Tuesday, December 17, 2013

‘मैं’ एक समस्यायें अनेक

समस्यायें अनेक
रूप अनेक
लेकिन व्यक्ति केवल एक।
नहीं होता स्वतंत्र अस्तित्व
किसी समस्या या दुःख का,
नहीं होती समस्या 
कभी सुप्तावस्था में,
जब जाग्रत होता 'मैं'
घिर जाता समस्याओं से।

मेरा 'मैं'
देता एक अस्तित्व 
मेरे अहम् को 
और कर देता आवृत्त
मेरे स्वत्व को।
मैं भुला देता मेरा स्वत्व
और धारण कर लेता रूप 
जो सुझाता मेरा 'मैं'
अपने अहम् की पूर्ती को।

नहीं होती कोई सीमा 
अहम् जनित इच्छाओं की,
अधिक पाने की दौड़ देती जन्म 
ईर्ष्या, घमंड और अवसाद 
और घिर जाते दुखों के भ्रमर में।

'मैं' नहीं है स्वतंत्र शरीर या सोच,
जब हो जाता तादात्म्य 'मैं' का 
किसी भौतिक अस्तित्व से 
तो हो जाता आवृत्त अहम् से
और बन जाता कारण दुखों 
और समस्याओं का.

कर्म से नहीं मुक्ति मानव की
लेकिन अहम् रहित कर्म 
नहीं है वर्जित 'मैं'.
हे ईश्वर! तुम ही हो कर्ता
मैं केवल एक साधन 
और समर्पित सब कर्म तुम्हें
कर देता यह भाव 
मुक्त कर्म बंधनों से,
और हो जाता अलोप 'मैं'
और अहम् जनित दुःख।

जब हो जाता तादात्म्य
अहम् विहीन ‘मैं’ का  
निर्मल स्वत्व से, 
हो जाते मुक्त दुखों से 
और होती प्राप्त परम शांति।


….कैलाश शर्मा 

33 comments:

  1. कर्म से नहीं मुक्ति मानव की
    लेकिन अहम् रहित कर्म
    नहीं है वर्जित 'मैं'.वाह!!! बेहतरीन गहन भाव अभिव्यक्ति ....

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  2. नहीं होता स्वतंत्र अस्तित्व
    किसी समस्या या दुःख का,
    नहीं होती समस्या
    कभी सुप्तावस्था में,
    जब जाग्रत होता 'मैं'
    घिर जाता समस्याओं से।...... कितनी गारी बात कही है आपने .. मैं की जाग्रति ही समस्याओं को उत्पन्न करती है
    हे ईश्वर! तुम ही हो कर्ता
    मैं केवल एक साधन
    और समर्पित सब कर्म तुम्हें
    कर देता यह भाव
    मुक्त कर्म बंधनों से,
    और हो जाता अलोप 'मैं'
    और अहम् जनित दुःख।.... सही में .. यह विचारधारा हो तो समस्त कष्टों का स्वतः ही अंत हो जाए .. कैलाश जी आपकी कविता तो मनो गीता का सार है .. उत्तम उत्कृष्ट अभिव्यक्ति!

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  3. एक अंतहीन सिलसिला जो अनवरत चलता रहता गीता के भावों का संचार करती उत्किष्ट प्रस्तुति

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  4. एकात्म करती मन:स्थिति

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  5. बहुत ही उम्दा,उत्कृष्ट प्रस्तुति...!
    RECENT POST -: एक बूँद ओस की.

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  6. मैं का विस्तार... बस समझ आ जाए तो परम शांति प्राप्त हो जाती है !!
    आभार सुंदर प्रस्तुति के लिए ...!!

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  7. वाह बहुत बढिया...

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  8. जब हो जाता तादात्म्य
    अहम् विहीन ‘मैं’ का
    निर्मल स्वत्व से,
    हो जाते मुक्त दुखों से
    और होती प्राप्त परम शांति।

    दार्शनिक चिंतन से परिपूर्ण एक गहन रचना ! जिस दिन हमारे मन पर अधिकार जमाने वाला 'अहम्' विलीन हो जायेगा हमारा 'मैं' पूरी तरह से निष्काम एवँ निर्मल हो जायेगा !

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  9. सारी बीमारी की जड़ मै ही तो है...सुन्दर...

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  10. बहुत बढ़िया बात कही है आपने.

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  11. Advanced Merry Christmas & Happy New Year greetings and also Thanks and Smiles:) for ur support till now Dear Kailash Sharmaji God<3U:)

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  12. बढ़िया प्रस्तुति -
    आभार आपका-

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  13. कर्म से नहीं मुक्ति मानव की
    लेकिन अहम् रहित कर्म
    नहीं है वर्जित 'मैं'.
    हे ईश्वर! तुम ही हो कर्ता
    मैं केवल एक साधन
    और समर्पित सब कर्म तुम्हें
    कर देता यह भाव
    मुक्त कर्म बंधनों से,
    और हो जाता अलोप 'मैं'
    और अहम् जनित दुःख।
    गीता का कर्मयोग ..मैं नहीं करता हूँ...आप करवाते हो -बहुत अच्छा
    नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य (भाग १)
    नई पोस्ट चंदा मामा

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  14. जब हो जाता तादात्म्य
    अहम् विहीन ‘मैं’ का
    निर्मल स्वत्व से,
    हो जाते मुक्त दुखों से
    और होती प्राप्त परम शांति।

    बहुत गहन अनुभूति...आभार !

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  15. कल 19/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  16. Waah....bahut sundar
    Puri 'tu-tu-me-me' hi is "main" ki hai :-)

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  17. हर परिस्थिति में स्वयं को यथारूप स्थापित ही करना होता है।

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  18. स्‍वयं के लोप की समस्‍त संभावनाएं क्षीण हो गईं प्रतीत होती हैं, लेकिन तब भी आत्‍म-टंकार जगा ही देती है अपने विचलन पर। समस्‍याओं की जड़ पर प्रहार है यह कवितामयी प्रस्‍तुति।

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  19. कर्म से नहीं मुक्ति मानव की
    लेकिन अहम् रहित कर्म
    नहीं है वर्जित 'मैं'.
    हे ईश्वर! तुम ही हो कर्ता
    मैं केवल एक साधन
    और समर्पित सब कर्म तुम्हें
    कर देता यह भाव
    मुक्त कर्म बंधनों से,
    और हो जाता अलोप 'मैं'
    और अहम् जनित दुःख।

    गीता सार। सुन्दर भाव मोक्ष का नुस्खा।

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  20. बहुत सुंदर रचना...

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  21. मैं अहम् और हम का दोनों का बोध देता है , मगर दोनों में ही है फर्क बहुत !
    सुन्दर भाव !

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  22. ये परम शान्ति जितनी जल्दी आए ... उतना ही सहज हो जाता है जीवन ...

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  23. सुन्दर चिंतन!
    ***

    जन्मदिवस की अनंत शुभकामनाएं!
    सादर!

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  24. अत्यंत गहन और सुन्दर |

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  25. जीवन के दर्शन को कहती सुन्दर रचना ..... गहन प्रस्तुति

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  26. sanatan saty baat ki aham ke naash ke bina hamara sahi satva prakat nahi hota hai

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  27. "Kailash ji,
    "Aham rahit karm." Bhut sundar Gita ka saar.
    Vinnie

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