(१)
ज़िन्दगी
की क़िताब
पीले पड़
गए पन्ने
चाहता हूँ
पढ़ना
एक बार
फ़िर.
लगता है
डर
पलटने में
पन्ने,
कहीं बिखर
न जायें
भुरभुरा
कर
और बिखर
जायें यादें
फिर चारों
ओर.
(२)
मत उछालो
मेरे
अहसासों को
समझ पत्थर,
ग़र टूटे फ़िर
चुभने
लगेंगे दिल में
किरचें बन
कर.
(३)
अब मेरे
अहसास
न मेरे बस
में,
देख कर
तुमको
न जाने
क्यूँ
ढलना चाहते
शब्दों में.
(४)
उठा देता
तूफ़ान
मन के
शांत सागर में,
अब तो कर
दो
इसे मुखर
कुछ पल
को.
(५)
डूब रहा
अंतर्मन
मौन के
समंदर में,
अब तो
प्रिय कुछ पल को
मौन मुखर होने दो.
...कैलाश शर्मा
कहीं बिखर न जायें
ReplyDeleteभुरभुरा कर
और बिखर जायें यादें
फिर चारों ओर.
जीवन यादों को संग साथ लिए आगे बढ़ता रहता है..कोमल अहसासों से ओतप्रोत सुंदर क्षणिकाएँ !
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 23/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteकोमल अहसासों से युक्त बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं कैलाश जी ! हर क्षणिका मन को छू जाती है ! बहुत सुंदर !
ReplyDeleteमन को भाती सुंदर क्षणिकाए,,,,बहुत उम्दा कैलाश जी,,,,
ReplyDeleteRecentPOST: रंगों के दोहे ,
मौन मुखर की कामना सहित.....बहुत भावपरक क्षणिकाएं।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
अनुपम भाव संयोजन से सुसजित सुंदर क्षणिकाएं...
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteबढ़िया कविता
ReplyDeleteकोमल अहसासों से युक्त क्षणिकाएं
ReplyDeleteसुन्दर सुन्दर....बेहद सुन्दर क्षणिकाएं...
ReplyDeleteसादर
अनु
ati sundar kshnikaye,sir ji
ReplyDeleteअन्तस्थल से निकली बेहद भावपूर्ण क्षणिकाएं!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
khubsoorat kshnikaye
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिकाएँ!
ReplyDelete~सादर!!!
sundar bhaw .....sabhi acche hain..
ReplyDeleteदिल के अहसास दर्शाती और कुलबुलाती यादें .....
ReplyDeleteशुभकामनायें!
अर्थपूर्ण क्षणिकाएं
ReplyDeleteडूब रहा अंतर्मन
ReplyDeleteमौन के समंदर में,
अब तो प्रिय कुछ पल को
मौन मुखर होने दो.
सुन्दर क्षणिकाएं
बहुत ही खूबसूरत है क्षणिकाएँ,आभार.
ReplyDeleteमौन ही बूँद-बूँद कर क्षणिकाओँ में बरस गया है !
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव सजोये सुन्दर क्षणिकाएं
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मत उछालो
ReplyDeleteमेरे अहसासों को
समझ पत्थर,
ग़र टूटे फ़िर
चुभने लगेंगे दिल में
किरचें बन कर.
NAM KO KSHANIKAYEN HAEN.par dil ko chu jati haen.
सभी के सभी शानदार.....पहला वाला सबसे अच्छा ।
ReplyDeleteवाह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बहुत सुन्दर सभी ---
ReplyDeleteतुम्हारा मौन
उठा देता तूफ़ान
मन के शांत सागर में,
अब तो कर दो
इसे मुखर
कुछ पल को.
मौन बहे स्मृतियाँ सारी,
ReplyDeleteगति की सीमा गति से हारी।
सभी एकदम बेहतरीन है शानदार ...
ReplyDelete:-)
सुन्दर, भावपूर्ण !
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
बहुत खूब
ReplyDeleteवाह! बहुत ख़ूब! होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteजिंदगी की किताब , एहसास , और मौन के मुखर होने की ख्वाहिश !
ReplyDeleteसिमटी है पूरी जिंदगी इसी में !
बेहतरीन !
अब तो इन अहसासों के ढहने के ही दिन है। सार्थक रचना।
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएँ
ReplyDeleteलगता है डर
ReplyDeleteपलटने में पन्ने,
कहीं बिखर न जायें
भुरभुरा कर
और बिखर जायें यादें
फिर चारों ओर...
बहुत खूब ... यादें उड़ जायंगी इन पन्नों से ... संभाल के रखना ...
लाजवाब भाव ...
खुबसूरत क्षणिकाएं...
ReplyDeleteमत उछालो
ReplyDeleteमेरे अहसासों को
समझ पत्थर,
ग़र टूटे फ़िर
चुभने लगेंगे दिल में
किरचें बन कर.
bahut hi sundar lajbab ......sadar aabhar sir
मौन हौ गया है मुखर । बहुत सुंदर क्षणिकाएं ।
ReplyDeleteसुंदर और सार्थक क्षणिकायें
ReplyDeleteकम शब्दों में गहरी बात
बधाई
बहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!
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