इसको तो चलते जाना है.
मंज़िल नहीं कोई भी इसकी,
इसको तो बढ़ते जाना है.
कोई नहीं उम्र का बंधन,
जो मिल जाये प्यार बाँट लो.
कोई नहीं ठांह है अपनी,
जहां रुको उसको अपना लो.
हर राहों को अपना समझो,
जो भी मोड़ मिले अपनालो.
खुशियाँ चलो बांटते पथ में,
गम अपनी झोली में डालो.
बहना सदां नदी का जीवन,
रुकने से दूषित हो जाती.
मोह पाश में मत बंध जाना,
चाहत सदां राह भटकाती.
थक कर मत बैठो बंजारे
चलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
निरंतर संघर्ष करते बढ़ते जाने के लिए प्रेरित करती अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर संदेशमयी रचना....
ReplyDelete100 वीं पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें ...शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ ही एक सशक्त सन्देश भी है इस रचना में।
ReplyDelete100 वी पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई
आपकी लेखनी निरंतर चलती रहे....कैलाश जी
CHATE JANA HI JINDGI KA NAM HAI .100 POST HETU BADHAI .
ReplyDeleteबंजारा चलता गया, सौ पोस्टों के पार ।
ReplyDeleteप्रेम पूर्वक सींच के, देता ख़ुशी अपार ।
देता ख़ुशी अपार, पोस्ट तो ग्राम बन गए ।
पा जीवन का सार, ग्राम सुखधाम बन गए ।
सर मनसर कैलास, बही है गंगा धारा ।
पग पग चलता जाय, साधु सा यह बंजारा ।
दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
dineshkidillagi.blogspot.com
सर मनसर कैलास, बही है गंगा धारा ।
Deleteपग पग चलता जाय, विज्ञ सज्जन बंजारा ।
प्रेरक पंक्तियों के साथ उत्कृष्ट प्रस्तुति ... बधाई सहित शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDelete100 वीं पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई।
सादर
थक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
Behad sundar!
सफलता की शिखर को छुएं ... यही कामनायों के साथ
Deleteकैलाश जी, आपकी ये रचना बहुत प्रेरणा परक लगी ...हर मोड पे जिंदादिली के साथ आगे बढ़ने का सन्देश दे रही है हर पंक्ति में...
ReplyDelete१०० वीं रचना के लिए बधाई...
'बहना सदा नदी का जीवन , रुकने से दूषित हो जाती '......
ReplyDeleteमनुष्य को जीवन में निरंतरता बनाए रखने के लिए एक प्रेरणादायी रचना !
100 वी पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है ....१०० वि पोस्ट के लिए बधाई
ReplyDeleteरचना बहुत अच्छी है!
ReplyDelete100वीं पोस्ट की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteथक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.waah bahut achcha badhai.
"चलते जाओ आगे पथ पर..."
ReplyDeleteप्रेरक रचना... १०० वी पोस्ट के लिए बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं...
१००वी पोस्ट के लिए बहुत२ बधाई,..लेखनी निरंतर इसी तरह चलती रहे,
ReplyDeleteशुभ कामनाए,.....
RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
Congratulations, I wish to see more and more 100s !!!
ReplyDeleteमंज़िल नहीं कोई भी इसकी,
इसको तो बढ़ते जाना है...
It resonates so much with my last post :)
loved it.
सौंवी पोस्ट और इस उम्दा गीत के लिए बधाई और शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteआपको ढेरों बधाईयाँ, बस हमको बढ़ते जाना है।
ReplyDeleteप्रेरक रचना! यायावर पथिक कभी रुककर निसर्ग के सौन्दर्य को आँखों में भरता ही है।
ReplyDelete100th post ke liye badhiyaan kailash jee!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteबहना सदां नदी का जीवन,
रुकने से दूषित हो जाती.
मोह पाश में मत बंध जाना,
चाहत सदां राह भटकाती.
ये पंक्तियाँ सबसे शानदार लगी।....बधाई १०० वीं पोस्ट पर।
थक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
प्रेरणादायी भाव ..... बधाई सौवीं पोस्ट की
बहुत ही सुन्दर रचना, मन प्रसन हो गया
ReplyDeleteयही भरोसा इस सौ पर कई-कई शून्य भी लगाते जाएगा..शुभकामनाएं...
ReplyDeleteथक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
बहुत ही सुंदर संदेशमयी रचना...१००वी पोस्ट के लिए बहुत बधाई,.
post shatak aur sundar rachna prastuti ke liye hardik shubhkamnayen!
ReplyDeleteथक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
बहुत सुंदर शब्द और भाव !
थक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर....सुंदर रचना...१००वी पोस्ट के लिए बहुत बधाई,ऐसे ही लिखते रहिये
बहुत ही उम्दा पोस्ट ,बधाई आप को तथा ,१०० पोस्ट पुरे होने की भी हार्दिक बधाई
ReplyDeleteथक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
जीवन का स्पंदन ,स्फुरण झरने सा आवेग लिए है यह रचना .सकारात्मक ऊर्जा निसृत करती सी जीवन पथ पर .धरती धरती परबत परबत गाता जाए बंजारा लेकर दिल का एक तारा ...तुझको चलना होगा ,चंदा चले चले रे तारा ,गंगा बहे बहे रे धारा ...
सुन्दर रचना के साथ आपने १००वीं पोस्ट को यादगार बना दिया.........
ReplyDeleteढेर सारी शुभकामनाएँ एवं बधाई...
सादर.
थक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
यही भरोसा इक दिन तुमको
उस मंजिल तक ले जायेगा
जिसके आगे राह न होगी
सफर खत्म फिर हो जाएगा.
100 वीं पोस्ट की बधाई.
चलना ही जीवन है ...
ReplyDeleteसौवीं पोस्ट की बहुत बधाई !
थक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर..............सौवीं पोस्ट की बहुत बधाई !
थक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर....
100 वीं पोस्ट की बधाई....
संघुर्ष भरे इस जीवन में ....कई पड़ाव आते हैं ..जब सांसें उखड़ने लगती हैं....शरीर हिम्मत छोड़ देता है....ऐसे में पथ पर बोये फूल ...हमारे चुने हुए रिश्ते ही हमारा संबल बनते हैं .....बहुत सुन्दर पोस्ट......पहली बार आना हुआ ....
ReplyDeletebahut achi hai... :)
ReplyDeleteजीवन के हर रंग जी लो , विधाता ने , वक़्त ने जो दिया है- उसे संजो लो...... जीवन से भरे एहसास
ReplyDeleteबहना सदां नदी का जीवन,
ReplyDeleteरुकने से दूषित हो जाती.
मोह पाश में मत बंध जाना,
चाहत सदां राह भटकाती..............मजा आ गया
बड़ी सरल रचना है भाई जी ! सीधी दिल को छूती है ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
कोई नहीं उम्र का बंधन,
ReplyDeleteजो मिल जाये प्यार बाँट लो.
कोई नहीं ठांह है अपनी,
जहां रुको उसको अपना लो....
१०० वीं पोस्ट में इतना गहरा सन्देश दिया है आपने ... सार्थक हो जायगा जीवन अगर इंसान सभी से प्यार बाँट ले ... उम्दा रचना ओर बधाई १०० रचनाओं की ...
दिल बंजारा ठहर गया क्यों
ReplyDeleteइसको तो चलते जाना है.
मंज़िल नहीं कोई भी इसकी,
इसको तो बढ़ते जाना है.,...............waah bahut khoob sunder geet kailash ji . badhai aapko .
wah.....kya baat hai.
ReplyDeleteबहना सदां नदी का जीवन,
ReplyDeleteरुकने से दूषित हो जाती.
मोह पाश में मत बंध जाना,
चाहत सदां राह भटकाती.
शतकीय पोस्ट की हार्दिक बधाइयां।
आप यूं ही लिखते रहें, अनवरत।
दिल बंजारा ठहर गया क्यों
ReplyDeleteइसको तो चलते जाना है.
मंज़िल नहीं कोई भी इसकी,
इसको तो बढ़ते जाना है.
शतकीय पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई ....इसको तो बढ़ते जाना है.....
आपको ये मैं बड़े हर्ष के साथ सूचित कर रही हूँ की आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३५) में शामिल की गई है आप आइये और अपने अनुपम विचारों से हमें अवगत करिए /आपका सहयोग हमेशा इस मंच को मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है
ReplyDeletehttp://hbfint.blogspot.in/2012/03/35-love-improves-immunity.html
bahut sundar aur prerasprad likha hai aapne
ReplyDeleteऐसे ही आप लिखते रहें,चलते रहें,
ReplyDeleteहम मसलसल आपसे रूबरू मिलते रहें !
अफसोस,कि इस कविता में बहुत से विरोधाभास हैं।
ReplyDeleteथक कर मत बैठो बंजारे
ReplyDeleteचलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
प्रेरित करनेवाली पंक्तियाँ । आपने पोस्ट की जो शतक लगाई है उसके सौ शतक पूरे हों । मेरी शुभकामनाएँ।
100 वीं पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें ...
ReplyDeleteथक कर मत बैठो बंजारे
चलते जाओ आगे पथ पर.
फूल मिलें या कांटे पथ में
रखो भरोसा अपने पग पर.
कर्तव्यों के प्रति सचेत करती पंक्तियाँ......
रुक जाना नहीं ..कहीं तू हार कर
ReplyDeleteचलते जाना ही जीवन हैं ...