Sunday, August 28, 2011

जनता की आवाज़



संसद तक है गूँज उठी, आवाज़ ये देखो जन जन की,

नहीं अनसुनी कर पायी, हुंकार ये सत्ता जन जन की.

आज अहिंसा की ताकत से हिंसा भी है सहम गयी,

सत्ता से मगरूर गये पहचान हैं ताकत जन जन की.

28 comments:

  1. आज लगा जनतन्त्र सफल है।

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  2. जनतंत्र की जीत से जनता ने अपनी शक्ति पहचानी है /अन्नाजी ने इस शक्ति को जगाया है /बस ऐसे ही अन्याय के खिलाफ सब एकता बनाकर एकजुट हो जाएँ तो इस देश का सुधार होने मैं कोई देर ना लगे /इतनी अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आपको /

    PLEASE visit my blog.thanks.

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  3. आज अहिंसा की ताकत से हिंसा भी है सहम गयी,
    सत्ता से मगरूर गये पहचान हैं ताकत जन जन की

    सादर बधाइयां....

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  4. अन्ना जी की सफलता पर बहुत बहुत बधाई.
    सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.

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  5. यह इस बात का प्रतीक है की लोकतंत्र अभी ज़िन्दा है ......

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  6. एकदम सच है..

    www.kumarkashish.blogspot.com

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  7. जनतंत्र की ताकत पर प्रेरक पंक्तियां।

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  8. आखिर जनतंत्र जीत गया।

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  9. लोकतंत्र अभी ज़िन्दा है

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  10. सुन्दर कविता... जन आकांक्षा पूरी हुई..

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  11. असली ताकत जनता ने पहचानी है ... हर बार.. सब चलता है कह कर नहीं टाला जा सकता ... लोकशक्ति की विजय के लिए बधाई

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  12. "आज अहिंसा की ताकत से हिंसा भी है सहम गयी"

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  13. बहुत सुन्दर
    बधाई ||

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  14. पंख होने से क्या होता है,हौसलो में उड़ान होती है
    जीत उसकी होती है,जिसके सपनों में जान होती है ...

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  15. आज अहिंसा की ताकत से हिंसा भी है सहम गयी,
    सत्ता से मगरूर गये पहचान हैं ताकत जन जन की.

    बहुत बहुत बधाई.

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  16. सच्चाई को आपने बड़े ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! शानदार प्रस्तुती! बधाई !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
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  17. श्री अन्नाजी ने देश और समाज को एक नई दिशा और नई उर्जा प्रदान की है ...

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  18. बिल्‍कुल सच कहा है आपने ।

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  19. सही कहा है जनतंत्र की इस जीत पर आपको भी बधाई !

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  20. .

    सत्ता से मगरूर गये पहचान हैं ताकत जन जन की....

    So true ! The common folk is aware now.

    .

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  21. यह जनतंत्र की ही जीत है कि सरकार देर से ही सही, आखिरकार एक मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना हजारे और उनके साथियों की तीन प्रमुख मांगों पर संसद के इसी सत्र में बहस कराने को तैयार हो गई है।

    सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.

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  22. जनतंत्र का असली स्‍वरूप अभी ही दिखायी दिया।

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  23. अजी जाते कहाँ बकरे की माँ कब तक खैर मानती. जब जनता अपने पर आती है तो अच्छे अच्छो का तेल निकाल देती है.

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  24. सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.

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