आज दिल ने है कुछ
कहा होगा,
अश्क़ आँखों में थम
गया होगा।
आज खिड़की नहीं कोई
खोली,
कोइ आँगन में आ गया
होगा।
आज सूरज है कुछ इधर
मद्धम,
केश से मुख है ढक
लिया होगा।
दोष कैसे किसी को
मैं दे दूं,
तू न इस भाग्य में
लिखा होगा।
दोष मेरा है, न कुछ
भी तेरा,
वक़्त ही बावफ़ा न रहा
होगा।
...©कैलाश शर्मा
वाहः बहुत खूब
ReplyDeleteदोष मेरा है, न कुछ भी तेरा,
ReplyDeleteवक़्त ही बावफ़ा न रहा होगा।
.... वाह जी , ये हुई न बात ः)
Bhut sundar
ReplyDeleteBhut sundar
ReplyDeleteवाह ! क्या बात है सुन्दर ,कोमल भावनाओं से सजी रचना आभार। "एकलव्य"
ReplyDeleteवक़्त ही बावफ़ा न रहा होगा।
ReplyDelete-- दोष दें भी तो किसे !
दोष मेरा है, न कुछ भी तेरा,
ReplyDeleteवक़्त ही बावफ़ा न रहा होगा। ..वाह
दोष मेरा है, न कुछ भी तेरा,
ReplyDeleteवक़्त ही बावफ़ा न रहा होगा।
बढ़िया अंदाज़, वक़्त की बेवफ़ाई का एक रंग यह भी है ।
बहुत सुंदर लिखा है आदरणीय !सरलता और सादगी से की गई नाजुक भावों की अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteआभार .....
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 2 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार...
Deleteआदरणीय कैलाश जी -- आज आपके ब्लॉग पर पहली बार आकर आपकी ये सुंदर भावभीनी रचना पढ़ी | बहुत अच्छी लगी | शुभकामना आपको -----------
ReplyDeleteलाजवाब़ गज़ल लिखी आपने आदरणीय।👌👌
ReplyDeleteबहुत खूब ... गहरा एहसास लिए ...
ReplyDeleteआज खिड़की नहीं कोई खोली,
कोइ आँगन में आ गया होगा ... क्या बात सर ... ताज़ा हवा के झोंके की तरह ...
दोष कैसे किसी को मैं दे दूं,
ReplyDeleteतू न इस भाग्य में लिखा होगा।
वाह !!!
लाजवाब...
बहुत सुन्दर ! काबिलेतारीफ़ आभार। "एकलव्य"
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना ! आभार ।
ReplyDeleteबेहतरीन !!!
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन article लिखा है आपने। Share करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। :) :)
ReplyDeleteनाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे।
ReplyDeleteइस लिंक पर जाएं :::::
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