Saturday, September 05, 2015

ऊधो, कहाँ गये मेरे श्याम

**श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं**   

ऊधो, कहाँ गये मेरे श्याम।
श्याम बिना कैसे मन लागे, अश्रु बहें अविराम।     
कछू न भावत है जग माहीं, बिन सूरत अभिराम।      
ज्ञान लगे नीरस इस मन को, ढूंढ रहा मन श्याम।       
अब तो आन मिलो हे कान्हा, सूना है बृज धाम।            
निकस न पायें प्राण हमारे, बिना दरस के श्याम।          
हुआ कठोर तुम्हारा मन क्यों, ऐसे कब थे श्याम।

...©कैलाश शर्मा

15 comments:

  1. वाह ! अति सुन्दर।

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  2. वाह ! अति सुन्दर।

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  3. वाह अति सुन्दर ... कृष्ण अष्टमी के दिन श्याम चरण वंदन ...

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (06-09-2015) को "मुझे चिंता या भीख की आवश्यकता नहीं-मैं शिक्षक हूँ " (चर्चा अंक-2090) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तथा शिक्षक-दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. देख संसार की करतूते मौन हैं भगवान ..
    सामयिक चिंतन प्रस्तुति हेतु आभार !
    जन्माष्टमी की हार्दिक मंगलकामनाएं

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  6. अब तो आन मिलो हे कान्हा, सूना है बृज धाम।
    निकस न पायें प्राण हमारे, बिना दरस के श्याम।

    सुंदर वंदना. जन्माष्टमी की शुभकामनायें.

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  7. भक्ति रस में ओतप्रोत सुंदर रचना ..

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  8. कैलाश जी ! आपने तो बिल्कुल सूरदास जैसा लिख दिया है । आपकी भावना प्रणम्य है ।

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  9. ​बहुत सुन्दर दोहे आदरणीय कैलाश शर्मा जी ! श्री कृष्णा जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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  10. बहुत सुन्दर कैलाश शर्मा जी

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  11. उत्कृष्ट प्रस्तुति

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