मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश:
सोलहवाँ अध्याय
(दैवासुरसम्पद्विभाग-योग-१६.१-१२)
श्री भगवान
अभय और चित्त की शुद्धि,
ज्ञान योग में स्थित होना.
इन्द्रियसंयम ज्ञान यज्ञ तप
सारल्य व स्वाध्यायी होना. (१६.१)
सत्य अहिंसा त्याग शान्त
क्रोध व निंदा कभी न करना.
मृदुता दया लोक लज्जा व
लोभ व चंचलता से बचना. (१६.२)
तेज धैर्य क्षमा व शुचिता,
द्रोह और अभिमान न होता.
होते गुण छब्बीस ये उसमें
दैवीप्रकृति में जन्म जो लेता. (१६.३)
दर्भ, दर्प, अभिमान, क्रोध,
निष्ठुरता व अज्ञान हैं होते.
आसुरीप्रवृति के जो जन हैं
उनमें ये सब दुर्गुण हैं होते. (१६.४)
दैवी गुण मुक्ति का कारक
आसुरी प्रवृति बंधन का कारण.
शोक करो न तुम हे अर्जुन!
दैवी गुण साथ जन्म के कारण. (१६.५)
दैवी और आसुरी सृष्टि
ये दो सृष्टि हुई जगत में.
दैवीप्रकृति बताई तुमको
असुरप्रकृति कहता अब मैं. (१६.६)
धर्म प्रवृत्ति अधर्म निवृत्ति,
न जाने आसुरी स्वभाव जन.
होता नहीं इसलिए उनमें
शुचिता सत्य व सदाचरण. (१६.७)
है असत्य, आधारहीन ये जग
ईश्वर का अस्तित्व न जाने.
स्त्री पुरुष संसर्ग से जग पैदा
वर्ना काम वासना क्या माने? (१६.८)
ऐसे विचार का आश्रय लेकर
नष्टात्मा क्रूर कर्मों को करते.
होकर के शत्रु इस जग के
जगत नाश का कारण बनते. (16.9)
अतृप्त काम का आश्रय लेकर,
दम्भ मान मद युक्त हैं होते.
दुराग्रहों के आश्रित हो कर के,
असत् कर्म में प्रवृत्त हैं होते. (१६.१०)
रखते असीम चिंताएं अपनी
जिनका अंत मृत्यु पर होता.
परम लक्ष्य भोगों को भोगना
विश्वास है ऐसा उनका होता. (१६.११)
आशाओं के बंधन में बंध के
काम क्रोध के वश में रहते.
इन भोगों की संतुष्टि को
धन-संग्रह अन्याय से करते. (१६.१२)
............क्रमशः
....कैलाश शर्मा
अदभुत !
ReplyDeleteश्रीमद्भगवद्गीता का बहुत उम्दा भाव पद्यानुवाद,,,!
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...!
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
सुन्दर अनुवाद
ReplyDeleteआभार
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
उम्दा पद्यानुवाद....... नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ......
ReplyDeleteपावन मन विषमय होता क्यों
ReplyDeleteNice post www.hinditechtrick.blogspot.com
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति -
ReplyDeleteआभार आपका-
सादर -
ये प्रसाद है ईश्वर का जो आपके कर कमलों से ग्रहण कर रहे हैं हम ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति -आभार
ReplyDeleteगीता ज्ञान का सहज पद्यानुवाद...
ReplyDeleteजीवन को दिशा देने वाली गीता ज्ञान
ReplyDeleteवाह जी वाह
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