ज़िंदगी कुछ ख़फ़ा सी लगती है,
रोज़ देती
सजा सी लगती है।
रौनकें सुबह की हैं कुछ फीकी,
शाम भी
बेमज़ा सी लगती है।
राह जिस पर चले थे हम अब तक,
आज वह
बेवफ़ा सी लगती है।
संदली उस बदन की खुशबू भी,
आज मुझको
कज़ा सी लगती है।
दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
यार तेरी
रज़ा सी लगती है।
...© कैलाश शर्मा
राह जिस पर चले थे हम अब तक
ReplyDeleteआज वह बेवफ़ा सी लगती है।
वाह ! वाह ! क्या कहने हैं ! लाजवाब आदरणीय-----बहुत खूब।
"दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
ReplyDeleteयार तेरी रज़ा सी लगती है"
वाह वाह
वाह बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteBeautiful lines Sir!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबेहद सुंदर ।
ReplyDeleteजिंदगी जब सजा देने लगे तब ही तो जिंदगी देने वाले की याद आती है
ReplyDeleteसंदली उस बदन की खुशबू भी,
ReplyDeleteआज मुझको कज़ा सी लगती है ...
बहुत खूब ... दिल में उतर जाता है ये शेर ... संदली का प्रयोग बहुत लाजवाब लगा ...
दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
ReplyDeleteयार तेरी रज़ा सी लगती है।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , कैलाशजी
आभार...
ReplyDeleteबहुत ख़ूब। वाह।
ReplyDeleteदर्द जो भी मिला है दुनिया में,
ReplyDeleteयार तेरी रज़ा सी लगती है।
सब उसकी ही रजा है, दर्द हो या मरहम। बहुत सुंदर गज़ल कैलाश जी।
जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 10/06/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
आभार...
Deleteदर्द जो भी मिला है दुनिया में,
ReplyDeleteयार तेरी रज़ा सी लगती है....बहुत सुन्दर
दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
ReplyDeleteयार तेरी रज़ा सी लगती है।
..बहुत सुन्दर
दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
ReplyDeleteयार तेरी रज़ा सी लगती है।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति , कैलाशजी
दर्द जो भी मिला है दुनिया में,
ReplyDeleteयार तेरी रज़ा सी लगती है।
बहुत खूब , मंगलकामनाएं आपको.....
''जिंदगी कुछ खफा सी लगती हैै,रोज देती सजा सी लगती है'' बेहद मार्मिक भावों और सुंदर शब्दों से सजी हुई ग़जल की प्रस्तुति। बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 16 जून 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeleteदर्द जो भी मिला है दुनिया में,
ReplyDeleteयार तेरी रज़ा सी लगती है।
अनमोल पंक्तियां,
गहरे चिंतन के शांत गह्वर से ही ऐसी रचनाएं प्रस्फुटित होती है ।।
Sir ghazal bahut hi sunder likhi hai, apka email id send kr dy gaa kr sunataa hoo apko,
ReplyDeletekcsharma.sharma@gmail.com
Deleteबहुत ही उम्दा .... Sundar lekh ... Thanks for sharing this nice article!! :) :)
ReplyDeleteSUNDAR PRASTUTI
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