रावण का पुतला
जलने से पहले
करता है अट्टहास
जब देखता है
एक दूसरे रावण को
उसे ज़लाने को
अग्नि बाण चलाते.
रावण का पुतला
जल जायेगा कुछ क्षण में,
पर यह रावण
बढता रहेगा
रक्तबीज बन कर
और करता रहेगा
अपहरण सीता का.
अब नहीं आयेगा कोई राम
मुक्त करने सीता को,
जागना होगा उसे स्वयं
और पहचाननी होगी
अपनी शक्ति
मुक्त होने को रावण से.
**दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें**
कैलाश शर्मा
जलने से पहले
करता है अट्टहास
जब देखता है
एक दूसरे रावण को
उसे ज़लाने को
अग्नि बाण चलाते.
रावण का पुतला
जल जायेगा कुछ क्षण में,
पर यह रावण
बढता रहेगा
रक्तबीज बन कर
और करता रहेगा
अपहरण सीता का.
अब नहीं आयेगा कोई राम
मुक्त करने सीता को,
जागना होगा उसे स्वयं
और पहचाननी होगी
अपनी शक्ति
मुक्त होने को रावण से.
**दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें**
कैलाश शर्मा
दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ सर!
ReplyDeleteसादर
..असली रावण से बचो !
ReplyDeleteशुभकामनाएँ !
वर्तमानसत्य व यथास्थिति वर्णित करती प्रभावी कविता। दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनाएं |
ReplyDeleteसादर --
भीतर के रावण का दहन हो।
ReplyDeleteशुभकामनाएं।
विजयादशमी की शुभकामनाएं सर
ReplyDeleteवर्तमान स्थिति यही है एक रावण दुसरे रावण को जला रहा है..
ReplyDeleteइसलिए सीता को खुद की ही शक्ति पहचानना होगा..
बेहतरीन रचना ...
विजयादशमी की शुभकामनाएं...
:-)
दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें !!
ReplyDeletedashhare ki hardik subh kamna,dukh es bat ka hai ravno ki sankhya badhti ja rahi hai,har hal me unka dahan karna hoga
ReplyDeleteपहले भीतर के रावण को जलाना होगा.. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteविजय दशमी की शुभ कामनाएं , सुन्दर सृजन को बधाईयाँ जी...
ReplyDelete*
ReplyDeleteभाईजी,
उत्कृष्ट रचना के लिए आभार एवं बधाई …
.
ReplyDeleteஜ▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~विजयदशमी की हार्दिक बधाई~*~♥
ஜ▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
बहुत ही सुन्दर कविता...आप सबको भी विजयादशमी की शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन,,,
ReplyDeleteविजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
RECENT POST...: विजयादशमी,,,
रावण करता है अट्टहास .... विभीषण ने खोला भेद , राम ने मारा .... पर सबकुछ हास्यास्पद बनानेवालों ने मुझे जिंदा कर दिया
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कटाक्ष ..
ReplyDelete1.)"करता है अट्टहास
जब देखता है
एक दूसरे रावण को
उसे ज़लाने को
अग्नि बाण चलाते"
2.)"करता रहेगा
अपहरण सीता का."
3.)"अब नहीं आयेगा कोई राम" अच्छी प्रस्तुती!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 25-10 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
फरिश्ते की तरह चाँद का काफिला रोका न करो ---.। .
सीता को ही जागना होगा !
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति !
आज तो सही है यह कि एक बड़ा रावण ही रावण के पुतले को जलाता है ...
ReplyDeleteऋतु परिवर्तन के समय 'संयम 'बरतने हेतु नवरात्रों का विधान सार्वजनिक रूप से वर्ष मे दो बार रखा गया था जो पूर्ण वैज्ञानिक आधार पर 'अथर्व वेद 'पर अवलंबित था।नौ औषद्धियों का सेवन नौ दिन विशेष रूप से करना होता था। पदार्थ विज्ञान –material science पर आधारित हवन के जरिये पर्यावरण को शुद्ध रखा जाता था। वेदिक परंपरा के पतन और विदेशी गुलामी मे पनपी पौराणिक प्रथा ने सब कुछ ध्वस्त कर दिया। अब जो पोंगा-पंथ चल र
ReplyDeleteहा है उससे लाभ कुछ भी नहीं और हानी अधिक है। रावण साम्राज्यवादी था उसके सहयोगी वर्तमान यू एस ए के एरावन और साईबेरिया के कुंभकरण थे। इन सब का राम ने खात्मा किया था और जन-वादी शासन स्थापित किया था। लेकिन आज राम के पुजारी वर्तमान साम्राज्यवाद के सरगना यू एस ए के हितों का संरक्षण कर रहे हैं जो एक विडम्बना नहीं तो और क्या है?
Behad sundar rachana!
ReplyDeleteDuniyame anginat rawan hain,Ram dhoonde nahee milta!
dukh ye bhi ki us raktbeej ka rakt ekatrit karne ki bhi koi koshish nahi karta...jo dino-din badhta hi ja raha hai apna vikraal roop liye.
ReplyDeletesateek abhivyakti.
ReplyDeleteअब नहीं आयेगा कोई राम
ReplyDeleteमुक्त करने सीता को,
जागना होगा उसे स्वयं
और पहचाननी होगी
अपनी शक्ति
मुक्त होने को रावण से.
sahi kaha hai satik rachna ....
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति
ReplyDeleteप्रेरणादायक बहुत ही सुन्दर रचना...सादर
ReplyDeleteअब नहीं आयेगा कोई राम
ReplyDeleteमुक्त करने सीता को,
जागना होगा उसे स्वयं
और पहचाननी होगी
अपनी शक्ति
मुक्त होने को रावण से.
एक दम सही है
बहुत सशक्त प्रस्तुति. उत्कृष्ट रचना के लिए आभार.
ReplyDeleteअत्यंत शशक्त प्रस्तुति....
ReplyDeleteअब नहीं आयेगा कोई राम
मुक्त करने सीता को,
जागना होगा उसे स्वयं
और पहचाननी होगी
अपनी शक्ति
मुक्त होने को रावण से.
क्योंकि राम भटक गए हैं इस बिया बन में
अहिल्या को मुक्त करने के अथक प्रयत्न में ...
आभार एवं हार्दिक अभिनन्दन !!!