इंतजार में सभी,
गंतव्य है एक
पर गाड़ी अलग अलग.
कन्फर्म्ड टिकट नहीं मिलती
गंतव्य की पहले से,
रखा जाता है सभी को
अनिश्चित प्रतीक्षा सूची में.
आने पर गाड़ी
करता है संचालक
टिकट कन्फर्म
अपने चार्ट के अनुसार.
नहीं अनजान
इस जगह से,
होता रहा है आना जाना
बार बार अनेक रूप में,
इंतज़ार में उस गाडी के
जो ले जाए अंतिम गतव्य तक
जहां से आना नहीं पड़ता
वापिस इस स्टेशन पर.
क्यों करें इंतजार गाड़ी का
प्लेटफार्म पर खड़े हो कर.
आओ चलें बाहर
करें पूरे वे काम
जो रह गये अधूरे
अपनों की चाहत
पूरा करने की भाग दौड़ में.
पोंछें आंसू उन असहायों के
जो बैठे हैं बाहर,
दे दें कुछ हिस्सा
अपनी गठरी से,
कुछ तो होगा कम
भार सफ़र में.
नहीं है डर
गाड़ी छूटने का,
आखिर जब होगी सीट कन्फर्म
गाड़ी तो नहीं जायेगी
स्टेशन पर छोड़ कर.
बहुत सजग है गाड़ी का संचालक
सही समय पर
सही गाड़ी में
लेकर ही जाता है.
कैलाश शर्मा
वाह...
ReplyDeleteअनछुए से भाव ..
अच्छी अभिव्यक्ति
सादर.
bahut sundar abhivyakti... mujhe apni aik kavita Yaad aaati hai ..aik rel gaadi aur ham...
ReplyDeleteaapko navvarsh par shubhkaamnayen
कुछ अलग सा......स्वागत है नए का |
ReplyDeleteपोंछें आंसू उन असहायों के
ReplyDeleteजो बैठे हैं बाहर,
दे दें कुछ हिस्सा
अपनी गठरी से,
कुछ तो होगा कम
भार सफ़र में.
Kya baat hai...bahut sundar!
पोंछें आंसू उन असहायों के
ReplyDeleteजो बैठे हैं बाहर,
दे दें कुछ हिस्सा
अपनी गठरी से,
बहुत ही बढि़या भाव संयोजन ।
वाह...अद्भुत रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
कन्फर्म्ड टिकट नहीं मिलती
ReplyDeleteगंतव्य की पहले से,
रखा जाता है सभी को
अनिश्चित प्रतीक्षा सूची में.
आने पर गाड़ी
करता है संचालक
टिकट कन्फर्म
अपने चार्ट के अनुसार... bahut rahasmay hai yah yatra ...kuch bhi pata nahi rahta
bahut sundar behtreen abhiwykati
ReplyDeletesundar abhivyakti hamare andar bhee chaltee hai yatraa aapne bahar bhee samjhaa dee dadhai
ReplyDeleteबहुत सजग है गाड़ी का संचालक
ReplyDeleteसही समय पर
सही गाड़ी में
लेकर ही जाता है.
अत्यंत खूबसूरत सार्थक रचना...
गाड़ी को आधार बना शास्वत को अभिव्यक्त कर दिया...
सादर बधाई...
बहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
बहुत सार्थक प्रस्तुति, आभार|
ReplyDeleteबहुत ही बढि़या......
ReplyDeleteइतनी निराशा क्यों, अभी तो बहुत कुछ लिखना है।
ReplyDeleteबड़ी ही बोधगम्य शैली में गहन तथ्य स्थापित किये हैं।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना के लिए बधाई,...
ReplyDeletewelcome to new post--जिन्दगीं--
अनूठी अभिव्यक्ति।
ReplyDeletenamaskar sharma ji ........bahut hi khoobsurti se aapne safar aur takleef ko bayan kiya hai ....uttam .........abhar
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!!
ReplyDeleteहोता रहा है आना जाना
ReplyDeleteबार बार अनेक रूप में,
इंतज़ार में उस गाडी के
जो ले जाए अंतिम गतव्य तक
सार्थक रचना...
तबतक गठरी खोलकर बेसहारों का दर्द बांटना सचमुच सफ़र के भार को हल्का ही करेगा. बहुत गहरी बात कही है आपने..
ReplyDeleteइंतज़ार में उस गाडी के ,
ReplyDeleteजो ले जाए अंतिम गतव्य तक ,
जहां से आना नहीं पड़ता ,
वापिस इस स्टेशन पर.... !
मोक्ष प्राप्ति का सपना ,
अभी नहीं , अभी समय नहीं ,
अभी तो बहुत सारे हैं , काम निपटाने ,
दूसरों के मार्ग-दर्शक हो सकते है , आप.... !!
ये इंतज़ार ..गाडी आने पर धक्का मुक्की में तब्दील भी हो जाता हैं ..फिर भी इंतज़ार हूँ ही बना रहता हैं ...
ReplyDeleteसार्थक रचना ...आभार
सुंदर. बेहतरीन रचना.
ReplyDeleteBahut maulik kavita
ReplyDeleteअच्छी प्रभावी रचना ..
ReplyDeleteआपका पोस्ट "अनंत य़ात्रा" अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट " तुम्हे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए " पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
ReplyDeleteवाह ! रचना में गोपाल दास नीरज की झलक नज़र आ रही है ।
ReplyDeleteबेहतरीन ।
बेहद सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति...सर!
ReplyDeleteज़िंदगी का सफर ...सुंदर रचना
ReplyDeleteवो गाड़ीवाला सब कुछ जानता है।
ReplyDeleteमननीय कविता।
"पोंछें आंसू उन असहायों के
ReplyDeleteजो बैठे हैं बाहर,
दे दें कुछ हिस्सा
अपनी गठरी से,
कुछ तो होगा कम
भार सफ़र में."
अत्यंत सुंदर भाव और प्रस्तुति ! बधाई
कल 09/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
पोंछें आंसू उन असहायों के
ReplyDeleteजो बैठे हैं बाहर,
दे दें कुछ हिस्सा
अपनी गठरी से,
कुछ तो होगा कम
भार सफ़र में.
Vah bahut hi prabhavshali rachana ...badhai
बहुत खूब ... जीवन और मृत्यु के सफर को जोड़ के लिखी बहुत ही भाव पूर्ण रचना ...
ReplyDeleteनया साल मुबारक हो ...
बहुत सजग है गाड़ी का संचालक
ReplyDeleteसही समय पर
सही गाड़ी में
लेकर ही जाता है.....bahut achchi rachna hai...bdhai sweekaren..
बहुत अच्छी रचना.......
ReplyDeleteसशक्त और प्रभावशाली प्रस्तुती....
ReplyDeleteजी उसकी गाड़ी तो नियत समय पर ही आती है, और अपने साथ नियत यात्री के जरूर ले जाती है। गहन चिंतन।
ReplyDeletenice poem sir
ReplyDeletethoda hat ke likhi aapane
mere blog par bhi aaiyega
umeed kara hun aapko pasand aayega
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
सार्थक रचना.......
ReplyDeleteसही समय पर
ReplyDeleteसही गाड़ी में
लेकर ही जाता है.
sahi hai ....
sunder rachna ...
बहुत गहन ... जो आया है उसकी टिकट एक न एक दिन कन्फर्म हो ही जायेगी ..और सबसे बढ़िया बात की गाडी छोड़ कर नहीं जायेगी .. साथ ले जायेगी .. यानि की कभी भी गाडी छूटेगी नहीं ... तो सच ही पूरे कर लिए जाएँ काम ..गाडी का इंतज़ार भला क्यों ?
ReplyDeleteबहुत सशक्त रचना.. कितनी गहरी बात सहज, सरल शब्दों में..आभार!
ReplyDeleteवाह ,वाह ,वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteयह प्लैट्फार्म समुद्र-तल से सबसे अधिक ऊँचाई पर..............
bahut achchu abhivyakti. jivan ka satya saral shabdo me.
ReplyDeleteबहुत सुंदर सार्थक सटीक प्रस्तुति,बेहतरीन रचना
ReplyDeletewelcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--
well written..good luck
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