Monday, January 23, 2012

हर सांस बनालो तुम प्रभु को

हर सांस बनालो तुम प्रभु को,
फ़िर रग रग में बस जायेगा.
ज़ब नज़र उठा कर देखोगे,
हर ओर नज़र वह आयेगा.

बच्चों की मुस्कानों में है,
दुखियों की पीड़ा में बसता.
है दर्द अकेलेपन का वह,
बेबस की आँखों से ढलता. 

है भूखे पेट सो रहा जो,
उसको रोटी में वो दिखता.
चिथड़ों से तन ढकने वाली,
आँखों की लज्जा में बसता.

पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
क्या मंदिर में जाकर होगा.
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
तो सच में प्रभु दर्शन होगा.


कैलाश शर्मा 

42 comments:

  1. खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा.

    बेहद सुन्दर रचना!

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  2. है भूखे पेट सो रहा जो,
    उसको रोटी में वो दिखता.
    चिथड़ों से तन ढकने वाली,
    आँखों की लज्जा में बसता

    वाह कैलाश जी बेहतरीन पंक्तियाँ लिखी है आपने शुभकामनाएं

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  3. "ज़ब नज़र उठा कर देखोगे,
    हर ओर नज़र वह आयेगा"
    सकारात्मक पोस्ट के लिये आभार।

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  4. "पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
    क्या मंदिर में जाकर होगा.
    खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा."

    वाह! बहुत ही पावन सोच लिए सुंदर कविता।

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  5. देने में ही ईश्वर है ...

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  6. खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा.

    ऐसे प्रभु के दर्शन सभी हो यही कामना है. शुक्रिया इस सुंदर कविता के लिये.

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  7. वाह कैलाश जी तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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  8. बहुत सुन्दर...ईश्वर तो सर्वव्यापी है...हमारी दृष्टि में है..
    बहुत सार्थक रचना.
    सादर.

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  9. खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा.
    bahut hi sundar abhivyakti...

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  10. खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा.
    अति सुन्दर व सार्थक अभिव्यक्ति

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  11. ईश्वर को पाना है तो दूसरों को खुशियाँ दो ..सटीक रचना

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  12. भगवान सब जगह है बस उसे देखने के लिए इस भौतिकवादीयुग में मन की आखों का उपयोग इन्सान नहीं कर पाता.
    आपकी रचना बहुत अच्छी है.

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  13. काश,
    समर्पण हो पाता,
    मन से वह पूरा,

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  14. समर्पण और सिर्फ समर्पण...

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  15. ज़ब नज़र उठा कर देखोगे,
    हर ओर नज़र वह आयेगा".....अति सुन्दर व सार्थक अभिव्यक्ति

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  16. पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
    क्या मंदिर में जाकर होगा.
    खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा...

    सच कहा है कैलाश जी ... पर इतनी सी बात उम्र भर तक समझ नहीं आती अकसर ... लाजवाब रचना है ...

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  17. वाह बहुत खूबसूरत कृति उस ईश्वर के प्रति

    ला सके अगर हँसी
    किसी के लबो पर
    वही प्रसाद है उस
    ईश्वर का ....अगर कोई मन से माने तो

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  18. बहुत ही बढ़िया सर!


    सादर

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  19. बहुत खूब........सुन्दर और शानदार पोस्ट........हैट्स ऑफ इसके लिए|

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  20. sach kaha mandir k ghante bajane k bajaye apne aas-pas walo ki archna kar lo vo sabse badi archna hai.

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  21. bahut hi pyaari soch,aur sundr tareeke se use shbdon me dhala aap ne, bdhaai...

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  22. हर सांस बनालो तुम प्रभु को,
    फ़िर रग रग में बस जायेगा.
    ज़ब नज़र उठा कर देखोगे,
    हर ओर नज़र वह आयेगा.

    बहुत भावमय और सारगर्भित पंक्तियाँ !

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  23. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  24. खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा…………लाजवाब सटीक व सार्थक प्रस्तुति।

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  25. बहूत सुंदर ...बेहतरीन प्रस्तुती है

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  26. पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
    क्या मंदिर में जाकर होगा.
    खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा.
    Kya gazab kee panktiyan hain!

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  27. पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
    क्या मंदिर में जाकर होगा.
    खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा.


    वाह! कमाल की प्रेरक प्रस्तुति है.

    सार्थक सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,कैलाश जी.

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  28. सुंदर, गहन समर्पण भाव की अभिव्यक्ति.....

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  29. है भूखे पेट सो रहा जो,
    उसको रोटी में वो दिखता.
    चिथड़ों से तन ढकने वाली,
    आँखों की लज्जा में बसता.

    bahut hi marmik drishy ke sath marmik chintan ....sundar prastuti ....badhai Sharma ji.

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  30. पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
    क्या मंदिर में जाकर होगा.
    खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा.
    sundar panktiyaan.....

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  31. बहुत ही सुन्दर और आस्था से युक्त कविता |

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  32. है भूखे पेट सो रहा जो,
    उसको रोटी में वो दिखता.
    चिथड़ों से तन ढकने वाली,
    आँखों की लज्जा में बसता.
    बिलकुल सही
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
    vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

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  33. बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|

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  34. इस सच को कोई समझे भी तो.

    गणतंत्र दिवस हम सभी भारतवासियों को मुबारक हो.

    इलाही वो भी दिन होगा जब अपना राज देखेंगे
    जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा.

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  35. Sach kaha. khushiyan baantne se badhti hain

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  36. पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
    क्या मंदिर में जाकर होगा.
    खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा.....sach hai teri rag rag me tha jiska dera...usi malik ki dhundhne medtoone kar diya sabera....lekin aapne sabera nahi kiya...sadar badhayee aaur amantran ke sath

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  37. खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
    तो सच में प्रभु दर्शन होगा.

    बहुत सुन्दर रचना सर...
    सादर.

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