दिन में ही अब
घूमते भेड़िये
तलाश में शिकार की
और करते शिकार खुले आम,
भयभीत हैं सभी
लगाते गुहार मदद की
पर जंगल का राजा शेर
अपना पेट भरने के बाद
सोया है गहरी नींद में,
क्यूंकि वह है सुरक्षित
घूमते भेड़िये
तलाश में शिकार की
और करते शिकार खुले आम,
भयभीत हैं सभी
लगाते गुहार मदद की
पर जंगल का राजा शेर
अपना पेट भरने के बाद
सोया है गहरी नींद में,
क्यूंकि वह है सुरक्षित
अपनी मांद में
और नहीं है चिंता
मासूम प्रजा की.
बढाने होंगे खरगोश को ही
अब अपने नाखून और दांत
साहस और शक्ति
मुकाबला करने भेड़ियों से,
अब भेड़ियों को प्राप्त है
शेरों का संरक्षण.
© कैलाश शर्मा
और नहीं है चिंता
मासूम प्रजा की.
बढाने होंगे खरगोश को ही
अब अपने नाखून और दांत
साहस और शक्ति
मुकाबला करने भेड़ियों से,
अब भेड़ियों को प्राप्त है
शेरों का संरक्षण.
© कैलाश शर्मा
अ -सुरक्षित नारी को समर्पित बढ़िया पोस्ट .शेर नहीं वह रंगा सियार है ,जर खरीद गुलाम है ,चर्च की इतालवी भारतीय चाची का .
ReplyDelete...अब तो शर्म भी नहीं आती इन पर!
ReplyDeleteसही बात कही सर!
ReplyDeleteसादर
आज के हालात की सटीक तस्वीर पेश करी है आपने ....
ReplyDeleteकाश! कोई ख़रगोश को बचा ले ...उसे न बड़े करने पड़े अपने नाख़ून !!!
शुभकामनायें!
आज यही तो हो रहा है .. प्रभावी रचना..
ReplyDeleteprabhavi raachna ..aaj ka sach...
ReplyDeleteबेहतरीन,सटीक रचना,,,,
ReplyDeleterecent post: वजूद,
पता नहीं कब तक देगा शेर भेड़ियों को संरक्षण... सटीक अभिव्यक्ति... आभार
ReplyDeleteएक जुट होकर ऐसे भेड़ियों का खात्मा करना है इससे अधिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ
ReplyDeletesarthak abhivaykti...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...सटीक रचना,
ReplyDeleteन जाने कैसी बाजियाँ सज रही हैं।
ReplyDeleteबढाने होंगे खरगोश को ही
ReplyDeleteअब अपने नाखून और दांत
सच कहा आपने .... साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि खरगोश अपनी सुरक्षा के लिए ही बढ़ाये नाखून कहीं खुद भी भेड़ियों की जमात में शामिल न हो जाए
सर दिल्ली के शासन तंत्र का जोरदार काव्यात्मक चित्रण |सुन्दर कविता आभार |
ReplyDeleteबहुत ही सच्ची बात कहीं साथ ही आम जनता को हिम्मत का शंदेश और सत्ता पर तीक्षण कटाक्ष।
ReplyDeleteउम्दा रचना।
मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है: नम मौसम, भीगी जमीं ..
सटीक और गहन।
ReplyDeleteकितने ही पैने कर ले खरगोश अपने नाखून अगर भेड़ियों का झुंड हो उसके पीछे पड़ जाये तो क्या किया जाए ?
ReplyDeleteफिर भी खुद की सुरक्षा के लिए सोचना तो होगा ही ....
nice mssg
ReplyDelete
ReplyDeleteशासन सीधा और सोनिया का जब चलता दिल्ली में
शासन सीधा और सोनिया का चलता जब दिल्ली में ,
सरे आम अब रैप से फटतीं ,अंतड़ियां अब दिल्ली में .
चंद मज़हबी वोट मिलें ,आग लगे चाहे भारत में ,
दागी नेता पुलिस के डंडे ,पिटते साधु दिल्ली में .
राष्ट्र सारा उद्वेलित है कैलाश शर्मा जी , क्या टिपण्णी करें .
ReplyDeleteकभी लिखा गया था -
बाप बेटा बेचता है ,बाप बेटा बेचता है ,
भूख से बेहाल होकर राष्ट्र सारा देखता है .
दुर्भिक्ष पर ये पंक्तियाँ लिखी गई थीं कभी आज वहशियों ने जो दिल्ली में किया है उसने भी वैसी ही छटपटाहट पैदा की है राष्ट्र में लेकिन मनमोहन जी की नींद तब खराब होती है जब ऑस्ट्रेलिया में संदिग्ध अवस्था में कोई मुसलमान पकड़ा जाता है यह है सेकुलर चरित्र इस सरकार का औए एक अदद राजकुमार का जो कलावती की दावत उड़ाने फट पहुंचता है लेकिन फिलवक्त इस कथित युवा को सांप सूंघ गया है .
सोनिया जी जिनका भारत पे राज हैं खुद परेशान हैं क्या करूँ इस मंद बुद्धि का जो गत बरसों में वहीँ का वहीँ हैं ,इससे तो प्रियंका को लांच लरना था .
बलात्कृत युवती से उनका क्या लेना देना .कल बीस तारीख है इनका गुजरात से सूपड़ा साफ़ हो जाएगा और एक अदद राजकुमार की नींद उड़ जायेगी .
एक टिपण्णी ब्लॉग पोस्ट :
TUESDAY, DECEMBER 18, 2012
भेड़िये
्सच कहा
ReplyDeleteअपने इस दर्द के साथ यहाँ आकर उसे न्याय दिलाने मे सहायता कीजिये या कहिये हम खुद की सहायता करेंगे यदि ऐसा करेंगे इस लिंक पर जाकर
इस अभियान मे शामिल होने के लिये सबको प्रेरित कीजिए
http://www.change.org/petitions/union-home-ministry-delhi-government-set-up-fast-track-courts-to-hear-rape-gangrape-cases#
कम से कम हम इतना तो कर ही सकते हैं
सही कहा आपने ......
ReplyDeleteआज के हालातों पर तीखा कटाक्ष..सचमुच आज स्वयं ही जगना होगा..
ReplyDelete"बढाने होंगे खरगोश को ही
ReplyDeleteअब अपने नाखून और दांत
साहस और शक्ति
मुकाबला करने भेड़ियों से,
अब भेड़ियों को प्राप्त है
शेरों का संरक्षण."
सही कहा आपने....
शायद अब कोई उपाय नहीं बचा...!
अनदेखा अनसुलझा दर्द ...
ReplyDeleteसच...दिल्ली जैसी घटनाएं हमें मजबूरन ये मानने पर मजबूर कर देती है कि हम इंसानों की दुनिया में तो नहीं रह रहे..सुंदर प्रस्तुति।।।
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