Sunday, June 14, 2015

पगडंडी

मत ढूंढो पगडंडियां
बनायी औरों की 
सुखद यात्रा को,
बनाओ अपनी पगडंडी
और चुनो अपनी 
एक नयी मंज़िल.

जरूरी तो नहीं सही हो
हर भीड़ वाली राह,
क्यूँ बनते हो हिस्सा 
किसी काफ़िले का,
मत चलो किसी के पीछे
थाम कर हाथ उसकी सोच का,
जागृत करो अपनी सोच
अपना आत्म-चिंतन,
समेटो अपनी बांहों में
स्व-अर्जित अनुभव
बनाओ स्वयं अपनी पगडंडी
अपनी मंज़िल को,
खड़े हो धरा पर
अपने पैरों पर अविजित।

...कैलाश शर्मा 

29 comments:

  1. अत्यंत प्रेरक एवं सार्थक सशक्त रचना !

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  2. स्वार्जित अनुभव और आत्म चिंतन से जीवन की राह आसान हो जाती है ।
    प्रेरणादायी रचना ।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (15-06-2015) को "बनाओ अपनी पगडंडी और चुनो मंज़िल" {चर्चा अंक-2007} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  4. आत्मविश्वास को जागृत करनें वाली रचना।बेहतरीन कविता शर्मा जी।

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  5. बहुत खूब। खुद की पगडंडी पर चलने की बात ही कुछ और है।

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  6. आत्म चिंतन और मंथन से अपनी राह खुद बनती है
    सुन्दर रचना !!

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  7. युवाओं को प्रेरणा देती सार्थक रचना.

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  8. समेटो अपनी बांहों में
    स्व-अर्जित अनुभव
    बनाओ स्वयं अपनी पगडंडी
    अपनी मंज़िल को,

    बहुत सुंदर ! निजता में जीना ही असली जीवन है

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  9. बहुत ही प्रेरणास्पद सशक्त रचना आदरणीय।

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  10. सही कहा आपने. ज्यादातर लोग लीक से हटकर चलने के बजाय भीड़ के साथ ग़लत रास्ते पर चलना पसंद करते हैं. लीक से हटकर चलना तो अच्छा है लेकिन मुश्किल है. सबसे अलग होने की हिम्मत दिखाएँ और अपनी तक़दीर ख़ुद बनाएँ...सुंदर, सार्थक और प्रेरक रचना...

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  11. सुंदर, अपनी पग़डंडी और अपनी ही मंजिल बनाती है विजेता।

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  12. सच ही है मंजिल तो हम निर्धारित कर सकते है पर वहाँ जाने का रास्ता तो हमें ही बनाना होता है प्रेरक अभिव्यक्ति

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  13. आत्मविश्वास से ही मंजिल तक पंहुचा जा सकता है
    बहुत सुन्दर

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  14. सच है अपनी राह खुद बना के चलने में जो मजा है ... जो संतुष्टि है ... वो और कहाँ है ...
    बहुत सुन्दर भाव ...

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  15. सादर नमस्ते भैया

    बहुत सुंदर

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  16. प्रेरणादायक रचना है सर

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  17. बहुत प्रेरक रचना

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  18. सुंदर और प्रभावी रचना ---- वाह

    सादर

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  19. लक्ष्य की ओर प्रेरित करती सुन्दर - रचना ।
    आभार ।

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  20. जरूरी तो नहीं सही हो
    हर भीड़ वाली राह,
    क्यूँ बनते हो हिस्सा
    किसी काफ़िले का,
    मत चलो किसी के पीछे
    थाम कर हाथ उसकी सोच का,
    प्रेरणादायी शब्द ! और नया इतिहास भी वो ही लिखते हैं जो नया रास्ता बनाते हैं ! शानदार अभिव्यक्ति आदरणीय शर्मा जी

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  21. उन्‍मुक्‍त ज्ञानप्रवाह कराती समझाती कैसे व्‍यक्ति को स्‍वयं ही अभिव्‍यक्‍त होना चाहिए सबसे अलग।

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