(१)
अकेले चलो
मिलता नहीं साथ
मंज़िल तक.
(२)
गलती एक
सज़ा उम्र भर की
कैसा इन्साफ?
(३)
नभ में चाँद
नदी में परछाईं
दोनों है दूर.
(४)
राहों का शोर
मन का सूनापन
दोनों हैं साथ.
(५)
रिश्तों में गाँठ
पड़ी जो एक बार
सुलझी कब?
कैलाश शर्मा
अकेले चलो
मिलता नहीं साथ
मंज़िल तक.
(२)
गलती एक
सज़ा उम्र भर की
कैसा इन्साफ?
(३)
नभ में चाँद
नदी में परछाईं
दोनों है दूर.
(४)
राहों का शोर
मन का सूनापन
दोनों हैं साथ.
(५)
रिश्तों में गाँठ
पड़ी जो एक बार
सुलझी कब?
कैलाश शर्मा
बहुत खूब
ReplyDeleteकोई शब्द नहीं हैं
लाजवाब हैं
:-)
बहुत बढिया दूसरा और चौथा बहुत अच्छा है |
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
लाजवाब ....आभार
ReplyDeleteगलती एक
ReplyDeleteसज़ा उम्र भर की
कैसा इन्साफ ...
कमाल ... हाइकू में विशिष्ट मतलब को सेट करना जोखिम काम है जो बखूबी किया है आपने ... लाजवाब ...
हाइकू का लाजवाब प्रयोग, भावों को समेटने में।
ReplyDeleteलाजवाब... बहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteसारे हाइकू अर्थपूर्ण हैं...बहुत खूब
ReplyDeleteरिश्तों में गाँठ
ReplyDeleteपड़ी जो एक बार
सुलझी कब?
लाजवाब हाइकू ,बहुत सुन्दर
Harek haiku ek se badhke ek!
Deletegaagar me saagar se haiku.....sabhi bahut umda....bdhaai aap ko....
ReplyDeleteगलती एक
ReplyDeleteसज़ा उम्र भर की
कैसा इन्साफ?
... insaaf hota kab hai !
वाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteशानदार. सभी एक से बढकर एक.
ReplyDeleteरिश्तों में गाँठ
ReplyDeleteपड़ी जो एक बार
सुलझी कब?
सारे के सारे हाइकु एक से बढकर एक हैं...अर्थ से परिपूर्ण हैं आभार |
रफ़्तार व सफ़र पर आपके कमेन्ट से मेरा मनोबल को ताकत मिली "धन्यवाद"
हाइकू के क्या कहने?
ReplyDeleteप्रभावशाली...
ReplyDeleteसारे हाइकू बहुत बढ़िया! हैं.
ReplyDeleteरिश्तों में गाँठ
ReplyDeleteपड़ी जो एक बार
सुलझी कब?
sundar .......
kadvi sacchaiyon k vastr ughaadti sateek haikoo.
ReplyDeletebahut sundar prastuti...
ReplyDeleteprabhavshali haaiku !
ReplyDeleteरिश्तों में गाँठ
ReplyDeleteपड़ी जो एक बार
सुलझी कब? .......बेहतरीन
बेहद सुन्दर
ReplyDeletebahut badhiya .....
ReplyDeleteमेरी कविता:वो एक ख्वाब था
बेहतरीन रचनाएं......
ReplyDeleteसभी हाइकू एक से बढ़कर एक...चाँद और उसकी परछाई दूर हैं तभी तो हसीन हैं...पास आते ही चीजें आकर्षण खो देती हैं.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाईकू ... सब एक से बढ़ कर एक
ReplyDeleteगलती एक
ReplyDeleteसज़ा उम्र भर की
कैसा इन्साफ?
बेजोड़...लेखन
नीरज
Vah sharma ji gazab ka pryog.
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteलाजवाब हाइकू ,बहुत सुन्दर
ReplyDeleteनव वर्ष की बधाई ,.... काम में व्यस्त था ....सुंदर हइकू
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteसार्थक हाइकू,..बेहतरीन...बहुत सुंदर ,..कैलाश जी
ReplyDeletenew post...वाह रे मंहगाई...
namaskar kailash ji
ReplyDeletesabhi hayuk ek se badhkar ek ..bahut sunder .
2,3 45 bahut khas lage .
bahut sundar..bejod !
ReplyDeleteबेहद प्रभावशाली हाइकू।
ReplyDeleteकम शब्दों में जीवन दर्शन।
बहुत बढ़िया हाइकू। धन्यवाद।
ReplyDeleteआपने कम शब्दों में गहरी बातें कह दी हैं.
ReplyDeleteबढ़िया और लाजबाब हाइकू.
आभार.
gagar me sagar..behtarin...
ReplyDeleteअत्यंत प्रभावी...
ReplyDeleteसादर.