Tuesday, December 20, 2011

कितना खोया कितना पाया

(जन्मदिन पर एक आत्मविश्लेषण)


कितना खोया कितना पाया,
कितना जीवन व्यर्थ गंवाया?
जितने स्वप्न कभी देखे थे,
कितने उनको पूरा कर पाया?


जितनी सीढ़ी चढ़ा था ऊपर,
उतना ही क्यों नीचे पाया.
जिसको समझा था मैं मंजिल,
उसको भूल भुलैया पाया.


आगे बढ़ने की चाहत में,
कितने ख़्वाबों को बिसराया.
मुड़ कर पीछे अब जब देखा,
अपना साया भी हुआ पराया.


जिन रिश्तों को अपना समझा,
वे रिश्ते अनजान बन गये.
छुपा रखा था जिन अश्कों को,
वे आँखों से आज ढल गये.


पछताने का वक़्त नहीं अब,
नहीं स्वप्न कोई अब कल का.
सूनी आँखें ताक रहीं पथ,
इन्तज़ार अब अन्तिम पल का.

कैलाश शर्मा 

50 comments:

  1. देने का नाम ही है रिश्‍ते, पाने की उम्‍मीद ना करो। बहुत ही सशक्‍त रचना है। जन्‍मदिन की ढेरों बधाइयां।

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  2. आदरणीय कैलाश जी
    नमस्कार
    ....जन्‍मदिन की ढेरों बधाइयां।

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  3. जिन रिश्तों को अपना समझा,
    वे रिश्ते अनजान बन गये.
    छुपा रखा था जिन अश्कों को,
    वे आँखों से आज ढल गये.

    ऐसे क्यों हो जाते हैं रिश्ते ... आपकी रचना पढ़ ऐसा लगा की यही तो मेरे मन के भी भाव हैं ... सत्य को कहती अच्छी रचना ...

    जन्मदिन की बधाई और शुभकामनायें

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  4. जिन रिश्तों को अपना समझा,
    वे रिश्ते अनजान बन गये.
    छुपा रखा था जिन अश्कों को,
    वे आँखों से आज ढल गये.
    यथार्थ को बताती हुई सार्थक रचना/.बहुत सुंदर शब्दों में लिखी हुई शानदार प्रस्तुति /बहुत बधाई आपको /

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /
    www,prernaargal.blogspot.com

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  5. जीवन का सत्य यही है क्यों इसे मानकर ही जिया जाये...?
    जन्‍मदिन की ढेरों बधाइयां...

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  6. यही है जीवन का सार ...अद्भुत पंक्तियाँ

    जन्मदिन की शुभकामनाएं स्वीकारें.....

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  7. बेहतरीन लिखे हैं सर!

    जन्मदिन की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ।


    सादर

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  8. जीवन के मूल तत्व का पता बतलाती रचना .......
    जन्मदिन की शुभाकामनाएं !

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  9. बहुत सुन्दर....
    और स्वप्न देखना कभी बंद नहीं करिये....
    ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ, ढेर से सपने और उन्हें पूर्ण करने हेतु दीर्घायु प्रदान करें...
    जन्मदिन शुभ हो.

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  10. क्यों इन्तज़ार करें हम अन्तिम पल का.हर पल एक सुन्दर अहसाह बनेगा..
    जन्मदिन की शुभाकामनाएं !ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ, ढेर से सपने और उन्हें पूर्ण करने के लिये लम्बी उम्र दे......

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  11. वो गीत है न - मरना तो सबको है जी के भी देख ले .... आज जन्मदिन है , बच्चों के साथ मनाइए

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  12. janamndin ki badhai or bahut hi achi kavita hai

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  13. जन्म दिन की खूब खूब बधाइयां कैलाश जी ,आने वाले हर दिन में आप को खूब खुशियाँ और उन्नति प्राप्त हों .....

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  14. बहुत खूबसूरत आत्मचिंतन है...........जीवन कि इस आप धापी में कब इतना वक़्त मिला.........बहुत सुन्दर|

    जन्मदिन कि ढेरों शुभकामनायें|

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  15. Kya khoya kya paya? Ye sawaal aksar ham me se sabhee ke dimaag me kabhee na kabhee zaroor kaundh jata hoga!

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  16. 'जितनी सीढ़ी चढ़ा था ऊपर,
    उतना ही क्यों नीचे पाया.'
    - ऊंचाइयों को देखना तो अच्छा लक्षण है,जितना कर सकें उतना ठीक(इतना भी कितने कर पाते होंगे)- बाकी अगली बार !
    *
    जन्मदिवस की हार्दिक बधाई औऱ शुभ-कामनाएँ !

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  17. कुछ ऐसे ही दिन आते हैं,
    हम अपने साथ बिताते हैं।

    बहुत कुछ कहती रचना।

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  18. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ... शुभकामनाओं के साथ ...

    कल 21/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, मेरी नज़र से चलिये इस सफ़र पर ...

    धन्यवाद!

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  19. जन्मदिन की ढेर सारी बधाई एवं अशेष शुभकामनायें .....
    बार बार दिन ये आये
    बार बार दिल ये गाये
    आप जियो हजारों साल ये मेरी है आरजू ...

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  20. sirf pana hi nahi , khone ka naam bhi zindagi hain :)
    .
    & ya
    Happy birth day :):):)

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  21. कुछ ऐसे ही दिन आते हैं,
    हम अपने साथ बिताते हैं।

    बहुत ही सशक्‍त रचना है।
    जन्‍मदिन की ढेरों बधाइयां

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  22. आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकांमनाएँ!
    --
    आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!

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  23. बेहतरीन रचना।
    शुभकामनाएं.....

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  24. यही तो जीवन सत्य है…………आपने बहुत सुन्दरता से उदगारों को संजोया है॥……………जन्मदिन की बधाई और शुभकामनायें

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  25. bahut sunder ........janam din ki badhai.......

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  26. जीवन की हर कडवी सच्चाई को लेखनी के माध्यम से लिख डाला है अपने


    जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई

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  27. जन्मदिन मुबारक हो सर |सुंदर कविता और सुंदर जीवन के लिए बधाई और शुभकामनाएं |

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  28. जन्मदिन की बधाई और शुभकामनायें. आत्म चिंतन भी आवश्यक है समय समय पर आपने एक बड़े अच्छे दिन को इस कार्य के लिए चुना है.


    जिन रिश्तों को अपना समझा,
    वे रिश्ते अनजान बन गये.
    छुपा रखा था जिन अश्कों को,
    वे आँखों से आज ढल गये.

    अच्छा लेखा जोखा है अनुभव हमेशा नयी राह दिखाते है. सुंदर प्रस्तुति.

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  29. पछताने का वक़्त नहीं अब,
    नहीं स्वप्न कोई अब कल का.
    सूनी आँखें ताक रहीं पथ,
    इन्तज़ार अब अन्तिम पल का.

    बहुत सुन्दर और सच्ची बात कही है आपने.
    पछताने से क्या होगा.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  30. जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई!

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    *♥ आदरणीय कैलाश जी ♥*

    *आप को जन्मदिन की हार्दिक बधाइयां !*
    **हार्दिक शुभकामनाएं !**
    ***मंगलकामनाएं !***



    सभी परिवार जनों को
    हार्दिक बधाई !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
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  32. .


    सुंदर शब्दों में शानदार रचना .

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  33. जिन रिश्तों को अपना समझा,
    वे रिश्ते अनजान बन गये.
    छुपा रखा था जिन अश्कों को,
    वे आँखों से आज ढल गये.

    यही तो जीवन सत्य है…………जन्मदिन मुबारक हो सर |सुंदर कविता और सुंदर जीवन के लिए बधाई और शुभकामनाएं |

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  34. janmdin ki dheron badhaaiyan.aapki rachna dil ko chhoo gai bahut sashaqt rachna.

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  35. जनम दिन की हार्दिक बधाई ... और जीवन के सत्य को सहज ही लिखने के लिए बधाई ....

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  36. umr ke is padaav par jb insaan apni beeti zindgi ka lekha jokha karta hai to ant me parinaam use shoony sa aur bekar sa hi nazer aata hai...lekin shayad vo apne aap ko is baat se tript kar sakta hai ki usne apne kartavy bakhoobi nibhaye.

    janm din ki shubhkaamnayen.

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  37. बेहतरीन रचना
    जन्मदिन कि ढेरो शुभकामनाये.....

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  38. very touching lines..
    piercing right at the core of the heart !!

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  39. मन की उद्वेलना को व्यक्त करते सुन्दर शब्द... कविता सशक्त है, लेकिन अंत में एक हार का भाव है... उम्मीद है कि इन शब्दों के साथ वो भाव कवि ह्रदय से बह गया हो, और फिर एक नई शुरुआत हो... :)

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  40. जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें.. जब तक जीवन है स्वप्न तो बिन बुलाए भी आते रहेंगे... इंतजार अंतिम पल का नहीं बल्कि महाजीवन का करना है...

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  41. "जिन रिश्तों को अपना समझा,
    वे रिश्ते अनजान बन गये.
    छुपा रखा था जिन अश्कों को,
    वे आँखों से आज ढल गये."
    प्रत्येक मनुष्य आप की ही भाँति जीवन में आई कड़ुवाहट को पीता रहता है, हर टूटने को जोड़ने में प्रयासरत रहता है। दिल को छूती सुंदर रचना।

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  42. जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  43. बहुत सुन्दर रचना कैलाश जी
    उम्दा पंक्तियाँ हैं ये
    जितनी सीढ़ी चढ़ा था ऊपर,
    उतना ही क्यों नीचे पाया.
    जिसको समझा था मैं मंजिल,
    उसको भूल भुलैया पाया.

    आगे बढ़ने की चाहत में,
    कितने ख़्वाबों को बिसराया.
    मुड़ कर पीछे अब जब देखा,
    अपना साया भी हुआ पराया.

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  44. बेस्ट ऑफ़ 2011
    चर्चा-मंच 790
    पर आपकी एक उत्कृष्ट रचना है |
    charchamanch.blogspot.com

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  45. बहुत दुःख हवा आखिरी पंक्ति पढ़ कर ...हालाँकि रचना बहुत दमदार है... प्रभु आपको दीर्घायु और स्वस्थ रखे ..जन्मदिन बार बार आये...

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  46. जिन रिश्तों को अपना समझा,
    वे रिश्ते अनजान बन गये.
    छुपा रखा था जिन अश्कों को,
    वे आँखों से आज ढल गये.
    बहुत ही सशक्त रचना है आपकी .बेहतरीन पंक्तियाँ .

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