एक और वर्ष
सीने में लाखों दर्द छुपाये
घिसटते हुए
दम तोड़ने वाला है.
कितना सहा,
होठों पर लाकर मुस्कान
दर्द को कितना छुपाना चाहा.
कब तक कोई
ग़मों से समझौता करता जाए,
कब तक भविष्य के सपनों पर
वर्तमान का महल बनाये,
जब सपना टूटता है
तो वर्तमान,
भूत से भी ज्यादा
असहनीय हो जाता है.
क्या क्या नहीं देखा
एक वर्ष के जीवन में,
खेल के नाम पर भ्रष्टाचार
या भ्रष्टाचार उन्मूलन के नाम पर खेल
सियासत के मैदान में.
उग्रवाद का वीभत्स रूप
बहाता रहा खून मासूमों का
सडकों पर.
हिंसा और बलात्कार की खबरें
इतनी हुईं आम,
खिसक गयीं
अखबार के आखिरी पन्ने के
हासिये पर.
बदल दिया
शहरों को जंगल में,
डरता है हर कोई
घर से बाहर
निकलने पर.
शोर है नव वर्ष के स्वागत का
उत्सुक हैं सब उसके स्वागत को,
पर नहीं आया कोई
जाने वाले को विदा करने
सहानुभूति के दो शब्द कहने.
कितना दिया दर्द
उन्ही अपनों ने जिन्होंने
एक दिन मेरा भी स्वागत किया था.
थक गया है तन
आहत है अंतर्मन,
सोने दो आज मुझे
समय की कब्र में
शान्ति से
ओढ़ कर इतिहास का कफ़न.
देने को कुछ भी नहीं है
नव वर्ष को वसीयत में,
बस यही शुभ कामना है,
नव वर्ष,
तुम लिखो एक नया इतिहास,
बनाओ एक नया भविष्य
जिस पर न हो
भूतकाल की काली छाया
और विजय हो
इंसानियत की हैवानियत पर.
अच्छी कविता। नववर्ष की शुभकामनाए।
ReplyDeleteदेने को कुछ भी नहीं है
ReplyDeleteनव वर्ष को वसीयत में,
बस यही शुभ कामना है,
नव वर्ष,
तुम लिखो एक नया इतिहास,
xxxxxxxxxxxxxxxxxx
बिलकुल सही सोचा है आपने, अतीत को सामने रखकर भविष्य की रुपरेखा तय करनी चाहिए .....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ...शुक्रिया
शोर है नव वर्ष के स्वागत का
ReplyDeleteउत्सुक हैं सब उसके स्वागत को,
पर नहीं आया कोई
जाने वाले को विदा करने
सहानुभूति के दो शब्द कहने.
कितना दिया दर्द
उन्ही अपनों ने जिन्होंने
एक दिन मेरा भी स्वागत किया था.
Wah Kailashji kitne sunder shabdon me vartman ke dard ko prastut kiya hai aapne.....bahut khoob "नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें"
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें .
ReplyDeleteनए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!
ReplyDeleteसुंदर रचना , बधाई
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाये ,नया साल आपको खुशियाँ प्रदान करे
थक गया है तन
ReplyDeleteआहत है अंतर्मन,
सोने दो आज मुझे
समय की कब्र में
शान्ति से
ओढ़ कर इतिहास का कफ़न.
उत्तम रचना, बधाई
आगामी वर्ष आपके लिये शुभ व मंगलमय हो...
शोर है नव वर्ष के स्वागत का
ReplyDeleteउत्सुक हैं सब उसके स्वागत को,
पर नहीं आया कोई
जाने वाले को विदा करने
सहानुभूति के दो शब्द कहने.
कितना दिया दर्द
उन्ही अपनों ने जिन्होंने
एक दिन मेरा भी स्वागत किया था.
गहन एहसासों को समेटे,बेहद भावमयी और खूबसूरत अभिव्यक्ति.आभार.
आप को सपरिवार नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteदेने को कुछ भी नहीं है
ReplyDeleteनव वर्ष को वसीयत में,
बस यही शुभ कामना है,
नव वर्ष,
तुम लिखो एक नया इतिहास,
बनाओ एक नया भविष्य .
कैलास जी .. बहुत ही अच्छी कविता, इस मायने में भी की बिल्कुल आपने एक नए रूप में नूतन वर्ष की तरफ जा रहे है इस कविता के माध्यम से . हमें अपने भूतकाल को भी नहीं भूलना चाहिए नववर्ष के स्वागत में. उम्मीद है नया वर्ष शुभ होगा. नूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .
.
रमिया काकी
जिवंत वर्णन ! इतिहास गवाह है, जनके पास वसीहत के नाम पर कुछ नहीं था, उन्होंने ही इतिहास बदला है......
ReplyDelete-------------------------------------
नव वर्ष आपके लिए जीवन के नए आयाम लेकर आये, मंगलमय हो, यही कामना है ईश्वर से.
-------------------------------------
सुन्दर रचना के लिए आपका साधुवाद.
अरविन्द जांगीड
बदल दिया
ReplyDeleteशहरों को जंगल में
डरता है हर कोई
घर से बाहर
निकलने पर
अतीत में दफ्न होने के लिए तैयार वर्ष की व्यथा को सुंदर शब्दों में संजोया है आपने।
कविता ने मन को प्रभावित किया।
तुम लिखो एक नया इतिहास,
ReplyDeleteबनाओ एक नया भविष्य
जिस पर न हो
भूतकाल की काली छाया
और विजय हो
इंसानियत की हैवानियत पर.
bas isi soch ke sath kadvaahton ko bhula, vaqt ka marham laga...bhavishye ko sudhaarne ka pran le aage badhte jana hi zindgi hai.
acchhi prastuti.
बीत रहे वर्ष का सटीक आत्मकथ्य प्रस्तुत करती रचना!
ReplyDeleteसदभावनाओं और सुन्दर कामनाओं के साथ रची गई एक बेहतरीन रचना!
ReplyDeleteबहुत खूब। बेहतरीन रचना के लिए साधूवाद। हिंदी के उतथान में ऐसे ही सहयोग बनाए रहें।
ReplyDelete... bahut sundar ... behatreen rachanaa ... naye varsh ki haardik shubhakaamanaayen !!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .....नव वर्ष की शुभकामनायें
ReplyDelete...और विजय हो
ReplyDeleteइंसानियत की हैवानियत पर."
ईश्वर करे यह आशा पूर्ण हो...सादर शुभकामनायें भाई जी !
bahut hi sundar..
ReplyDeletenav varsh sab k liye khushiyan le kar aaye..
:)
Lyrics Mantra
जाते हुए वर्ष को बखूबी summarize कर दिया आपने...
ReplyDeleteआने वाले वर्ष के शुभकानाएं...
मार्मिक रचना ! नया वर्ष आपके लिये शुभ हो !
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteNAYA SAAL 2011 CARD 4 U
ReplyDelete_________
@(________(@
@(________(@
please open it
@=======@
/”**I**”/
/ “MISS” /
/ “*U.*” /
@======@
“LOVE”
“*IS*”
”LIFE”
@======@
/ “LIFE” /
/ “*IS*” /
/ “ROSE” /
@======@
“ROSE”
“**IS**”
“beautifl”
@=======@
/”beautifl”/
/ “**IS**”/
/ “*YOU*” /
@======@
Yad Rakhna mai ne sub se Pehle ap ko Naya Saal Card k sath Wish ki ha….
नववर्ष की बधाईयां और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteजब सपना टूटता है
ReplyDeleteतो वर्तमान,
भूत से भी ज्यादा
असहनीय हो जाता है.
hmm.shayad aapne chrchamanch pr mera aapke liye likha comment pra ho.....fir se use dohraa rhi hun./...main apni lekhni me aapki lekhni saa bhi rang bhrna chahti hun......:)...aapki lekhni ujhe bahut aakrshit krti he......
aapko bhi nyaa saal bahut bahut mubaarak
take care
थक गया है तन
ReplyDeleteआहत है अंतर्मन,
सोने दो आज मुझे
समय की कब्र में
शान्ति से
ओढ़ कर इतिहास का कफ़न.
--वाकई में देने को कुछ भी नहीं है इस बितते बरस में ..देश की वसीयत में सिर्फ घोटालों का ज़िक्र रह गया है..
बहुत अच्छी कविता .
****आपको सपरिवार नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं*****
बहुत सुन्दर और प्रभावशाली कविता ...धन्यवाद
ReplyDeleteहर पल यही है दिल की दुआ आपके लिए
खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
महकी हुई उमंग भरी हो हर इक सुबह
चाहत के गुल से पथ हो सजा आपके लिए
सुन्दर एवं प्रभावशाली रचना . नव वर्ष की हार्दिक सुभकामनाये .
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteथक गया है तन
ReplyDeleteआहत है अंतर्मन,
सोने दो आज मुझे
समय की कब्र में
शान्ति से
ओढ़ कर इतिहास का कफन !
घनीभूत पीड़ा से उपजी वक्त की यह दर्दभरी पुकार मन को व्यथित कर गयी ! बहुत सुन्दर रचना !
नववर्ष आप सभी के लिये मंगलमय और कल्याणकारी हो यही कामना है ! नया साल मुबारक हो !
आद.कैलाश जी,
ReplyDeleteविगत वर्ष का पूरा दर्द आपकी कविता में उमड़ पड़ा है !
सब कुछ अक्षरशः सत्य !
आपको सपरिवार नूतन वर्ष की अनंत मंगलकामनाएं !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
नव वर्ष 2011
ReplyDeleteआपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
।।शुभकामनाएं।।
बेहतरीन रचना। बधाई। आपको भी नव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबेहतरीन रचना। बधाई। आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं|
ReplyDeleteनूतन वर्ष आपके लिये शुभ व मंगलमय हो.
ReplyDeleteहार्दिक शूभकामनाओं सहित...
सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु।
ReplyDeleteसर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु॥
सब लोग कठिनाइयों को पार करें। सब लोग कल्याण को देखें। सब लोग अपनी इच्छित वस्तुओं को प्राप्त करें। सब लोग सर्वत्र आनन्दित हों
सर्वSपि सुखिनः संतु सर्वे संतु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥
सभी सुखी हों। सब नीरोग हों। सब मंगलों का दर्शन करें। कोई भी दुखी न हो।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं!
सदाचार - मंगलकामना!
आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteनया वर्ष आप के ओर आप के परिवार के लिये सुख मय हो ओर देश भर मे खुशियां के कर, सुख ले कर आये, मेरी शुभकामनाऎं आप सब के संग हे!! मेरा यह नये साल का उपहार आप सब के लिये हे..
ReplyDeletehttp://blogparivaar.blogspot.com/
नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteआप को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ..
ReplyDelete.
ReplyDeleteयथार्थ को खूबसूरती से चित्रित करती बेहतरीन रचना। चलिए नयी उम्मीद और उमंग के साथ , नए साल का स्वागत करते हैं मिलजुल कर।
नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाओं के साथ ,
दिव्या।
.
बाऊ जी,
ReplyDeleteनमस्ते!
पुराने साल के दर्द को भरपूर उकेरा है आपने.
और नए साल को प्रेरणा दी है.
आभार!
आशीष
---
हमहूँ छोड़के सारी दुनिया पागल!!!
मानव की आशा ही नहीं वरन विश्वास को आपने सुन्दर शब्द दिया है .बहुत सुन्दर रचना ...आपको नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें
ReplyDeleteवर्ष पड़ी काली छाया जो,
ReplyDeleteत्यक्त वहीं कर दें हम कल,
नूतन की अभिलाषा, आशा,
में जीवित हो प्राणि सकल।
बीते वर्ष के यथार्थ को शब्द दिए हैं आपने ... पर फिर भी आशा तो रहती ही है .....
ReplyDeleteआपको और आपके पूरे परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो ...
मेरी नई पोस्ट "उम्मीद पे कायम दुनिया" के लिये मेरे ब्लाग 'नजरिया' को देखें व उपर्युक्त समझें तो कृपया इसे फालो भी कर लें । धन्यवाद...
ReplyDeletehttp://najariya.blogspot.com
इतनी सुंदर कविता के साथ नव वर्ष का आगाज़ ... धन्यवाद
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
जब सपना टूटता है
ReplyDeleteतो वर्तमान,
भूत से भी ज्यादा
असहनीय हो जाता है.
नमन आदरणीय सर 🙏😔🙏😔🙏🙏🙏
ReplyDelete