जनतंत्र की जीत से जनता ने अपनी शक्ति पहचानी है /अन्नाजी ने इस शक्ति को जगाया है /बस ऐसे ही अन्याय के खिलाफ सब एकता बनाकर एकजुट हो जाएँ तो इस देश का सुधार होने मैं कोई देर ना लगे /इतनी अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आपको /
सच्चाई को आपने बड़े ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! शानदार प्रस्तुती! बधाई ! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है- http://seawave-babli.blogspot.com/ http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
यह जनतंत्र की ही जीत है कि सरकार देर से ही सही, आखिरकार एक मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना हजारे और उनके साथियों की तीन प्रमुख मांगों पर संसद के इसी सत्र में बहस कराने को तैयार हो गई है।
आज लगा जनतन्त्र सफल है।
ReplyDeleteजनतंत्र की जीत से जनता ने अपनी शक्ति पहचानी है /अन्नाजी ने इस शक्ति को जगाया है /बस ऐसे ही अन्याय के खिलाफ सब एकता बनाकर एकजुट हो जाएँ तो इस देश का सुधार होने मैं कोई देर ना लगे /इतनी अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आपको /
ReplyDeletePLEASE visit my blog.thanks.
आज अहिंसा की ताकत से हिंसा भी है सहम गयी,
ReplyDeleteसत्ता से मगरूर गये पहचान हैं ताकत जन जन की
सादर बधाइयां....
अन्ना जी की सफलता पर बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteसुन्दर प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.
यह इस बात का प्रतीक है की लोकतंत्र अभी ज़िन्दा है ......
ReplyDeletesach kaha hai ..badhai
ReplyDeleteएकदम सच है..
ReplyDeletewww.kumarkashish.blogspot.com
जनतंत्र की ताकत पर प्रेरक पंक्तियां।
ReplyDeleteआखिर जनतंत्र जीत गया।
ReplyDeleteलोकतंत्र अभी ज़िन्दा है
ReplyDeleteसुन्दर कविता... जन आकांक्षा पूरी हुई..
ReplyDeleteअसली ताकत जनता ने पहचानी है ... हर बार.. सब चलता है कह कर नहीं टाला जा सकता ... लोकशक्ति की विजय के लिए बधाई
ReplyDelete"आज अहिंसा की ताकत से हिंसा भी है सहम गयी"
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबधाई ||
पंख होने से क्या होता है,हौसलो में उड़ान होती है
ReplyDeleteजीत उसकी होती है,जिसके सपनों में जान होती है ...
आज अहिंसा की ताकत से हिंसा भी है सहम गयी,
ReplyDeleteसत्ता से मगरूर गये पहचान हैं ताकत जन जन की.
बहुत बहुत बधाई.
सच्चाई को आपने बड़े ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! शानदार प्रस्तुती! बधाई !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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श्री अन्नाजी ने देश और समाज को एक नई दिशा और नई उर्जा प्रदान की है ...
ReplyDeleteबिल्कुल सच कहा है आपने ।
ReplyDeleteसही कहा है जनतंत्र की इस जीत पर आपको भी बधाई !
ReplyDeletevery nice...
ReplyDelete.
ReplyDeleteसत्ता से मगरूर गये पहचान हैं ताकत जन जन की....
So true ! The common folk is aware now.
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यह जनतंत्र की ही जीत है कि सरकार देर से ही सही, आखिरकार एक मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना हजारे और उनके साथियों की तीन प्रमुख मांगों पर संसद के इसी सत्र में बहस कराने को तैयार हो गई है।
ReplyDeleteसुन्दर प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.
जनतंत्र का असली स्वरूप अभी ही दिखायी दिया।
ReplyDeleteप्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.
ReplyDeleteअजी जाते कहाँ बकरे की माँ कब तक खैर मानती. जब जनता अपने पर आती है तो अच्छे अच्छो का तेल निकाल देती है.
ReplyDeleteसुन्दर प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.
ReplyDeleteSACH KAHA AAPNE KAILASH JI...BEHTARIIN PANKTIYAN.
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