ज़िन्दगी के इस मोड़ पर
जब पीछे मुड़कर देखता हूँ ,
दिखाई देते हैं
चौराहे,
कितने मोड़
जिन्हें मैंने लिया नहीं,
कितने बढे हुए हाथ
जिनको थामा नहीं,
या फिसल गए
मेरी पकड़ से.
लेकिन किसने रोका मुझे
उन मोड़ों पर बढ़ने से,
उन हाथों को थामने से.
किसे दोष दूं
इस सबका ?
मेरा कायरपन,
कर्मफल,
परिस्थितियाँ,
संयोग
या प्रारब्ध.
या यह प्रयास है मेरा
अपनी गलतियों का ठीकरा
दूसरों के सर फोड़ने का.
अब भी आते हैं
सपने में
वे छोड़े हुए मोड़,
वे बढे हुए हाथ,
और उठाते हैं
इतने सवाल
जिनका ज़वाब देने का
समय फिसल गया है
मेरे हाथों से.
अब तो मुझे
हर चौराहे पर
कोई रास्ता चुनने में
लगता है बहुत डर,
शायद
यह मोड़ भी गलत न हो.
आपने अपने भावों को बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति दी है....काबिले तारीफ
ReplyDeleteसुन्दर.....
ReplyDeletebeete dino me..
ReplyDeletechhode huye mod jin par mude nahi..
badhe huye haath jinhe thama nahi..
dard kachot-ta hai..
jeevan-anubhooti ki sunder rachna!
जिन्हें मैंने लिया नहीं,
ReplyDeleteकितने बढे हुए हाथ
जिनको थामा नहीं,
या फिसल गए
मेरी पकड़ से.
Laazabab ! Sundar Bhaav Sharma ji
अब तो मुझे /हर चौराहे पर/कोई रास्ता चुनने में/लगता है बहुत डर,
ReplyDeleteशायद
यह मोड़ भी गलत न हो.//...
गुजरे हुए पलों को बाँधने की कोसिस /
बहुत ही सुंदर बड़े भाई //
एक श्रींगार रस से भरी कविता के लिए मेरे ब्लॉग पर आये /
ज़िन्दगी के इस मोड़ पर
ReplyDeleteजब पीछे मुड़कर देखता हूँ ,
दिखाई देते हैं
चौराहे,
bahut khoobsurt
mahnat safal hui
yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.
छूट गए मोड़ और उनपर मन की उहापोह और चिंतन को दिशा देती रचना!
ReplyDeleteसादर!
jo pal haatho se fisal gaya unhe vapas to nahi laya ja sakta .
ReplyDeletehan!unhe yaado me samet kar bas sambhala ja sakta hai.
अब तो मुझे
हर चौराहे पर
कोई रास्ता चुनने में
लगता है बहुत डर,
शायद
यह मोड़ भी गलत न हो.
sir,bahut hi prabhavshali abhivykti
poonam
अनजाना स भय ...अंतर्द्वन्द्व को दर्शाती अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteनमस्कार जी,
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी,सुंदर प्रस्तुति
हर चौराहे पर
ReplyDeleteकोई रास्ता चुनने में
लगता है बहुत डर,
शायद
यह मोड़ भी गलत न हो.
सुंदर प्रस्तुति...
दिल के कशमकश को दिखाती एक सुन्दर रचना। आभार
ReplyDeleteकई बार ज़िन्दगी के चौराहों पर हम इसी तरह के सोच-विचार में पड़े रहते हैं जिसे आपने काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है। यही पर हमारे विवेक की सही परीक्षा होती है।
ReplyDeleteआपने अपने भावों को बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति दी है| आभार|
ReplyDeleteबेचैन मन की सफल अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteअब तो मुझे
ReplyDeleteहर चौराहे पर
कोई रास्ता चुनने में
लगता है बहुत डर,
शायद
यह मोड़ भी गलत न हो.
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
मोड़ से तो सभी भयभीत हैं!
रास्ता चुनने मे जब भी आदमी चूक जाता है वहीं से जो ज़िन्दगी मोड लेती है वो उम्र भर उसे सालता है। कहीं प्रार्ब्ध, प्रयास परिस्थितियां, इन सब का आपस मे गहरा रिश्ता होत्रा है जो जीवन की शाजिशें रचता है। दिल को छू गयी आपकी रचना। बधाई।
ReplyDeleteजिन्दगी के कई मोड ऐसे होते हैं जब हम साहस दिखाते तो जन्मभर का पछतावा नहीं रहता। लेकिन पता नहीं कभी कभी साहस ही नहीं जुटा पाते हैं और वे बहुत छोटे से क्षण आकाश जितने बड़े बनकर हमेशा यादों में छाए रहते हैं। बहुत अच्छी अभिव्यक्ति।
ReplyDeletebahut hi sundar avivyakti hai kailash ji
ReplyDeleteसच है, कभी - कभी परिस्थितियां उन राहो को चुनने के लिया बेबस कर देती हैं, जो हमारे लिए बनी ही नहीं होती..
ReplyDeleteबहुत ही सारगर्भित रचना .........
मै तो बस इतना कहूँगा की" बीती ताहि बीसार दे आगे की सुधि लेही ". सुन्दर अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteअब भी आते हैं
ReplyDeleteसपने में
वे छोड़े हुए मोड़
वे बढे हुए हाथ
और उठाते हैं
इतने सवाल
जिनका ज़वाब देने का
समय फिसल गया है
मेरे हाथों से।
जीवन के एक पहलू विशेष के अंतर्द्वंद्व को अभिव्यक्त करती प्रेरक रचना।
bhut sundar..dil ko chu gayi
ReplyDeleteअब तो मुझे
ReplyDeleteहर चौराहे पर
कोई रास्ता चुनने में
लगता है बहुत डर,
शायद
यह मोड़ भी गलत न हो..........बेहतरीन रचना। बधाई।
... bhaavpoorn rachanaa ... prasanshaneey !!!
ReplyDeleteek umda rachna .. bahut badiya..
ReplyDeletemere blog par bhi kabhi aayiye..
www.lyrics-mantra.blogspot.com
कभी न कभी जीवन मेंन ऐसा एहसास होता है की हम गलत रह पर आ गए ... पर वापस जाना आसान नहीं होता ... किसी न किसी को तो अपनाना ही होता है ... बहुत गहरी सूझ से उपजी रचना है ... ..
ReplyDeleteअंतर्मन के दुविधाओं का बखूबी वर्णन किया है आपने.
ReplyDeletejai mata dee...Bahut Sunder jee
ReplyDeletesunder rachna magar muskura dijiye aaj pe, thaam lijiye iska haath, yehi to hai aapke paas.... jo guzar gaya, vo guzur gaya :-) saadar
ReplyDeleteअब तो मुझे
ReplyDeleteहर चौराहे पर
कोई रास्ता चुनने में
लगता है बहुत डर,
शायद
यह मोड़ भी गलत न हो
वर्तमान हालातों में निर्णय लेना वाक़ई मुश्किल हो गया है
मैंने भी अपनी भावनाओं को समेट एक कविता लिखी थी, उसका शीर्षक भी "चौराहा" ही था...
ReplyDeleteवो इतनी सुन्दर बन नहीं पाई... कभी प्रस्तुत करने की चेष्टा करूंगी...
आपने तो ज़िंदगी, उसके सफ़र को इतने अच्छे से प्रस्तुत कर दिया... वाह...
शायद
ReplyDeleteयह मोड़ भी गलत न हो.
सुंदर प्रस्तुति... ..दुविधाओं का बखूबी वर्णन किया है आपने.
200 फोलोवर ...सभी ब्लोगेर साथियों का तहे दिल से शुक्रिया ...संजय भास्कर
ReplyDeleteनई पोस्ट पर आपका स्वागत है
धन्यवाद
बेहतरीन और बहुत सुंदर रचना
ReplyDelete"समस हिंदी" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को एक दिन पहले
ReplyDelete"मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये !
()”"”() ,*
( ‘o’ ) ,***
=(,,)=(”‘)<-***
(”"),,,(”") “**
Roses 4 u…
MERRY CHRISTMAS to U
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है!
बहुत सुन्दर पर्स्तुती इस विषय पर मेरी कुछ पन्तिया
ReplyDeleteजादातर वादे जो जिन्दगी मे टूटे ,
वो सब मैंने ही खुद से किये थे ,
जादातर नाकामी की वजह ,
सिर्फ मेरी कमजोर कोशिश थी ,
दिल को छु गयी आपकी रचना .........
zindgi modon se bhari hai... chaurahe digbhramit karte hain... sundar kavita...
ReplyDeleteamazing.............don`t hv words........
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना।
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