Friday, August 10, 2012

श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (२६वीं-कड़ी)

              **श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें**

छठा अध्याय
(ध्यान-योग - ६.१६-२५) 


भोज व उपवास अधिक भी, 
योग सिद्धि में बाधक होता.
निद्रा या जागरण ज्यादा, 
न योग सिद्धि में साधक होता.  (१६)

जिसका आहार विहार संयमित, 
कर्मों में प्रयास नियमित है.
दुःख हर्ता योग सिद्ध है होता, 
सोना जगना यदि नियमित है.  (१७)

करके चित्त संयमित है जो 
आत्मा में ही स्थिर होता.
निस्पृह सर्व कामना हो कर, 
वह स्थिर है योग में होता.  (१८)

वायु विहीन जगह पर स्थित
दीपक लौ न कम्पित होती.
चित्त संयमित जिस योगी का, 
सुस्थिर आत्म बुद्धि है होती.  (१९)

योगाभ्यास करने से जिसका
चित्त पूर्णतः निवृत्त है होता.
आत्मा से आत्मा को देखता, 
आत्मा में ही संतुष्ट है होता.  (२०)

उस परमानन्द का अनुभव, 
जिसे अतीन्द्रिय बुद्धि से होता.
होकर स्थित उसमें वह योगी, 
नहीं आत्म से विचलित होता.  (२१)

परम आत्म सुख लाभ प्राप्त कर, 
अन्य लाभ की चाह न रखता.
उस सुख में स्थित योगी को, 
दुःख भी गहन न विचलित करता.  (२२)

दुःख से रहता पूर्ण रहित है, 
उस स्थिति को योग हैं कहते.
अनुद्विग्न मन की कोशिश से, 
इसी योग में स्थित हैं रहते.  (२३)

संकल्प जनित सभी कामनायें, 
और वासनाओं को तज के.
योगाभ्यास चाहिए करना, 
सभी इंद्रियां मन से वश कर के.  (२४)

स्थिर हुई बुद्धि के द्वारा, 
शनै शनै अभ्यास से मन को.
पूर्ण आत्मा में स्थिर कर, 
चिंतन भी न करे अन्य को.  (२५)

                ........क्रमशः
कैलाश शर्मा

16 comments:

  1. आहार , संयम और योग से
    स्वास्थ लाभ और मन का शुद्धिकरण होता है...
    सुन्दर और ज्ञानवर्धक आलेख...
    जन्माष्टमी की शुभकामनाये...
    :-)

    ReplyDelete
  2. दुःख से रहता पूर्ण रहित है,
    उस स्थिति को योग हैं कहते.
    अनुद्विग्न मन की कोशिश से,
    इसी योग में स्थित हैं रहते.
    बहुत सुंदर सीख..

    ReplyDelete
  3. जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!


    सादर

    ReplyDelete
  4. आपको भी जन्म -अष्टमी की शुभकामनाये

    ReplyDelete
  5. ज्ञानवर्धक प्रसंग ………जन्माष्टमी की शुभकामनाये.

    ReplyDelete
  6. चलायमान चित्त वाला व्यक्ति मुनि कभी नही हो सकता....जय-पराजय, लाभ-हानि में समान भाव रखना ही मुनि का धर्म है
    महान ग्रन्थ का पद्यानुवाद प्रशंसनीय है
    आभार

    ReplyDelete
  7. प्रेरक प्रसंग,,,
    बेहतरीन सुंदर प्रस्तुति,,,कैलाश जी,,,,

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
    RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति ,कैलाश जी.. कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  9. आपकी पोस्ट सराहनीय है सुन्दर अभिव्यक्ति..श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ BHARTIY NARI

    ReplyDelete
  10. जय श्री कृष्ण ||

    ReplyDelete
  11. OM Namoh Bhagwate Vashu Devay...

    ReplyDelete
  12. बहुत शानदार प्रस्तुति / बिलकुल सार्थक रचना /जन्माष्टमी की बहुत बधाई /इतनी अच्छी रचना के लिए आपको बहुत बधाई /
    मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है /चार महीने बाद फिर में आप सबके साथ हूँ /जरुर पधारिये /

    ReplyDelete
  13. सृष्टि में बने रहो,
    त्याग से तने रहो।

    ReplyDelete
  14. वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

    ReplyDelete
  15. बहुत सुंदर प्रस्तुति ...

    ReplyDelete