चाँद छुप जाओ बादलों में अभी,
कहीं ज़माने की तुम्हें नज़र न लगे।
प्यार का अर्थ कहाँ समझा है इस दुनियाँ ने,
पाक़ दामन में भी है दाग लगा कर छोड़ा।
ज़िस्म के रिश्ते को ही बस प्यार समझते ये हैं,
रूह के रिश्तों को कभी प्यार से नहीं जोड़ा।
अभी न लाओ अधर पर दिल की बातें,
कहीं ज़माने को यह न गुनाह लगे।
जाति, मज़हब के लिए खून बहा सकते हैं,
प्यार के साथ को न हाथ बढ़ाता कोई।
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
दंगों में जली बस्ती न बनाता कोई।
चलो आज और नयी डगर ढूंढें,
मंज़िलों का किसी को पता न लगे।
मूँद लो नयन, न कहीं ख़्वाब अश्रु बन जायें,
चलो वहाँ जहां हर ख़्वाब एक हक़ीक़त हो।
क़दम न रोकें जहां ज़ंजीर झूठे रिश्तों की,
जहां न प्यार की किस्मत में बस नसीहत हो।
अभी छुपा लो सितारों को अपने दामन में,
सजाना जूड़े में जहां पर कोई नज़र न लगे।
जाति, मज़हब के लिए खून बहा सकते हैं,
ReplyDeleteप्यार के साथ को न हाथ बढ़ाता कोई।
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
दंगों में जली बस्ती न बनाता कोई।
.....बहुत ही खुबसूरत रचना .....
अभी छुपा लो सितारों को अपने दामन में,
ReplyDeleteसजाना जूड़े में जहां पर कोई नज़र न लगे।
बहुत खूब कहा है ।
बादल चमक कुन्द करने में लगे हुये हैं। सुन्दर कविता।
ReplyDeletewaah... kitnee sundarta... waah...
ReplyDeleteचलो आज और नयी डगर ढूंढें,
मंज़िलों का किसी को पता न लगे।
lajawaab...
मूँद लो नयन, न कहीं ख़्वाब अश्रु बन जायें,
ReplyDeleteचलो वहाँ जहां हर ख़्वाब एक हक़ीक़त हो।
क़दम न रोकें जहां ज़ंजीर झूठे रिश्तों की,
जहां न प्यार की किस्मत में बस नसीहत हो।
bahut khub ...
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने . आज नज़र ही खराब हो गयी है.
ReplyDeletebahut sunder rachna :)
ReplyDeleteजाति, मज़हब के लिए खून बहा सकते हैं,
ReplyDeleteप्यार के साथ को न हाथ बढ़ाता कोई।
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
दंगों में जली बस्ती न बनाता कोई।
बहुत सही कहा है सर!
सादर
खूबसूरत अभिव्यक्ति। बधाई।
ReplyDeleteमूँद लो नयन, न कहीं ख़्वाब अश्रु बन जायें,
ReplyDeleteचलो वहाँ जहां हर ख़्वाब एक हक़ीक़त हो।
क़दम न रोकें जहां ज़ंजीर झूठे रिश्तों की,
जहां न प्यार की किस्मत में बस नसीहत हो।
यही सच्चाई है आज के समाज की, हकीकत बयान करती दिल को गहरे तक छू जाने वाली कविता!
हकीकत बयान करती दिल को गहरे तक छू जाने वाली कविता| बधाई।
ReplyDeleteप्यार तो बस प्यार है.....हर बंधन से परे...हर सीमा से परे...
ReplyDeleteरूह के रिश्तों को कभी प्यार से नहीं जोड़ा
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति पर बधाई ||
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
ReplyDeleteदंगों में जली बस्ती न बनाता कोई।
सही कहा है ..बहुत सुन्दर रचना ..
bahut hi nirmal soch.
ReplyDeleteअभी न लाओ अधर पर दिल की बातें,
ReplyDeleteकहीं ज़माने को यह न गुनाह लगे।
बेहतरीन रचना है सर,
सादर...
सुन्दर शब्द, सुन्दर भाव।
ReplyDeleteमूँद लो नयन, न कहीं ख़्वाब अश्रु बन जायें,
ReplyDeleteचलो वहाँ जहां हर ख़्वाब एक हक़ीक़त हो।
क़दम न रोकें जहां ज़ंजीर झूठे रिश्तों की,
जहां न प्यार की किस्मत में बस नसीहत हो।
बहुत सुंदर रचना ....
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
ReplyDeleteदंगों में जली बस्ती न बनाता कोई।
इस पद में न सिर्फ़ हक़ीक़त का बयान है बल्कि समस्या के समाधान की दिशा भी बताई गई है।
prem me dubi behtreen rachna...
ReplyDeleteबहुत सटीक और भावपूर्ण रचना |बधाई
ReplyDeleteमूँद लो नयन, न कहीं ख़्वाब अश्रु बन जायें,
ReplyDeleteचलो वहाँ जहां हर ख़्वाब एक हक़ीक़त हो।
ख्वाबों को हकीकत में बदलने का सुंदर प्रयास एक भावपूर्ण रचना द्वारा. बधाई.
मूँद लो नयन, न कहीं ख़्वाब अश्रु बन जायें,
ReplyDeleteचलो वहाँ जहां हर ख़्वाब एक हक़ीक़त हो।
क़दम न रोकें जहां ज़ंजीर झूठे रिश्तों की,
जहां न प्यार की किस्मत में बस नसीहत हो।
गीत के भावों को शब्दों के ताने-बाने ने अनुपम सौंदर्य प्रदान किेया है।
अभी न लाओ अधर पर दिल की बातें,
ReplyDeleteकहीं ज़माने को यह न गुनाह लगे।
बेहतरीन रचना..............
बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteबेहतरीन रचना.. सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteअभी न लाओ अधर पर दिल की बातें,
ReplyDeleteकहीं ज़माने को यह न गुनाह लगे।
गुनाह लगे तो लगने दीजिये,इज़हार तो करना ही होगा
जाति, मज़हब के लिए खून बहा सकते हैं,
ReplyDeleteप्यार के साथ को न हाथ बढ़ाता कोई।
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
दंगों में जली बस्ती न बनाता कोई। gudh rachna
अभी न लाओ अधर पर दिल की बातें,
ReplyDeleteकहीं ज़माने को यह न गुनाह लगे।
Loved these lines..
Awesome read as ever !!
जाति, मज़हब के लिए खून बहा सकते हैं,
ReplyDeleteप्यार के साथ को न हाथ बढ़ाता कोई।
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
दंगों में जली बस्ती न बनाता कोई।
बहुत खुबसूरत रचना .....
ज़िस्म के रिश्ते को ही बस प्यार समझते ये हैं,
ReplyDeleteरूह के रिश्तों को कभी प्यार से नहीं जोड़ा।
बहुत ही खूबसूरत अहसास भरे हैं .......लाजवाब|
जाति, मज़हब के लिए खून बहा सकते हैं,
ReplyDeleteप्यार के साथ को न हाथ बढ़ाता कोई।
हाथ जुड़ जाते हैं नफरत का मकां गढ़ने को,
दंगों में जली बस्ती न बनाता कोई।
मेरी घरेलु भाषा भोजपुरी है.. इच्छा हुई की भोजपुरी में प्रतिक्रिया दूँ...
बहुत बढ़िया लिखले बनी.. आभार.. राउर प्रतिक्रिया के हमरो बा इंतिजार.. एक बेर जरूर आइब.. राउर स्वागत बा...
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब कविता लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
विरले ही कोई समझ पाता है प्यार को । जो समझ ले वही खुशनसीब है।
ReplyDeleteअभी छुपा लो सितारों को अपने दामन में,
ReplyDeleteसजाना जूड़े में जहां पर कोई नज़र न लगे।
wah kitna sunder likha hai...
शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.
ReplyDeleteधीरे धीरे ये प्यार खत्म हो रहा है ... लाजवाब रचना है ...
ReplyDeleteनव रात्री की मंगल कामनाएं ..
बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना |इस पावन पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteआशा
प्यार का अर्थ कहाँ समझा है इस दुनियाँ ने,
ReplyDeleteपाक़ दामन में भी है दाग लगा कर छोड़ा।
ज़िस्म के रिश्ते को ही बस प्यार समझते ये हैं,
रूह के रिश्तों को कभी प्यार से नहीं जोड़ा।
उत्कृष्ट रचना.जमाने की हकीकत को खूबसूरती से बयां किया है.
प्यार का अर्थ कहाँ समझा है इस दुनियाँ ने,
ReplyDeleteपाक़ दामन में भी है दाग लगा कर छोड़ा।
ज़िस्म के रिश्ते को ही बस प्यार समझते ये हैं,
रूह के रिश्तों को कभी प्यार से नहीं जोड़ा।
उत्कृष्ट रचना.जमाने की हकीकत को खूबसूरती से बयां किया है.
सुन्दर कविता !
ReplyDeleteअभिव्यक्ति की सुंदर प्रस्तुति....नवरात्रि की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteमूँद लो नयन, न कहीं ख़्वाब अश्रु बन जायें,
ReplyDeleteचलो वहाँ जहां हर ख़्वाब एक हक़ीक़त हो।
क़दम न रोकें जहां ज़ंजीर झूठे रिश्तों की,
जहां न प्यार की किस्मत में बस नसीहत हो।
बहुत सुंदर भाव लिए बहुत ही सुंदर प्रस्तुति /बधाई आपको /
आपको और आपके परिवार को नवरात्री की बहुत शुभकामनाएं/मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /आभार /
प्यार का अर्थ कहाँ समझा है इस दुनियाँ ने,
ReplyDeleteपाक़ दामन में भी है दाग लगा कर छोड़ा।
ज़िस्म के रिश्ते को ही बस प्यार समझते ये हैं,
रूह के रिश्तों को कभी प्यार से नहीं जोड़ा।
सत्य अभिव्यक्ति। सुंदर गजल की प्रस्तुति के लिये बधाई।