(चित्र गूगल से साभार)
क्यों पसरती जा रही
हैवानियत इंसानों
में,
क्यों घटता जा रहा
अंतर
मानव और दानव में,
क्यों हो गया मानव
घृणित दानव
से भी?
भूल गया सभी रिश्ते और
उम्र
दिखाई देती केवल एक
देह,
बेमानी हो गए शब्द
प्रेम, वात्सल्य और
स्नेह,
आँखों में है केवल
भूख
झिंझोड़ने की एक देह,
कानून व्यवस्था सब
बेमानी
बंधी हुई है पट्टी
आँखों पर,
देखने तमाशा जुड़
जाती भीड़
पर बढ़ता नहीं कोई
हाथ
करने को सामना.
नहीं आयेगी कोई
दुर्गा
करने दानव दलन,
उठना होगा तुम्हें ही
बनना होगा दुर्गा
करने दानवों का शमन,
उठाओ खड्ग और खप्पर
पीने को लहू इन रक्तबीजों का,
गिरने न पाए लहू की
एक बूँद भी पृथ्वी पर,
पैदा न हो पाए फिर कोई
रक्तबीज धरा पर.
पीने को लहू इन रक्तबीजों का,
गिरने न पाए लहू की
एक बूँद भी पृथ्वी पर,
पैदा न हो पाए फिर कोई
रक्तबीज धरा पर.
......कैलाश शर्मा
इंसान की इस कारस्तानी से तो हैवान की हैवानियत
ReplyDeleteभी शर्मिंदा होगी....
उठाओ खड्ग और खप्पर......यही होना चाहिए अब।
ReplyDeleteवाकई बहुत भयावह स्थिति है.
ReplyDeleteपीने को लहू इन रक्तबीजों का,
ReplyDeleteगिरने न पाए लहू की
एक बूँद भी पृथ्वी पर,
पैदा न हो पाए फिर कोई
रक्तबीज धरा पर.
बहुत उम्दा भावअभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
२०० वीं पोस्ट के लिए बहुत २ बधाई शुभकामनाए,कैलाश जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST : प्यार में दर्द है,
प्रखर पोस्ट (और 200वीं भी)के लिए बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार...!
--
200वीं पोस्ट की बधाई हो
dukhad ...sharmnaak.....
ReplyDeleteमन दहला देने वाला परिदृश्य प्रस्तुत कर रहा है आज के दौर का समाज । गहरी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसर,
ReplyDeleteआज आँखों में फिर नमी है,
दिल एक दर्द है...
क्यूँ इतने मजबूर, लाचार और बेबस हैं हम इंसान...
हैवानियत के आगे....???
~सादर!!!
शुरू करना होगा एक नया समर
ReplyDeleteइन नाराधर्मी पिशाचों के खिलाफ
समेत कर अपनी शक्ति सारी...
२०० वीं पोस्ट के लिए बधाई और शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर.गहरी अभिव्यक्ति...२०० वीं पोस्ट के लिए बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteजीवन की गहन अनुभूति
आज के संदर्भ की
विचारपूर्ण भावुक
सार्थक रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
aapko badhai or shubhkamnayen
सच्चा आह्वान ..... शुभकामनायें
ReplyDeleteSorry Sir!
ReplyDeleteभावनाओं में बह कर भूल ही गये थे हम...
"२००वीं पोस्ट के लिए आपको हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ!" :)
~सादर!!!
वाह! वाह! क्या बात है!!!
ReplyDeleteसचमुच इतनी शर्मनाक एवँ भयावह स्थिति है कि साँस लेना भी दूभर हो चुका है अब ! कैसे हर नारी को दुर्गा बना दें समझ नहीं आता ! फिर मासूम बच्चियों को कैसे अपनी रक्षा करना सिखाएं ! बच्चियों के साथ साये की तरह रहना होगा हमें तभी बचा पायेंगे उन्हें ! लेकिन कब तक ?
ReplyDeleteभाव पूर्ण रचना है ... ओर समझ नहीं आता कैसे सुधार होगा ... जुल्म की हद बढती ही जा रही है ...
ReplyDeleteबधाई आपको २०० पोस्ट की ...
सही कहा आपने अब खुद को ही खड़ग उठान होगा ....
ReplyDelete200वीं पोस्ट की बधाई
२०० वीं पोस्ट और बेहद संवेदनशील प्रस्तुति के लिये बहुत मुबारकबाद.
ReplyDeletesach me ... bahut hee dukhad pahloo bantaa jaa raha hai aaj samaaj me ...aaj koi bahar se durga chandi nahi aayegi... aaj hame chandi ban utarana hoga
ReplyDeletesharminda hain...
ReplyDelete२०० वीं पोस्ट बहुत ही ...... संवेदनशील प्रस्तुति कैलाश जी
ReplyDeleteसंवेदनशील रचना...
ReplyDelete२००वीं रचना की बधाई...
पीने को लहू इन रक्तबीजों का,
ReplyDeleteगिरने न पाए लहू की
एक बूँद भी पृथ्वी पर,
पैदा न हो पाए फिर कोई
रक्तबीज धरा पर......
२००वीं रचना की बधाई.
latest post सजा कैसा हो ?
latest post तुम अनन्त
l
पीने को लहू इन रक्तबीजों का,
ReplyDeleteगिरने न पाए लहू की
एक बूँद भी पृथ्वी पर,
पैदा न हो पाए फिर कोई
रक्तबीज धरा पर.
बेहतरीन आह्वान
सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeletebilkul theek kaha apne.
ReplyDeleteab tho yahi karna hoga...aur koi upai nahi....sundar sarthak prastuti
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