Monday, January 13, 2014

मौन

मौन नहीं स्वीकृति हार की
मौन नहीं स्वीकृति गलती की,
मौन नहीं है मेरा डर 
और न ही मेरी कमजोरी,
झूठ से पर्दा मैं भी उठा सकता हूँ
और दिखा सकता हूँ आइना सच का,
लेकिन क्यों उठती उंगली 
सदैव सच पर ही,
होता है खड़ा कटघरे में
और देनी पड़ती अग्नि परीक्षा 
सदैव सच को ही।

जब मुखर होता असत्य
और दब जाती आवाज़
सत्य की 
असत्य के शोर में,
हो जाता मौन 
सत्य कुछ पल को।
सत्य हारा नहीं 
सत्य मरा नहीं 
केवल हुआ है मौन 
समय के इंतज़ार में।


..... © कैलाश शर्मा 

33 comments:

  1. समय कभी मरता नहीं ... चूकता नहीं ... कुछ पल को मौन हो जाए पर शाश्वत रहता है ...

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,लोहड़ी कि हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  3. सार्थक भाव अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  4. bahut sahi baat ki ....saty marta nahi moun jarur ho jata hai kuchh samy ke liye ...!

    ReplyDelete
  5. गहन भाव लिये सार्थक रचना ! डर इस बात का होता है कि सही समय का इंतज़ार करते-करते कहीं सत्य बेदम ना हो जाये इसलिए सत्य को भी समय-समय पर सहारे की आवश्यकता होती है मुखर होने के लिये ! बहुत सुंदर रचना !

    ReplyDelete
  6. बहुत बढ़िया -
    सुंदर रचना --

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति... आपको ये जानकर अत्यधिक प्रसन्नता होगी की ब्लॉग जगत में एक नया ब्लॉग शुरू हुआ है। जिसका नाम It happens...(Lalit Chahar) है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर ..... आभार।।

    ReplyDelete
  8. समय का सच। बहुत काम की बात की है।

    ReplyDelete
  9. सत्य वचन .....सत्य मौन हो उचित समय की प्रतीक्षा करता है उद्घाटित होने .....शाश्वत सत्य बनकर ...!! !!बहुत सुंदर रचना ।

    ReplyDelete
  10. सार्थक भाव अभिव्यक्ति,सुंदर प्रस्तुति...!

    RECENT POST -: कुसुम-काय कामिनी दृगों में,

    ReplyDelete
  11. सत्य मौन भी मुखर होता है.......सुंदर प्रस्तुति.........

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
    मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
    नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
    नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !

    ReplyDelete
  13. सार्थक अभिव्यक्ति...
    :-)

    ReplyDelete
  14. सार्थक भाव .... उम्दा प्रस्तुति.....!!!

    ReplyDelete
  15. मौनभी कभी कभी बात से ज्यादा मुखर होता है।

    ReplyDelete
  16. मुँह की बात सुने हर कोई दिल की बात को जाने कौन
    आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन...

    सत्य कब तक मौन रहेगा...बोलने का वक्त आ गया समझिये...

    ReplyDelete
  17. सच कहा समय से ज्यादा ताकतवर कौन. सुन्दर पंक्तियाँ.

    ReplyDelete
  18. समय कितना कुछ रेखांकित करता है ..... सुंदर अभिव्यक्ति ...

    ReplyDelete

  19. कल 16/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

    ReplyDelete
  20. सत्य मरा नहीं
    केवल हुआ है मौन
    समय के इंतज़ार में।

    बहुत सुन्दर सन्देश आदरणीय

    ReplyDelete
  21. बहुत सुन्दर भाव और रचना |

    "मौन नहीं स्वीकृति गलती की,
    मौन नहीं है मेरा डर
    और न ही मेरी कमजोरी,"
    बहुत खूब |

    ReplyDelete
  22. कौन समझे इस जगत में, व्यक्त पीड़ा मौन की

    ReplyDelete
  23. सत्य हारा नहीं
    सत्य मरा नहीं
    केवल हुआ है मौन
    समय के इंतज़ार में......।बहुत सुन्दर भाव

    ReplyDelete
  24. बहुत ही अच्छी कविता |आभार सर जी |

    ReplyDelete
  25. बहुत गहन और सुन्दर |

    ReplyDelete
  26. सत्य हारा नहीं
    सत्य मरा नहीं
    केवल हुआ है मौन
    समय के इंतजार में... बहुत सुंदर भाव ...

    ReplyDelete
  27. मौन रहकर भी सत्य जीवंत रहता है और मुखर होकर भी असत्य एक छलावा ही है

    ReplyDelete