इश्क़ को ज़ब से बहाने आ गए,
दर्द भी अब आज़माने आ गए।
दर्द की रफ़्तार कुछ धीमी हुई,
और भी गम आज़माने आ गए।
कौन कहता है अकेला हूँ यहाँ,
याद भी हैं साथ देने आ गए।
रात भर थे साथ में आंसू मिरे,
सामने तेरे छुपाने आ गए।
हाथ में जब हाथ था आने लगा,
बीच में फिर से ज़माने आ गए।
(अगज़ल/अभिव्यक्ति)
....©कैलाश शर्मा
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही लाजवाब कमाल के शेरों से सजी गज़ल ...
ReplyDeleteज़माने का काम ही है बीच में आ जाना अच्छे शेरो से सजी गज़ल
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल।
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल।
ReplyDeleteवाह ! हर शेर लाजवाब ! बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल !
ReplyDeleteआभार..
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, खुशहाल वैवाहिक जीवन का रहस्य - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार..
Deleteआभार..
DeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteअच्छी गजल कही शर्मा जी बधाई
ReplyDeleteसुंदर ग़ज़ल ।
ReplyDeleteअच्छी गजल ........ शर्मा जी
ReplyDeleteराज चौहान
आपका मेरे ब्लॉग पर इंतजार है.
अज्ञेय जी की रचना... मैं सन्नाटा बुनता हूँ :)
http://rajkumarchuhan.blogspot.in
ReplyDeleteकौन कहता है अकेला हूँ यहाँ,
याद भी हैं साथ देने आ गए।
रात भर थे साथ में आंसू मिरे,
सामने तेरे छुपाने आ गए
पहली बार शायद आपकी गजल पढ़ रहा हूँ और यकीन मानिए अच्छी बन पड़ी है आदरणीय शर्मा जी !!
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....
कौन कहता है अकेला हूँ यहाँ,
ReplyDeleteयाद भी हैं साथ देने आ गए।
Bahut Umda
उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteबस यही कहूंगा......वाह...वाह...वाह.....बहुत बहुत बधाई......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहद उम्दा
''इश्क को जब बहाने आ गए.., दर्द को वह अजमाने आ गए'' बेहद उम्दा रचना की प्रस्तुति।
ReplyDeletetaejcbvk
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