Friday, January 27, 2012

हाइकु - बसन्त पर

(१)
पीले हैं खेत  
प्रमुदित है मन
आया बसंत.

(२)
सर्दी है गयी
सूरज घर आया
खिले हैं फूल.

(३)
पीले हैं फूल
चेहरा भी है पीला
दूर है कन्त.

(४)
फूली सरसों
प्रियतम है दूर 
कैसा बसंत?

(५)
बदले रंग
महंगाई के संग
फीका बसंत.


कैलाश शर्मा 

47 comments:

  1. ऋतुराज पर सुन्दर हाईकु ।

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  2. बहुत ही बढि़या भाव संयोजन बसंत पर ...

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  3. वसंतागम का सौंदर्य और मानव मन पर उपकी विभिन्न प्रतिक्रियाओं का सुन्दर निरूपण !

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  4. बहुत सुन्दर..बसंत का सुखद अहसास..

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  5. पीले हैं खेत
    प्रमुदित है मन
    आया बसंत
    बहुत सुन्दर,पंचमी की शुभकामनाये !

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  6. बसंत का सुखद अहसास|सुन्दर हाईकु।

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  7. वाह...
    बेहतरीन हायेकु...सुन्दर बसंत...
    सादर.

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  8. एक बसंत के कितने सारे रंग... बहुत सुन्दर... आभार आपका

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  9. बसंत के आगमन पर सुंदर हाइकु

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  10. सर्दी है गयी
    सूरज घर आया
    खिले हैं फूल.

    (३)
    पीले हैं फूल
    चेहरा भी है पीला
    दूर है कन्त.
    सुन्दर पंक्तियाँ खूबसूरत रचना |

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  11. पीले हैं फूल
    चेहरा भी है पीला
    दूर है कन्त.

    बहुत बढ़िया हाइकू

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  12. सर बहुत ही सुन्दर हाईकू |

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  13. आपके हाइकू ने बसंत को हाइ पर पहुँचा दिया है।

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  14. बेहतरीन हाइकु... बसंत का स्वागत!

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  15. पीले पीले हाईकू...वसंत पंचमी की शुभकामनाये

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  16. बेहतरीन हाइकु

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  17. शानदार।
    बसंत पंचमी की शुभकामनाएं....

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  18. बसंत पंचमी की शुभकामनायें , माँ शारदे को नमन

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  19. बदले रंग
    महंगाई के संग
    फीका बसंत.
    bhaut hi sundar sharma ji.... badhai .

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  20. वह शर्मा जी
    जवाब नहीं आपका...बेहतरीन हाइकु
    बसंत पंचमी की शुभकामनाएं....!

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  21. bahut khub kailaash ji basnt ke kaee rup ek sath dikha diye aap ne...bdhaai...

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  22. गौ वंश रक्षा मंच ,सब गौ प्रेमियों को सादर आमंत्रित करता है के अपने विचार /सुझाव/लेख/ कविताये मंच पर रक्खें ,मंच के सदस्य बने ,और मंच के लेखको में अपना नाम जोड़ कर मंच को गरिमा प्रदान करें ....गौ हम सब की माँ है , माँ के लिए एक जुट होना हमारा फ़र्ज़ है.....

    ( http://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/ गौ वंश रक्षा मंच )



    अपनी रचनाएं इस पते पर भेजे raadheji@gmail.com

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  23. बहुत सुन्दर हाइकू |

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  24. सारगर्भित हाइकू...बहुत बढिय़ा |

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  25. मन की गहराइयों को छोटी हुयी सत्य को भी प्रकट करती सामयिक हाइकू. अपने कथ्य में बेजोड़ और सन्दर्भ में गहण. बसंत पर्व की सूखी सी बधाई. बिना गुलाल कैसा बसंतोत्सव? आभार इस संवेदनशील हाइकू के लिए.

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  26. बसंत उत्सव की शुभकामनएं ...

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  27. कुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !
    बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  28. बसंत की सूक्ष्म चित्रकारी अच्छी लगी।

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  29. बहोत अच्छे ।

    नया ब्लॉग

    http://hindidunia.wordpress.com/

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  30. क्या बात है ...वाह

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  31. बदले रंग
    महंगाई के संग
    फीका बसंत.

    वाह.........
    बसंत पंचमी की शुभकामनायें

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  32. वाह...क्या बात है,...बेहतरीन प्रस्तुति,

    कैलाश जी,...आपका फालोवर बन गया हूँ आप भी बने तो मुझे हार्दिक
    खुशी होगी,...
    welcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....

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  33. हाईकू बहुत अच्छे लगे |
    वसंत पञ्चमीं पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा पर

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  34. bahut sundar haiku.
    mere blog par bhi aayen.

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  35. वसंत को अलग-अलग उप में परिभाषित किया है..
    बढ़िया हाइकु

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  36. वसंत के कई रूप और सभी एक से बढ़कर एक.. आभार!

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  37. .


    मन बसंती रंग में रंग गया …
    लेकिन, महंगाई और प्रियतम से दूरी … रंग में भंग डाल रहे हैं :(


    समय मिले तो देख लें…

    प्यारो न्यारो ये बसंत है !

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  38. वाह! खूबसूरत हाईकू सर...
    सादर

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