अत्यंत भावपूर्ण रचना ! बहुत सुन्दर !
सबकुछ झूठा है संसार में ..पर माया मोह में फंसे हम समझकर भी नासमझ बने रहते हैं जब तक जीते हैं ...बहुत बढ़िया चिंतनशील रचना
सुन्दर सार्थक रचना !
सुन्दर और भावपूूर्ण रचना
सुंदर !
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ब्लॉग बुलेटिन - जन्मदिवस : कवि गोपालदास 'नीरज' , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सुंदर रचना।
अहा क्या बात है...। बहुत ही सुंदर रचना। ठहर कर पढ़ने योग्य। बहुत खूब।
सार्थक और सुन्दर शब्द आदरणीय शर्मा जी ! कुछ पंक्तियाँ बहुत ही विशिष्ट बन पड़ी हैं !!
bahut sundar
खूबसूरत रचना।
सरल सहज सुन्दर स्पष्ट ..आनंदम आनंदम सर | बहुत ही सुन्दर
बहुत सरस ..सुन्दर !
सुन्दर जीवन से जुड़ी अभिव्यक्ति
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!नववर्ष की बधाई!मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
ऐसा ही कुछ है जीवन..कब छोड़ दिया, कब छूट चला।
स्वागतम ।seetamni. blogspot. in
शायद ज़िन्दगी की सांझ ऐसे ही ढलती है ...
बहुत ही सुन्दर।
सच अहि जब तक सांस है तब तक जीवन है ... और इस जीवन के खेल खेलने होते हैं ...जीवन की सांझ की झलक दिखाती रचना ...
सुन्दर रचना ।
अत्यंत भावपूर्ण रचना ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteसबकुछ झूठा है संसार में ..पर माया मोह में फंसे हम समझकर भी नासमझ बने रहते हैं जब तक जीते हैं ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चिंतनशील रचना
सुन्दर सार्थक रचना !
ReplyDeleteसुन्दर और भावपूूर्ण रचना
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ब्लॉग बुलेटिन - जन्मदिवस : कवि गोपालदास 'नीरज' , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteअहा क्या बात है...। बहुत ही सुंदर रचना। ठहर कर पढ़ने योग्य। बहुत खूब।
ReplyDeleteसार्थक और सुन्दर शब्द आदरणीय शर्मा जी ! कुछ पंक्तियाँ बहुत ही विशिष्ट बन पड़ी हैं !!
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteखूबसूरत रचना।
ReplyDeleteसरल सहज सुन्दर स्पष्ट ..आनंदम आनंदम सर | बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सरस ..सुन्दर !
ReplyDeleteसुन्दर जीवन से जुड़ी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteनववर्ष की बधाई!
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
ऐसा ही कुछ है जीवन..कब छोड़ दिया, कब छूट चला।
ReplyDeleteस्वागतम ।
ReplyDeleteseetamni. blogspot. in
शायद ज़िन्दगी की सांझ ऐसे ही ढलती है ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर।
ReplyDeleteसच अहि जब तक सांस है तब तक जीवन है ... और इस जीवन के खेल खेलने होते हैं ...
ReplyDeleteजीवन की सांझ की झलक दिखाती रचना ...
सुन्दर रचना ।
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