चहुँ ओर गहन अँधियारा है,
विश्वास सुबह का पर बाकी.
हो रहा अधर्म है आच्छादित,
है स्थापन धर्म वचन बाकी.
अब नहीं धर्म का राज्य यहाँ,
अपने स्वारथ में सभी व्यस्त.
दुर्योधन जाग उठा फ़िर से,
बेबस द्रोपदी फिर आज त्रस्त.
द्वापर में आये तुम कान्हा,
कलियुग में आना अब बाकी.
ब्रज में अब सूनापन पसरा,
गोपियाँ सुरक्षित नहीं कहीं.
हर जगह दु:शासन घूम रहे,
पर चीर बढ़ाने कृष्ण नहीं.
विश्वास न टूटे इनका गिरधर,
अब विश्वास दिलाना है बाकी.
अब भक्ति तेरी व्यवसाय हुई,
निष्काम कर्म को भूल गए.
प्रवचन करते हैं जो गीता पर,
वह घृणित कर्म में लिप्त हुए.
भर गया पाप का घड़ा बहुत,
आओ अब समय नहीं बाकी.
**श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें**
.....कैलाश शर्मा
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ....
ReplyDeleteसादर
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें,सादर !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,,,
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
RECENT POST : पाँच( दोहे )
आवश्यक है, आ भी जाओ,
ReplyDeleteकृष्णनीति की झलक दिखाओ।
वाकई ..
ReplyDeleteबधाई प्यारी रचना के लिए !
सच में ...कृष्ण एक बार फिर से आ जायो
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना, श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteचूंकि व्याप्त समय की निरर्थकता है
ReplyDeleteइसलिए आज कृष्ण की आवश्यकता है.........बहुत सामयिक कृष्ण गीत।
janmashtmi ki bahut bahut shubhkamnaye ..
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा है ॥लेकिन अभी भी शायद घड़ा थोड़ा पाप से खाली है तभी कृष्ण नहीं आ रहे हैं ... बहुत सुंदर आह्वान ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर .श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!,
ReplyDeleteसार्थक भाव लिए बहुत ही सुंदर एवं उत्कृष्ट रचना...आभार
ReplyDeleteसटीक आह्वान कैलाश जी ! पर लगता है गिरिधारी भी या तो अभी और कठिन परिक्षा लेना चाहते हैं हम सबकी या राह भटक गये हैं ! बहुत सुंदर प्रस्तुति ! जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति जन्माष्टमी के मौके पर आनंद वर्षंन हैगो भैया।
ReplyDeleteआज तो सारा आलम सारी कायनात ही कृष्ण मय हो रई भैया । उसकी लीला ही अपरम्पार हैं स्वाद लेबे को भागवत कथा सुनबे। झूठ् ना कहूँ तोसे। मजो आ गया ओ ,नन्द आनंद कारज होवे और मजा न आवे। नन्द का मतलब होवे आनंद।
मैया मोहे दाऊ भोत खिजायो ,
मोते कहत मोल को लीन्हों तू जसुमत कब जायो,
गोर नन्द जसोदा गोरी तू कत श्याम शरीर
जन्माष्टमी की बधाई क्या बधाया सब ब्लागियन कु।
ॐ शान्ति
भैया जसोदा का मतलब ही होवे है जो यश दिलवावे। सगरे बिग्रे काज संभारे।
श्रीकृष्णचन्द्र देवकीनन्दन माँ जशुमति के बाल गोपाल ।
रुक्मणीनाथ राधिकावल्लभ मीरा के प्रभु नटवरलाल ।।
मुरलीधर बसुदेवतनय बलरामानुज कालिय दहन ।
पाण्डवहित सुदामामीत भक्तन के दुःख दोष दलन ।।
मंगलमूरति श्यामलसूरति कंसन्तक गोवर्धनधारी ।
त्रैलोकउजागर कृपासागर गोपिनके बनवारि मुरारी ।।
कुब्जापावन दारिददावन भक्तवत्सल सुदर्शनधारी ।
दीनदयाल शरनागतपाल संतोष शरन अघ अवगुनहारी ।।
श्री कृष्ण स्तुती
कस्तुरी तिलकम ललाटपटले,
वक्षस्थले कौस्तुभम ।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले,
वेणु करे कंकणम ।
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम,
कंठे च मुक्तावलि ।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते,
गोपाल चूडामणी ॥
बधाई जन्मोत्सव कृष्ण कृष्ण बोले तो जो अन्धकार को दूर करे।
अब तो बिल भी पास है गयो। कोबरा ही अगला प्रधान मंत्री होवेगो सही कह रियो भैया।
ReplyDeleteकैलाश जी अति उत्तम प्रस्तुति यह इसी समय का गायन है अब तो भ्रष्ट लोगों को कुर्सी देवे बिल भी पास हैगो। इससे ज्यादा धर्म की ग्लानि और क्या होगी।
संसद वारे कोब्रान ने कौन गिनेगा भैया
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ
ReplyDeleteआभार...
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्म अष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें....
ReplyDeleteवाकई बहुत देर हो रही है. अति सुन्दर कृति.
ReplyDeleteइतनी सुन्दर पुकार पर कान्हा को आना ही पड़ेगा
ReplyDeleteकृष्ण को आना होगा !!
ReplyDeleteपर्व की बहुत शुभकामनाये !
बहुत ही बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteकृष्णा जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ....
:-)
बहुत ही सुन्दर .. भवन को उद्द्वेलित करती रचना !
ReplyDeletewah bahut bahut khoob.....ab tho kanha ko aana hi hoga
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteद्वापर में आये तुम कान्हा,
ReplyDeleteकलियुग में आना अब बाकी....
कलयुग में इतने ज्यादा कंस आ गए हैं की कान्हा को पूरी सेना के साथ आना होगा ...
मन में द्वंद जगाती सुन्दर रचना ...
कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई ...
क्या सुन्दर भाव है ...
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 30.08.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति
ReplyDeletelatest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
sundar shabd chitran...
ReplyDeleteअब भक्ति तेरी व्यवसाय हुई,
ReplyDeleteनिष्काम कर्म को भूल गए.
प्रवचन करते हैं जो गीता पर,
वह घृणित कर्म में लिप्त हुए.
भर गया पाप का घड़ा बहुत,
आओ अब समय नहीं बाकी.
Kya gazab kee kharee baat kah dalee aapne!
sundar aahwaan .....
ReplyDeleteसारथी और गुरु नारायण ,संग्राम पार्थ का ही करेण्य!
ReplyDeleteकृष्ण तो हर काल में हर जगह हैं..उन्हें अपने भीतर अवतरित करना होगा..सुंदर प्रार्थना !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteक्या बात वाह!
ReplyDeleteसामयिक प्रस्तुति
ReplyDeleteआओ अब समय नहीं बाकी.. बहुत सुंदर प्रार्थना
ReplyDeleteसही आवाहन ...
ReplyDeleteसुन्दर एवं सटीक…
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