Friday, October 19, 2012

हाइकु

   (१)
दिल की सीमायें 
गर न रेखांकित 
क्यों सरहदें?

   (२)
नहीं सीमायें 
मानता है ये दिल
टूट जाता है.

   (३)
तोड़ो सीमायें 
भूलो सब बंधन 
जियो ज़िंदगी.

   (४)
अपनी सीमा 
गर पहचानते 
न पछताते.

   (५)
मंज़िल पास 
बढते न क़दम 
टूटें न स्वप्न.

   (६)
झील में चाँद 
छूने को बढ़ा हाथ 
बिखरे ख़्वाब.

   (७)
न देखें स्वप्न 
तो जियें फ़िर कैसे,
और टूटे तो?

   (८)
नींद न आयी 
थक गये हैं स्वप्न
इंतज़ार में.

   (९)
अंधेरी रात 
भूखे सो रहे बच्चे,
दिन का डर.

कैलाश शर्मा 

32 comments:

  1. har haaiku bahut sundar .........behtreen baat thode se shbdon mein

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  2. अपनी सीमा
    गर पहचानते
    न पछताते...

    कम शब्द
    बड़े भाव
    हाइकु बने

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  3. सभी हाईकु बहुत ही सार्थक और अच्छे हैं..्

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  4. तोड़ो सीमायें
    भूलो सब बंधन
    जियो ज़िंदगी.
    वाह ... बेहतरीन

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  5. बहुत सुन्दर हायकू....
    सभी अर्थपूर्ण...
    नींद न आयी
    थक गये हैं स्वप्न
    इंतज़ार में...
    वाह बहुत खूब..

    सादर
    अनु

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  6. न देखें स्वप्न
    तो जियें फ़िर कैसे,
    और टूटे तो?

    फिर दूसरी देखने लगते हैं :)

    नींद न आयी
    थक गये हैं स्वप्न
    इंतज़ार में .......

    कब पुरे हों ............
    सभी हाइकु लाजबाब बने हैं ........ !!

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  7. लाजवाब ...सभी हाइकु सार्थक!!

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  8. सभी हाइकु लाजवाब और अर्थपूर्ण
    बधाई स्वीकारें।

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं
    http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post_17.html

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  9. मानव मनो -विज्ञान और जिज्ञासु मन से संवाद करते सशक्त हाइकु .

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  10. अपने आप में सम्पूर्ण अर्थ लिए हाइकु

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  11. Harek haiku sundar aur arthpoorn hai.

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  12. स्वप्न , नींद , जिंदगी ...
    क्रमवार हायकू में सजे ...
    अच्छा है !

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  13. वाह,क्या बात है

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  14. Replies
    1. sabhi haiku ek se badhkar ek .....badhai kailash ji , mujhe 8,9 bahut acche lage .

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  15. अंधेरी रात
    भूखे सो रहे बच्चे,
    दिन का डर.....
    कैलाश जी ये तो दिल को छू गया...

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  16. सीमायें, सीमित, शब्द...

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  17. प्रभावशाली अभिव्यक्ति।

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  18. सुंदर हाइकू । भावप्रवण ।

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  19. तोड़ो सीमायें
    भूलो सब बंधन
    जियो ज़िंदगी.

    लाज़वाब हायकू.

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  20. बाऊ जी,
    नमस्ते!
    सुंदर हाइकू!

    --
    ए फीलिंग कॉल्ड.....

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  21. झील में चाँद
    छूने को बढ़ा हाथ
    बिखरे ख़्वाब.

    (७)
    न देखें स्वप्न
    तो जियें फ़िर कैसे,
    और टूटे तो?
    yekse yek badhiya hai ..

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  22. अति सुन्दर हायकू..

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  23. सभी के सभी बहुत सुन्दर लगे।

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  24. बहुत गहन भाव हर हाइकु में ...

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  25. बहुत ही बेहतरीन हाइकु
    लाजवाब...
    सुन्दर :-)

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  26. बहुत ही बेहतरीन हाइकु
    लाजवाब.आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  27. यही तो दिक्कत है आदमी सीमाओं की अनदेखी कर संभावनाओं में जीता है .

    (४)
    अपनी सीमा
    गर पहचानते
    न पछताते.

    भाई साहब गेस्ट पोस्ट पर आपकी द्रुत टिपण्णी के लिए आभार .

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