Monday, May 20, 2013

श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (५१वीं कड़ी)



                                  मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश: 

       तेरहवां अध्याय 
(क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभाग-योग-१३.१ -११)


इस शरीर को सुनो धनञ्जय 
क्षेत्र रूप में जाना जाता.
क्षेत्रज्ञ उसे तत्वविद हैं कहते 
जो मनुष्य है इसे जानता.  (१३.१)

क्षेत्र रूपी शरीर में अर्जुन 
तुम क्षेत्रज्ञ मुझे ही जानो.
क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ ज्ञान को
मेरे मत में ज्ञान ही जानो.  (१३.२)

क्या है क्षेत्र, है किस प्रकार का,
क्या हैं विकार व कहाँ से आते?
क्षेत्रज्ञ स्वरुप, उसके प्रभाव को
संक्षेप में अर्जुन हम समझाते.  (१३.३)

ऋषियों ने अनेक वेदमंत्रों में 
बहु विधि से गान किया है.
ब्रह्म सूत्र व पदों के द्वारा 
युक्तियुक्त स्पष्ट किया है.  (१३.४)

पंच महाभूत, अहंकार व बुद्धि,
अव्यक्त, मन व दसों इन्द्रियां.
इच्छा और द्वेष व सुख दुःख
और विषय आसक्त इन्द्रियां.  (१३.५)

स्थूल शरीर चेतना व स्थिरता,
ये सब शरीर के ही हैं लक्षण.
सहित विकार इन्द्रियों के मैंने
किया क्षेत्र का सूक्ष्म है वर्णन.  (१३.६)

नम्र भाव व दम्भ न करना
सहनशील, सरल भाव का होना.
गुरु सेवा, शुचिता व अहिंसा 
स्थिरता व आत्मसंयम का होना.  (१३.७)

हो वैराग्य इन्द्रिय विषयों में
अहंकार जो मन में न करता.
जन्म मृत्यु, रोग, वृद्धावस्था 
दुखादि दोष का चिंतन करता.  (१३.८)

अनासक्त, पुत्र स्त्री व घर का
मन में मोह नहीं वह रखता.
इष्ट अनिष्ट प्राप्त हो कुछ भी 
मन को एक समान है रखता.  (१३.९)

अनन्य योग से मुझमें श्रद्धा
एवम अविचल भक्ति है रखता.
एकांत स्थान में रह कर के,
जन समुदाय में न खुश रहता.  (१३.१०)

अध्यात्मज्ञान में जो स्थिर ,
ब्रह्मज्ञान का अर्थ समझता.
तत्वज्ञान ही ज्ञान हैं कहते,
अन्य सभी अज्ञान समझता.  (१३.११)


              
                  ........ क्रमशः

© कैलाश शर्मा 

39 comments:

  1. बहुत सुंदर ..... वैराग्य को समझाती सुंदर प्रस्तुति

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  2. bahut hi gahan bhaw .......bahut acchhi prastuti ....

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  3. बहुत प्रभावी----अनवरत् चलते रहें। शुभकामनाएं।

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  4. सरल भाषा में गहन ज्ञान..

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  5. बहुत ही प्रभावी रचना वो भी इतनी सरल भाषा में,आभार.

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  6. अनुपम भाव संयोजन ... लिये बेहतरीन प्रस्‍तुति
    सादर

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  7. ्सरल भाषा मे गहन अभिव्यक्ति

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  8. सुंदर प्रस्तुति,अनुपम भाव

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  9. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २ १ / ५ /१ ३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।

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  10. आपकी यह रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण अंक - २ पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  11. योग ज्ञान का बहुत सुन्दर चिंत्रण ....

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  12. बहुत खूब | बढ़िया लेखन | सुन्दर अभिव्यक्ति विचारों की | सादर

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  13. गहन अभिव्यक्ति लिये बहुत सुंदर प्रस्तुति,...आभार..

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  14. शुभम कैलाश जी
    बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण
    बधाई स्वीकारें ,मेरे ब्लॉग में शामिल होकर अनुग्रहित करें
    गुज़ारिश
    शुक्रिया जी

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  15. पढ़ कर मन पवित्र होता जा रहा है.इस कल्याणकारी रचना के लिए बधाई...

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  16. हमारे लिए तो इनको पढ़ना ... हवन से कम नहीं ...
    गूढ़ ज्ञान सरल शब्दों में ...

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  17. वैराग्य की गहन अभिव्यक्ति बहुत सुंदर

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  18. अध्यात्मज्ञान में जो स्थिर ,
    ब्रह्मज्ञान का अर्थ समझता.
    तत्वज्ञान ही ज्ञान हैं कहते,
    अन्य सभी अज्ञान समझता

    जय श्री कृष्ण !

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  19. दिशानिर्देशक सार्थक भावानुवाद सरल सहज पदावली में .

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  20. Bahut dinon baad aapko padh rahi hun...bada sukoon mila! Kharab tabiyat ke karan baith nahee pati!

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  21. नम्र भाव व दम्भ न करना
    सहनशील, सरल भाव का होना.
    गुरु सेवा, शुचिता व अहिंसा
    स्थिरता व आत्मसंयम का होना.
    bahut badhiya

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  22. बहुत सुन्‍दर और सार्थक रचना आभार
    हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र की जादूई जानकारियॉ प्राप्‍त करने के लिये एक बार अवश्‍य पधारें और टिप्‍पणी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ साथ पर अनुसरण कर अनुग्रहित करें MY BIG GUIDE

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  23. बहुत उम्दा

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  24. बहुत खूबसूरत

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  25. सार्थक सृजन
    अदभुत
    सादर

    आग्रह हैं पढ़े
    तपती गरमी जेठ मास में---
    http://jyoti-khare.blogspot.i

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  26. बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुति , धन्यवाद

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  27. बहुत सुन्‍दर और सार्थक रचना आभार इसी तरह की पोस्ट लिखते रहे सर और हमेशा की तरह ज्ञान दीजिये Computer Sikho - कंप्यूटर सीखो हिंदी मे

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  30. This comment has been removed by the author.

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