हर वक़्त है तुम्हारा,
बहने लगते अनवरत
निभाते हैं साथ
दुखों के पल में,
नहीं जाते दूर
छलक जाते हैं
खुशियों के पल में।
छलके थे आँखों से
देखा ज़ब अचानक
देहरी पर तुमको
और छुप गए
तुम्हारी बाहों में,
बरसे हैं फ़िर से ये
सावन के बादल से
देख तुम्हें जाते
आज उसी देहरी से।
बहने लगते अनवरत
निभाते हैं साथ
दुखों के पल में,
नहीं जाते दूर
छलक जाते हैं
खुशियों के पल में।
छलके थे आँखों से
देखा ज़ब अचानक
देहरी पर तुमको
और छुप गए
तुम्हारी बाहों में,
बरसे हैं फ़िर से ये
सावन के बादल से
देख तुम्हें जाते
आज उसी देहरी से।
जन्म से मृत्यु तक
निरंतर साथ अश्रु का,
आ जाते खुशियों के साथ
निरंतर साथ अश्रु का,
आ जाते खुशियों के साथ
माँ की आँखों में
देख मासूम सूरत
देख मासूम सूरत
पहली बार गोद में
अपने बच्चे की,
बरसे थे आँखों से
छोड़ गया था जब वह
वृद्धाश्रम दरवाज़े पर,
बरसे थे आँखों से
छोड़ गया था जब वह
वृद्धाश्रम दरवाज़े पर,
और शायद लगें बहने
किसी के इंतज़ार में
अंतिम यात्रा के प्रयाण में।
किसी के इंतज़ार में
अंतिम यात्रा के प्रयाण में।
...© कैलाश
शर्मा
मन को छू लेनें वाली कविता।अति सुन्दर शर्मा जी। अति सुन्दर।
ReplyDeleteसही है आदरणीय
ReplyDeleteख़ुशी हो या गम
चाहे कोई भी हो मौसम
इनका साथ कभी नहीं छूटता
सुन्दर। दिल को लगती पंक्तियां।
ReplyDeleteभावपूर्ण अश्रु माला पिरो दी आपने...सादर
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत मार्मिक कविता ! ये पंक्तियाँ तो दिल को छू गई -
ReplyDeleteपहली बार गोद में
अपने बच्चे की,
बरसे थे आँखों से
छोड़ गया था जब वह
वृद्धाश्रम दरवाज़े पर,
और शायद लगें बहने
किसी के इंतज़ार में
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-05-2015) को "धूप छाँव का मेल जिन्दगी" {चर्चा अंक - 1978} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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आभार...
Deleteदिल को विगलित करती अत्यंत मार्मिक रचना ! बहुत सुन्दर
ReplyDeleteदिल छू लिया इन पंक्तयों ने सर
ReplyDeleteसादर नमस्ते भैया ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
निः शब्द ।
ReplyDeleteदिल को छु गए भाव.......एक दर्द उतरती हुई पंक्तियाँ ।
ReplyDeleteआंसुओं की दास्ताँ ..बहुत कोमल अहसास..
ReplyDeleteमन को छूते शब्द .. आंसू हर पल, हर लम्हा निकल आते हैं ... ख़ुशी या गम जो भी हो ...
ReplyDeleteगहरे एहसास ...
बेहतरीन मार्मिक मनों भावों को उजागर करती प्रस्तुति
ReplyDeleteकैलाश जी, बिलकुल सही बात है . एक आंसू ही है जो इन्सान का साथ कभी नहीं छोड़ते! बढ़िया प्रस्तुति .
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ReplyDeleteमाँ की आँखों में
देख मासूम सूरत
पहली बार गोद में
अपने बच्चे की,
बरसे थे आँखों से
छोड़ गया था जब वह
वृद्धाश्रम दरवाज़े पर,
और शायद लगें बहने
किसी के इंतज़ार में
अंतिम यात्रा के प्रयाण में।
दिल की गहराइयों तक पहुँचते शब्द ! आपकी रचना को मिला लोगों का समर्थन भी इसकी उद्घोषणा करता है आदरणीय शर्मा जी !
मर्मस्पर्शी रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआंसू हमारे जीवन यात्रा के सहभागी होते हैं। हमारी खुशियां भी कही न कहीं आंसुओं के पीछे से ही निकल कर आती हैं।
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
मर्मस्पर्शी !!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर, भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी कविता है
ReplyDeleteबहुत कोमल अहसास..
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