मन से मन का संवाद
कुंवारी साँसों का स्पंदन,
विस्तार स्वप्नों का
आँखों से आँखों तक,
अनछुए स्पर्श की
सनसनाहट रग रग में,
अंतस के अहसासों की
एक चमक नज़रों में,
हो गए सब बेमानी
न व्यक्त होने से केवल शब्दों में।
देखता है खड़ा दूर से
बना अनजान हालात से
चहुँ ओर घूमते शब्दों को
नहीं आ पाए जो कभी हाथ में
और आज खो दिया अर्थ
होने या न होने का।
....© कैलाश शर्मा
देखता है खड़ा दूर से
ReplyDeleteबना अनजान हालात से
चहुँ ओर घूमते शब्दों को
नहीं आ पाए जो कभी हाथ में
और आज खो दिया अर्थ
होने या न होने का।
शानदार और प्रभावी शब्द आदरणीय श्री कैलाश शर्मा जी !
सच है बिलकुल ... उचित शब्द और उनकी उचित अभिव्यक्ति शब्दों के व्यक्त होने में ही है ...
ReplyDeleteअगर नहीं तो अपना महत्त्व खो देते हैं ...
मन से मन का संवाद
ReplyDeleteकुंवारी साँसो का स्पंदन
विस्तार स्वप्नों का
आँखों से आँखों तक,
गहरे अहसासों से भरी कविता।अति सुन्दर शर्मा जी।
मन से मन का संवाद
ReplyDeleteकुंवारी साँसो का स्पंदन
विस्तार स्वप्नों का
आँखों से आँखों तक,
गहरे अहसासों से भरी कविता।अति सुन्दर शर्मा जी।
उचित शब्द तलासने ही होंगे अभव्यक्ति के लिए
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteशब्द के बिना अभिव्यक्ति कैसी.
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (05-06-2015) को "भटकते शब्द-ख्वाहिश अपने दिल की" (चर्चा अंक-1997) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आभार..
Deleteशब्द ही एक के अनुभव को दूसरे के सम्म्ाुख प्रकट करते हैं.............गहन भावनाओं से युक्त कविता।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअभिव्यक्ति की गूढ़ता समाहित किये शब्द।
ReplyDeleteBahut sundar.
ReplyDeleteसुदर भाव अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवियोगी होगा पहला - कवि आह से उपजा होगा - गान ।
ReplyDeleteउमड कर ऑखों से चुपचाप बही होगी सरिता अनजान ॥
हर एहसास को शब्द की अभिव्यक्ति चाहिए अन्यथा अहसास का होना न होना बराबर है --सुन्दर अभियक्ति
ReplyDeleteअनुभूति : अपूर्ण मकसद !:
मेरे विचार मेरी अनुभूति: चक्रव्यूह
हो गए सब बेमानी
ReplyDeleteन व्यक्त होने से केवल शब्दों में
वाह जनाब वाह ..बहुत गहरे भाव ...सादर
सुंदर भावाभिव्यक्ति...भावनाओं और विचारों की प्रभावी अभिव्यक्ति के लिए सही शब्द का होना आवश्यक है...
ReplyDeleteसर आपकी अभिव्यक्ति ने
ReplyDeleteमुझे भी कुछ अभिव्यकत करने को प्रेरित किया।
सो कर रहा हूँ :-
मौन संवाद भी हुई,
तो अर्थ तलाश ही लेगी ।
उस कोने में न सही,
तो इस कोने में ही ,
अस्तित्व सहेज ही लेगी ।
हाँ शब्द होते ,
तो दुनियांवी मेले लगते ।
कुछ अपने होते ,
तो कुछ पराये होते ।
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण...
Deleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
सुन्दर कविता
ReplyDeleteशब्दों की भी अपनी सीमा है, शब्द कुछ दूर तक ही साथ चलते हैं..मौन अनंत है
ReplyDeleteबहुत बहुत खूबसूरत सार्थक रचना आदरणीय।
ReplyDeleteबिलकुल सही
उचित शब्द न मिले तो मन की मन में ही रह जाती है
अभिव्यक्त न हो सके उन शब्दों की कसक फिर दिल में कभी उठ ही आती है
सच है जो शब्दों में व्यक्त हो जाये दिखाई देता है सुनाई देता है पढ़ा जा सकता है भावनाएँ मन ऑंखें कुछ ही लोग पढ़ पाते है
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति
सच है जो शब्दों में व्यक्त हो जाये दिखाई देता है सुनाई देता है पढ़ा जा सकता है भावनाएँ मन ऑंखें कुछ ही लोग पढ़ पाते है
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति
बहुत ही उम्दा रचना।
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