सिरहाने खड़े ख्वाब
करते रहे इंतज़ार
आँखों में नींद का,
पर न विस्मृत हुईं यादें
और न थमे आंसू,
इंतज़ार में थके ख़्वाब
बह गये अश्क़ों के साथ
छोड़ नयन तन्हा.
*****
सूखने
लगीं पंखुडियां
बिखरने
लगे अहसास
थक
गए पाँव,
तरसती
है हथेली
पाने
को एक छुवन
तुम्हारे
हाथों की,
चुभने
लगा है गुलाब
हथेली
में काँटों की तरह
एक
तेरे इंतजार में.
*****
बहुत कोशिश की अंतस
ने
ढूँढने को सुकून
अपने अन्दर हर कोने
में,
पर पसरा पाया
एक गहन सूनापन
अंधी गली की तरह.
जब न हो कोई चाह
या मंज़िल का उत्साह,
एक एक क़दम लगता भारी,
कितना कठिन होता
चलना सुनसान राहों
पर
अनजान मंजिल की ओर.
.....कैलाश शर्मा
सच है की किसी न किसी चाहत का बना रहना जरूरी होता है ... वर्ना सुनसान राहें जीना मुश्किल कर देती हैं ...
ReplyDeleteबढ़िया क्षणिकाएं-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
वाह सभी बहुत ही सुन्दर |
ReplyDeleteबेहतरीन क्षणिकाएं......
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएं सभी की सभी (नई पोस्ट अश्रु मेरे दृग तेरे ..."
ReplyDeleteबढ़िया क्षणिकाए,आभार ,
ReplyDeleteगहन एहसास पिरोती सुंदर क्षणिकाएं......
ReplyDeleteइंतज़ार में थके ख़्वाब
ReplyDeleteबह गये अश्क़ों के साथ
छोड़ नयन तन्हा..... सुन्दर ... अति सुन्दर !
चुभने लगा है गुलाब
हथेली में काँटों की तरह
एक तेरे इंतजार में..... वियोग की पीड़ा
सभी क्षणिकाएं बेहद प्रभावी!
बेहतरीन क्षणिकाएं..
ReplyDeleteबेहतरीन ,प्रभावी क्षणिकाएं ,,
ReplyDeleteRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
बहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
behad prabhavi kshanikaye ..abhar
ReplyDeletesundar ........satya ko ukerti ....
ReplyDeleteगहन अहसासों की बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति ! सभी क्षणिकाएं अत्यंत कोमल एवँ मर्मस्पर्शी !
ReplyDeleteबेहतरीन क्षणिकाएँ....
ReplyDeleteभावुक हृदय से निकली बेहतरीन क्षणिकाएं
ReplyDeleteइंतज़ार में थके ख़्वाब
ReplyDeleteबह गये अश्क़ों के साथ
छोड़ नयन तन्हा
बहुत सुंदर कविता।
सुन्दर क्षणिकाएं.
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-31/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -37 पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....
आभार...
Deleteएक बार पुन: आप अहसास की गहरी तहों को छूकर आए हैं। लेकिन इस सूनेपन में प्रेम में अडिग होने का अपना अनुभव एक अजीब आनन्द भी तो प्रदान करता है.....। (की और) के स्थान पर (की ओर) कर लें।
ReplyDeleteटाइपिंग की त्रुटि की ओर इंगित करने के लिए आभार...
Deleteलगा रहे मन कहीं क्षितिज में,
ReplyDeleteधरती नभ दोनों सध जायें।
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteगहन अहसासों के आधार लिखी गयी सुन्दर क्षणिकाएं !
ReplyDeleteनई पोस्ट हम-तुम अकेले
सुंदर! बेहतरीन !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteutkist prastuti
ReplyDeletebahut sundar ...
ReplyDeleteदीप पर्व आपको सपरिवार शुभ हो!
ReplyDeleteकल 02/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
आभार...
Deleteबेहतरीन क्षणिकाएँ... कैलाश जी आपकी हर विधा लाजवाब है यू ही लिखते रहे ॥दीपावली की शुभ कामनाएँ
ReplyDeleteवाह...उत्तम लेखन ...दीपावली की शुभकामनाएं.....
ReplyDeletesach kaha apne.......behtareen
ReplyDeleteआपकी अभिव्यक्ति में / अनुभव बोलते हैं !
ReplyDeleteआपको link दे रही hu सर -------- आपकी टिप्पणी / मेरे लिए अमोल है :)
चाँद