ॠता शेखर ‘मधु’ जी की सद्य प्रकाशित आकर्षक पुस्तिका
‘हिन्दी–हाइगा’ हाथ में आते ही पृष्ठ पलटने का लोभ संवरण नहीं कर पाया और कुछ ही
देर में अनुभूत होने लगा कि मैं पुस्तिका के नहीं बल्कि एक सुन्दर आर्ट पेपर पर
छपे ऐसे कैलेंडर के पृष्ठ पलट रहा हूँ जो वर्ष समाप्त होने पर भी दीवार से उतारने
का दिल नहीं करता.
हाइगा विधा पर यह शायद प्रथम और एक उत्कृष्ट
पुस्तिका है. हाइगा एक जापानी विधा है जो दो शब्द हाइ और गा को मिला कर बना है.
हाइ शब्द का अर्थ है हाइकु (कविता) और गा का अर्थ है रंग चित्र या चित्रकला. हाइकु
तीन पंक्तियों और ५-७-५ शब्दों की एक लोकप्रिय और सशक्त काव्य विधा है. हाइकु और
चित्र का संयोजन हाइगा है जिसे चित्र-कविता या काव्य-चित्र कहा जा सकता है. जापान
में यह विधा १७वीं शताब्दी में शुरू हुई जब इसे रंग और ब्रुश से बनाया जाता था,
लेकिन आजकल इसके लिए डिजिटल फोटोग्राफी तकनीक का प्रयोग किया जाता है.
हाइगा केवल चित्र के ऊपर हाइकु लिखना मात्र नहीं
है. हाइगा की प्रभावी प्रस्तुति हाइकु और चित्र दोनों के उत्कृष्ट संयोजन पर
निर्भर है. तीन पंक्तियों और १७ शब्दों में भावों की प्रभावी और सम्पूर्ण
अभिव्यक्ति हाइकु की सफलता का मूल मन्त्र है. हाइकु के भावों के उपयुक्त चित्र चयन
एक आसान काम नहीं है. एक अच्छे हाइगा में शब्द (हाइकु) चित्र के भावों को मुखरित
कर देते हैं, वहीं चित्र शब्दों को जीवंत कर देता है. ॠता जी ने इन दोनों
क्षेत्रों में अपनी अद्भुत क्षमता का परिचय दिया है. ‘हिन्दी-हाइगा’ में संयोजित
प्रत्येक हाइगा इस कसौटी पर खरा उतर कर अंतस को गहराई तक छू जाता है.
बहुमुखी प्रतिभा की धनी ॠता शेखर ‘मधु’ जी ने हिंदी
ब्लॉग जगत को अपने ब्लॉग ‘हिन्दी-हाइगा’ (http://hindihaiga.blogspot.in/) के द्वारा न केवल
हाइगा से परिचित कराया, बल्कि वे इस क्षेत्र में एक सशक्त हस्ताक्षर भी हैं. उनके
ब्लॉग पर अनेक रचनाकारों के हाइकु पर आधारित १००० से अधिक हाइगा उपलब्ध हैं और
उनमें से ३६ रचनाकारों के उत्कृष्ट हाइकु पर आधारित हाइगा इस पुस्तिका में संकलित
हैं. प्रत्येक हाइगा में चित्रों का चयन हाइकु के भावों को जीवंत कर गया है. हाइकु
के भावों की गहराई और उपयुक्त चित्रों के
संयोजन के सौन्दर्य के बारे में शब्दों में कुछ कहना बहुत कठिन है, इसे केवल महसूस किया जा
सकता है.
पुस्तिका के उत्कृष्ट सम्पादन, आवरण, संकलन एवं संयोजन के लिए ॠता जी बधाई की
पात्र हैं. कॉफ़ी टेबल बुक की तरह ख़ूबसूरत, अपनी तरह की एक अनूठी और शायद इस विधा की सर्व प्रथम यह पुस्तिका निश्चय
ही संग्रहणीय है और पाठकों को अवश्य पसंद आयेगी.
पुस्तक प्राप्ति के लिए ॠता शेखर ‘मधु’ जी से hrita.sm@gmail.com
पर संपर्क कर सकते हैं.
....कैलाश शर्मा
आभार कैलाश भाई जी ...हाइगा के बारे में इतनी अच्छी जानकारी के लिए ...
ReplyDeleteऋता शेखर मधु जी को बधाई एवं शुभकामनाएं इस सुन्दर किताब के लिए ...
ReplyDeletehardik shubhkamnaye
Deleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें
ReplyDeleteनये सृजन की सार्थक और सुंदर जानकारी
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनायें
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है--
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------
hardik bdhai or sundar jankari
ReplyDeletecongrats with best wishes...:)
ReplyDeleteॠता शेखर मधु जी को हार्दिक बधाइयाँ एवँ शुभकामनायें तथा आपका इतनी सुंदर जानकारी एवं समीक्षा उपलब्ध कराने के लिये धन्यवाद एवँ आभार ! पुस्तक निश्चित रूप से बहुत ही खूबसूरत होगी !
ReplyDeletehardik shubhkamnayein...jankari kay liye bahut shukriya
ReplyDeleteप्रवाह है, इस छंद में..मात्रा बिना गेयता नहीं आती..
ReplyDeleteबधाई इस पुस्तक के प्रकाशन की ॠता शेखर मधु जी को ... आपने इसकी जानकारी दि इसका भी आभार ... संजोने लायक है ये पुस्तक ...
ReplyDeletecongratsssssssssssssss
ReplyDeletevakayee me adbhud sangam
ReplyDeleteआभार कैलाश जी, हाइगा के बारे में इतनी अच्छी जानकारी के लिए।
ReplyDeleteAteev sundar jankaree.....
ReplyDelete........बेहतरीन
ReplyDeleteराज चौहान
http://rajkumarchuhan.blogspot.in
आभार...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई और शुभकामनाएं..
ReplyDeleteबहुत अच्छी समीक्षा की है .... यह पुस्तक मुझे भी प्राप्त हुई ... आपकी लिखी एक एक बात सटीक है ... ऋता जी को बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ,
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे ,
हसरते नादानी में
http://sagarlamhe.blogspot.in/2013/07/blog-post.html
बेहतरीन हइगा बढ़िया चित्रों के साथ.... पढ़ाने के लिए बहुत बहुत आभार !!
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत समीक्षा !
ReplyDeletelatest post क्या अर्पण करूँ !
latest post सुख -दुःख
बहुत बहुत धन्यवाद इस मूल्यवान जानकारी के लिए कैलाश जी …
ReplyDeleteआपके इस आलेख से हाइगा के संबंध में सुंदर जानकारी उदाहरण सहित मिली, किताब के लिये बहुत बधाई और शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुंदर जानकारी हाइगा के बारे में , ऋता जी को बधाई ! आभार !
ReplyDeleteबहुत सुंदर........हाइगा की रोचक जानकारी
ReplyDeleteप्रशंसनीय - बधाई
ReplyDeleteशब्दों की मुस्कुराहट पर .... हादसों के शहर में :)
बेहतरीन जानकारी के लिए आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर समीक्षा , आपको और ऋता जी दोनों को बहुत बधाई,
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
गुरु को समर्पित
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_22.html
Is book ke intajaar.men hoon
ReplyDeleteबहुत बधाई. पुस्तक के लिए ऋता जी को बधाई.
ReplyDeleteKailash Sharma Sir evam aap sabhi ka tahe-dil- se aabhar !!
ReplyDeleteहाईगा के बारे में हमें यह जानकारी देने के लिए आपका आभार .....
ReplyDeleteसाथ में चुनी हुई हाइगा हमारे साथ साझा करने के लिए शुक्रिया....
book mil gai
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
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ReplyDeletebadhaiyan is sundar haiga ke pustk ke liye ,dhnybad.
ReplyDeleteमधु जी को हार्दिक बधाई !
हाइगा के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी प्रस्तुति हेतु आभार!
Wah Wah...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाएं।
ReplyDeleteकृति कृति कारा और समीक्षा दोनों खूब खूब -सूरत रहीं।
ReplyDeleteबहुत बधाई व शुभकामनायें
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