व्याकुल
हैं भाव
उतरने को पन्नों पर,
लेकिन सील गये पन्ने
रात भर अश्कों से,
सियाही लिखे शब्दों की
बिखर जाती पन्नों पर
और बदरंग हो जाते पन्ने
गुज़री ज़िंदगी की तरह।।
उतरने को पन्नों पर,
लेकिन सील गये पन्ने
रात भर अश्कों से,
सियाही लिखे शब्दों की
बिखर जाती पन्नों पर
और बदरंग हो जाते पन्ने
गुज़री ज़िंदगी की तरह।।
*****
क्यों उलझ जाती ज़िंदगी
रिश्तों के जाल में,
होता कठिन सुलझाना
इस मकड़जाल को,
न ही तोड़ पाते
न ही सुलझा पाते
उलझे धागे,
कितना कठिन निकलना बाहर
और जी पाना मुक्त बंधनों से।
रिश्तों के जाल में,
होता कठिन सुलझाना
इस मकड़जाल को,
न ही तोड़ पाते
न ही सुलझा पाते
उलझे धागे,
कितना कठिन निकलना बाहर
और जी पाना मुक्त बंधनों से।
*****
काश पढ़ ही लेते
अपने दिल की क़िताब,
मिल जाते उत्तर
मुझसे पूछे
अनुत्तरित प्रश्नों के।
अपने दिल की क़िताब,
मिल जाते उत्तर
मुझसे पूछे
अनुत्तरित प्रश्नों के।
...©कैलाश शर्मा
सच में कठिन है निकलना बाहर इस मकड़जाल से और जी पाना मुक्त बंधनों से !
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (25-08-2017) को "पुनः नया अध्याय" (चर्चा अंक 2707) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार...
Deleteवाह ! क्या बात है ! बहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्तुति हुई है आदरणीय ! बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत खूब ... तीनों दिल की बात करते हुए ... उलझी जिंदगी को सुलझाना आसान तो नहीं होता ... हाँ भूल सके इंसान तो जीना आसान हो जाता है...
ReplyDeleteबहुत सुंदर सार युक्त आपकी सुंदर रचना।
ReplyDeleteवाह, तीनों ही शब्द चित्र लाजवाब हैं..दिल की किताब में ही सारे जवाब हैं..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteकाश पढ़ ही लेते
ReplyDeleteअपने दिल की क़िताब,
मिल जाते उत्तर
मुझसे पूछे
अनुत्तरित प्रश्नों के।
तीनों ही क्षणिकाएं बहुत सुन्दर और प्रभावी रूप में लिखी गई हैं लेकिन मुझे आखरी वाली बहुत ही अलग और सटीक लगी !!
आदरणीय -- आपकी तीनो क्षणिकाएं मन को छू गयी | खासकर तीसरी क्षणिका तो गागर में सागर है | सादर हार्दिक शुभकामना आपको --------
ReplyDeleteऔर बदरंग हो जाते पन्ने
ReplyDeleteगुज़री ज़िंदगी की तरह ।
हृदयस्पर्शी पंक्तियां ।
दार्शनिक अंदाज़ से लबालब गंभीर क्षणिकाएं जो अपने आप में परिपूर्ण हैं। बहुत ख़ूब आदरणीय।
ReplyDeleteValentine Gifts Online
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