा चौथ।
क्यूँ नहीं होता कोई व्रत या त्यौहार
पुरुषों के लिए भी
माँ या पत्नी की मंगलकामना को,
मदर्स या वेलंटाइन डे
बन कर रह गये केवल औपचारिकता,
कब तक होता रहेगा शोषण नारी का
त्याग विश्वास और प्रेम के नाम पर,
कब बन पायेगी सच में अर्धांगनी
और देंगे हम उसको
उसका उचित स्थान समाज में।
इंतज़ार है उस दिन का
जब मनायेंगे पुरुष त्यौहार
माँ या पत्नी की मंगलकामना को।
....कैलाश शर्मा
क्यों आते औरत के ही हिस्से
सभी व्रत और त्याग
कभी बेटे और कभी पति के लिए
अहोई अष्टमी या करवा चौथ।
क्यूँ नहीं होता कोई व्रत या त्यौहार
पुरुषों के लिए भी
माँ या पत्नी की मंगलकामना को,
मदर्स या वेलंटाइन डे
बन कर रह गये केवल औपचारिकता,
कब तक होता रहेगा शोषण नारी का
त्याग विश्वास और प्रेम के नाम पर,
कब बन पायेगी सच में अर्धांगनी
और देंगे हम उसको
उसका उचित स्थान समाज में।
इंतज़ार है उस दिन का
जब मनायेंगे पुरुष त्यौहार
माँ या पत्नी की मंगलकामना को।
....कैलाश शर्मा
नारी की सहनशक्ति
ReplyDeleteकितनी अधिक है पुरुष से
ये बात बहुत अच्छी तरह
समझ में आ जाती है
व्रत रख भी लेगा
पुरुष उसके लिये
पर क्या करे
उसे तो सुबह सुबह ही
भूख लग जाती है !!!
:) :) :)
ऐसे दिन के इंतज़ार के लिए
ReplyDeleteमंगलकामनाएं
नारी नमन
ReplyDeleteवह सुबह कभी तो आएगी
उच्च स्थान की
सटीक सार्थक रचना ,,,!
ReplyDeleteRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
आभार...
ReplyDeletesatik prastuti
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ,सटीक प्रश्न कविता के माध्यम से |समाज के रीतिरिवाज के सृजकों के लिए लालकार है |
ReplyDeleteनई पोस्ट मैं
वाह क्या बात है! समझो बहार आई
ReplyDelete
ReplyDeleteइंतज़ार है उस दिन का
जब मनायेंगे पुरुष त्यौहार
माँ या पत्नी की मंगलकामना को-------
सार्थक संदेश देती सुंदर अनुभूति
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है---
करवा चौथ का चाँद ------
अच्छा कहा है कि जिनके लिए व्रत हो रहे हैं वो भी तो कभी करें उनके लिए।
ReplyDeleteक्यूँ नहीं होता कोई व्रत या त्यौहार
ReplyDeleteपुरुषों के लिए भी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
sundar vichar ... aasha par hi duniya kayam hai :)
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteइसके लिए बदलना होगा विधान जो पुरुष तंत्र ने रचा है ... अपने स्वार्थ के लिए ...
ReplyDeleteगहरे भाव लिए ...
mere blog par aap sabhi ka swagat hai
ReplyDeletehttp://iwillrocknow.blogspot.in/
बहुत खूब |
ReplyDeleteसुंदर प्रश्न उठाया हैं आपने
मुझे लगता है... भारतीय नारी परोपकार का दूसरा रूप है .. दीपावली की सुभकामनाएँ ..मेरे भी ब्लॉग पर आयें
ReplyDeleteसारे प्रेम का प्रवाह एकमार्गी ही क्यों रहे।
ReplyDeleteअति सुन्दर भाव ..
ReplyDeleteआज कल के कुछ पति भी रखने लगे हैं व्रत .... ये सब व्रत त्योहार मन की आस्था से जुड़ा होना चाहिए न किकिसी दबाव से ।
ReplyDeleteजिस दिन हर पुरुष के मन में ऐसी सद्भावना जाग्रत होगी …. सार्थक संदेश...सादर
ReplyDeleteसटीक और सार्थक रचना कैलाश जी आभार।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे विचार ... जरुरी नहीं की भूखे रहें .....प्यार और ईज्जत दे.....
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