**श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें**
मत मौन रहो अब मनमोहन, वरना पाषाण कहाओगे।
क्या भूल गये वादा अपना, तुम दुष्ट दलन को आओगे।
क्या भूल गये वादा अपना, तुम दुष्ट दलन को आओगे।
है लाज नारियों की लुटती,
तुम मौन खड़े क्यों देख रहे?
क्या सुनते सिर्फ़ द्रौपदी की,
तुम मौन खड़े क्यों देख रहे?
क्या सुनते सिर्फ़ द्रौपदी की,
क्या
औरों से रिश्ते नहीं रहे?
द्वापर में एक दुशासन था, बस्ती बस्ती में अब घूम रहे,
नित दिन है चीर हरण होता, क्या आँख मूँद सो पाओगे।
नित दिन है चीर हरण होता, क्या आँख मूँद सो पाओगे।
क्या झूठ कहा तुमने माधव,
जब भी अधर्म होगा जग में।
स्थापना धर्म की हेतु पुनः,
मैं आऊँगा तब तब जग में।
जब भी अधर्म होगा जग में।
स्थापना धर्म की हेतु पुनः,
मैं आऊँगा तब तब जग में।
जब नहीं सुरक्षित बच्ची भी, फ़िर क्या अधर्म अब बाकी है,
क्या है अधर्म का मापदंड, क्या दुनिया को बतलाओगे।
क्या है अधर्म का मापदंड, क्या दुनिया को बतलाओगे।
जब सत्य खड़ा चौराहे पर,
सिंहासन पर बैठा असत्य।
जन कैसे यह विश्वास करे,
पाता सदैव ही विजय सत्य।
सिंहासन पर बैठा असत्य।
जन कैसे यह विश्वास करे,
पाता सदैव ही विजय सत्य।
जन जन है त्रसित पुकार रहा, कैसे है चुप तुम रह सकते,
विश्वास भक्त का भंग हुआ, रणछोर पुनः कहलाओगे।
विश्वास भक्त का भंग हुआ, रणछोर पुनः कहलाओगे।
....कैलाश शर्मा
wah / happy janmashtami sr / :)
ReplyDeleteसटीक ।
ReplyDeleteउलाहने के रूप में सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर सर ! , जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं... धन्यवाद !
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सब उनसे कहने और उलाहना देने को तैयार- उनने कहा वो कोई सुनता नहीं कोई मानता नहीं !
ReplyDeleteकृष्ण जन्माष्टमी पर भाव भरी प्रार्थना...प्रतिभाजी ने सही कहा है कृष्ण की सुनें तो ही धर्म की स्थापना होगी..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteमन को छू गयी हर एक पंक्ति
बहुत सुन्दर और भावुक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाऐं ----
सादर --
कृष्ण ने कल मुझसे सपने में बात की -------
बहुत सुन्दर भाव , न जाने क्यों मनमोहन अब कुछ नहीं कर रहें हैं, जगत का एक बार फिर उद्दार करने आ जाओ मनमोहन
ReplyDeleteवाह कितना अद्भुत और कितना सत्य लिखा आपने।
ReplyDeleteबेहद सार्थक। पुकार जरुर सुनेंगे मुरारी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteद्वापर में एक दुशासन था, बस्ती बस्ती में अब घूम रहे,
ReplyDeleteनित दिन है चीर हरण होता, क्या आँख मूँद सो पाओगे।
हम तो ऐसा मानते हैं कि भगवान हर किसी के अंदर है , तब सिर्फ उनके अवतार का ही इंतज़ार क्यों ? हर किसी को कृष्णा होना होगा , कंस कम हैं और कृष्णा ज्यादा ! लेकिन कृष्णा लगता है तैयार नहीं हैं ! शब्द बहुत ही सार्थक आदरणीय श्री शर्मा जी
वाह बहुत ही सार्थक सृजन ! हर मन की व्यथा को बड़ी सशक्त अभिव्यक्ति दी है ! अति सुन्दर !
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति..कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।।।
ReplyDeleteआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 21 . 8 . 2014 दिन गुरुवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeletebahut sundar rachna ,.....manmohan ab khud hairan hai aur stabdh hai ....
ReplyDeleteवर्तमान के दर्द को दिल में रख माधव को पुकारा है आपने। बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteअनुपम भावों का संगम ....
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति...कब आओगे मोहन, चुप न रहो मनमोहन...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
स्थापना धर्म की हेतु पुनः,
ReplyDeleteमैं आऊँगा तब तब जग में ...
आज जरूरत है समय की ... कृष्ण आ जाएँ ...