बहते अश्क़ों को रोक लिया.
अंतस को जितने घाव मिले
स्मित से उनको ढांक लिया.
विस्मृत कर अब सब रिश्तों को,
अब मैंने फ़िर जीना सीख लिया.
करतल पर खिंची लकीरों को
है ख़ुद मैंने आज खुरच डाला.
अब किस्मत की चाबी मुट्ठी में,
खोलूँगा सभी बेड़ियों का ताला.
नहीं चाह फूलों से आवृत राहें हों,
मैंने काँटों पर चलना सीख लिया.
हर घर में पड़ी खरोंचें हैं,
अहसासों की दीवारों पर.
हर सांसें आज घिसटती हैं,
अश्रु हैं रुके किनारों पर.
अब पीछे मुड़ कर मैं क्यों देखूं,
सूनी राहों पर चलना सीख लिया.
क्यूँ करूँ तिरस्कृत अँधियारा,
मैं अब इंतज़ार में सूरज के.
है रहा साथ जो जीवन भर,
कैसे चल दूँ उसको तज के.
अब एकाकीपन नहीं सताता है,
आईने में अब साथी ढूंढ लिया.
....कैलाश शर्मा
प्रेरणाप्रद।
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteआभार...
ReplyDeleteआभार...
ReplyDeleteसुंदर लेखन व प्रस्तुति , सर धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
अब एकाकीपन नहीं सताता है,
ReplyDeleteआईने में अब साथी ढूंढ लिया.
...गहन चिंतन पर मजबूर करती मर्मस्पर्शी रचना ...
yahi achha hai ...vigat ko bhul kar hi nayee rah mil payegi....bahut sundar
ReplyDeleteअब एकाकीपन नहीं सताता है,
ReplyDeleteआईने में अब साथी ढूंढ लिया.
वाह... बहुत बढ़िया
आपके लिखे से बहुत कुछ सिखने को मिलता है
ReplyDeleteसार्थक सुंदर लेखन
मर्मस्पर्शी ...प्रेरणादायी.....
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर, प्रेरक, बधाई आदरणीय
ReplyDeleteसटीक और सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteसारगर्भित सुंदर रचना !!
ReplyDeleteवाह ! क्या बात है ! हर पंक्ति कुछ प्रेरणा देती सी, हर शब्द कुछ सिखाता सा ! अपने हालात से दोस्ती करने की सार्थक शिक्षा देती उत्कृष्ट प्रस्तुति !
ReplyDeleteAAMIN NO WORDS TO SAY .....
ReplyDeleteमन की सच्चाइयों को वर्णित करती ,सुन्दर कविता!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletewaah.. kyaa baat hai... sir
ReplyDeletebehtareen rachna
सुंदर रचना.
ReplyDeleteवाह क्या खुब कहा है आपने शर्मा जी। जिन्दगी का ऐसा सच जिससे हर कोई गुजरता है कभी ना कभी और कुछ तो अक्सर ही।
ReplyDeleteचारों ओर से मिली निराशा के बाद खुद ही अपनेआपको सम्हालना होता है यही जिन्दगी है । बहुत सुन्दर...।
ReplyDeleteहर घर में पड़ी खरोंचें हैं,
ReplyDeleteअहसासों की दीवारों पर.
हर सांसें आज घिसटती हैं,
अश्रु हैं रुके किनारों पर.
एकदम सुन्दर
सुंदर और प्रेरणादायी...
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति !
ReplyDeleteप्रेरणादायी और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteप्रभावशाली रचना , मंगलकामनाएं भाई जी !!
ReplyDeletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2014/10/2014-7.html
ReplyDeleteबहुत उम्दा... बधाई....
ReplyDeleteजीने के लिए जो संभव हो उसे करना ही पड़ता है ... फिर चाहे अंधियारे का साथ हो ... प्यार जिससे हो जाए कहाँ छोड़ा जाता है ...
ReplyDeleteएक नए अंदाज एवं शैली में प्रस्तुत आपकी पोस्ट अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteअनुपम प्रस्तुति....आपको और समस्त ब्लॉगर मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@बड़ी मुश्किल है बोलो क्या बताएं
सुंदर प्रस्तुति..
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआभार।
सुंदर और प्रेरणादायी...प्रभावशाली रचना ,
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