फ़िर रग रग में बस जायेगा.
ज़ब नज़र उठा कर देखोगे,
हर ओर नज़र वह आयेगा.
बच्चों की मुस्कानों में है,
दुखियों की पीड़ा में बसता.
है दर्द अकेलेपन का वह,
बेबस की आँखों से ढलता.
है भूखे पेट सो रहा जो,
उसको रोटी में वो दिखता.
चिथड़ों से तन ढकने वाली,
आँखों की लज्जा में बसता.
पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
क्या मंदिर में जाकर होगा.
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
तो सच में प्रभु दर्शन होगा.
कैलाश शर्मा
कैलाश शर्मा
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
ReplyDeleteतो सच में प्रभु दर्शन होगा.
बेहद सुन्दर रचना!
है भूखे पेट सो रहा जो,
ReplyDeleteउसको रोटी में वो दिखता.
चिथड़ों से तन ढकने वाली,
आँखों की लज्जा में बसता
वाह कैलाश जी बेहतरीन पंक्तियाँ लिखी है आपने शुभकामनाएं
"ज़ब नज़र उठा कर देखोगे,
ReplyDeleteहर ओर नज़र वह आयेगा"
सकारात्मक पोस्ट के लिये आभार।
"पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
ReplyDeleteक्या मंदिर में जाकर होगा.
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
तो सच में प्रभु दर्शन होगा."
वाह! बहुत ही पावन सोच लिए सुंदर कविता।
देने में ही ईश्वर है ...
ReplyDeleteखुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
ReplyDeleteतो सच में प्रभु दर्शन होगा.
ऐसे प्रभु के दर्शन सभी हो यही कामना है. शुक्रिया इस सुंदर कविता के लिये.
वाह कैलाश जी तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...ईश्वर तो सर्वव्यापी है...हमारी दृष्टि में है..
ReplyDeleteबहुत सार्थक रचना.
सादर.
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
ReplyDeleteतो सच में प्रभु दर्शन होगा.
bahut hi sundar abhivyakti...
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
ReplyDeleteतो सच में प्रभु दर्शन होगा.
अति सुन्दर व सार्थक अभिव्यक्ति
ईश्वर को पाना है तो दूसरों को खुशियाँ दो ..सटीक रचना
ReplyDeleteभगवान सब जगह है बस उसे देखने के लिए इस भौतिकवादीयुग में मन की आखों का उपयोग इन्सान नहीं कर पाता.
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत अच्छी है.
काश,
ReplyDeleteसमर्पण हो पाता,
मन से वह पूरा,
नर सेवा - नारायण सेवा।
ReplyDeleteसमर्पण और सिर्फ समर्पण...
ReplyDeleteज़ब नज़र उठा कर देखोगे,
ReplyDeleteहर ओर नज़र वह आयेगा".....अति सुन्दर व सार्थक अभिव्यक्ति
पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
ReplyDeleteक्या मंदिर में जाकर होगा.
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
तो सच में प्रभु दर्शन होगा...
सच कहा है कैलाश जी ... पर इतनी सी बात उम्र भर तक समझ नहीं आती अकसर ... लाजवाब रचना है ...
वाह बहुत खूबसूरत कृति उस ईश्वर के प्रति
ReplyDeleteला सके अगर हँसी
किसी के लबो पर
वही प्रसाद है उस
ईश्वर का ....अगर कोई मन से माने तो
बहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब........सुन्दर और शानदार पोस्ट........हैट्स ऑफ इसके लिए|
ReplyDeletesach kaha mandir k ghante bajane k bajaye apne aas-pas walo ki archna kar lo vo sabse badi archna hai.
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeletebahut hi pyaari soch,aur sundr tareeke se use shbdon me dhala aap ne, bdhaai...
ReplyDeleteहर सांस बनालो तुम प्रभु को,
ReplyDeleteफ़िर रग रग में बस जायेगा.
ज़ब नज़र उठा कर देखोगे,
हर ओर नज़र वह आयेगा.
बहुत भावमय और सारगर्भित पंक्तियाँ !
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteखुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
ReplyDeleteतो सच में प्रभु दर्शन होगा…………लाजवाब सटीक व सार्थक प्रस्तुति।
बहूत सुंदर ...बेहतरीन प्रस्तुती है
ReplyDeleteपहले बाहर अर्चन कर लूँ,
ReplyDeleteक्या मंदिर में जाकर होगा.
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
तो सच में प्रभु दर्शन होगा.
Kya gazab kee panktiyan hain!
पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
ReplyDeleteक्या मंदिर में जाकर होगा.
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
तो सच में प्रभु दर्शन होगा.
वाह! कमाल की प्रेरक प्रस्तुति है.
सार्थक सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,कैलाश जी.
सुंदर, गहन समर्पण भाव की अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteहै भूखे पेट सो रहा जो,
ReplyDeleteउसको रोटी में वो दिखता.
चिथड़ों से तन ढकने वाली,
आँखों की लज्जा में बसता.
bahut hi marmik drishy ke sath marmik chintan ....sundar prastuti ....badhai Sharma ji.
पहले बाहर अर्चन कर लूँ,
ReplyDeleteक्या मंदिर में जाकर होगा.
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
तो सच में प्रभु दर्शन होगा.
sundar panktiyaan.....
बहुत ही सुन्दर और आस्था से युक्त कविता |
ReplyDeleteGantantr Diwas mubarak ho!
ReplyDeleteGantantr diwas mubarak ho!
ReplyDeleteहै भूखे पेट सो रहा जो,
ReplyDeleteउसको रोटी में वो दिखता.
चिथड़ों से तन ढकने वाली,
आँखों की लज्जा में बसता.
बिलकुल सही
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
इस सच को कोई समझे भी तो.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस हम सभी भारतवासियों को मुबारक हो.
इलाही वो भी दिन होगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा.
bahut behtareen prarthna...
ReplyDeletehardik badhai...sir!
Sach kaha. khushiyan baantne se badhti hain
ReplyDeleteपहले बाहर अर्चन कर लूँ,
ReplyDeleteक्या मंदिर में जाकर होगा.
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
तो सच में प्रभु दर्शन होगा.....sach hai teri rag rag me tha jiska dera...usi malik ki dhundhne medtoone kar diya sabera....lekin aapne sabera nahi kiya...sadar badhayee aaur amantran ke sath
खुशियाँ जो बाँट सका थोड़ी,
ReplyDeleteतो सच में प्रभु दर्शन होगा.
बहुत सुन्दर रचना सर...
सादर.