(१)
कौन है जिंदा
शहर कब्रस्तान
दफ़न ख़्वाब.
ख्वाबों की
लाश
कन्धों पर ढो रहा
जिंदा है कैसे?
(३)
मन का पंछी
बेचैन उड़ने को
घायल पंख.
(४)
मन का पंछी
बंधा रिश्ते डोर में
तोड़ न पाए.
(५)
आत्मा है पंछी
कब है बाँध पाया
शरीर इसे.
(६)
क्या है
तुम्हारा
किस पर गुमान
छोड़ जाना है.
(७)
बांटते जाना
अंतर्मन से प्यार
असली खुशी.
(८)
जीना ज़िंदगी
टुकड़ों
टुकड़ों में
मुश्किल
होता.
(९)
सुनेगा कौन
अहसास दिल के
मुर्दों के बीच
इंसान नहीं जिंदा
हैवानों का है राज.
(१०)
राह के कांटे
चुनते चलो तुम
होगा आसान
पीछे आने वालों को
राहों पर चलना.
.....कैलाश शर्मा
दार्शनिक टच लिए हैं आज के हाइकू .. लाजवाब ...
ReplyDeleteहालात और विडम्बनाओं का मार्मिक चित्रण है इन पंक्तियों में। खासकर आखिरी वाली पंक्तियां तो अनुकरणीय हैं।
ReplyDeleteसटीक रचनाएँ ....बहुत बढ़िया आदरणीय कैलाश जी
ReplyDeleteयथार्थ की दृष्टि से आप्लावित हाईकू
ReplyDeleteआदरणीय सर , हाइकू के विषय पे मुझे कुछ ख़ास जानकारी नहीं हैं , परन्तु आत्मबोध के कारण मुझे ये समझने मेें परेशानी नहीं हो रही है , कहने का तात्पर्य यह हैं कि जो भी आपने लिखा है वो हम सबके काम का हैं , ज़रूरत है तो सिर्फ ध्यान देने की , बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन --: प्रश्न ? उत्तर -- भाग - ६
waah bahut khub har pankti
ReplyDeletebahut sundar prastutikaran
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.एंव बहुत बढ़िया आदरणीय कैलाश जी।
ReplyDeletebahut sundar .............namste bhaiya
ReplyDeleteसुन्दर हैकु
ReplyDeleteलाजवाब हाइकू ..
ReplyDeleteसार्थक भाव लिए हाईकू
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन...
:-)
सभी हाइकु और ताँका उत्कृष्ट है. हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDelete(५)
ReplyDeleteआत्मा है पंछी
कब है बाँध पाया
शरीर इसे.
सुन्दर सारे हाइकु सब में सार समाना है।
बहुत सुंदर भाव बोध देते हाइकु !
ReplyDeleteअद्धभुत उम्दा अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहाइकू .. लाजवाब ....
सादर
अनमोल सीख देते बहुत ही सुंदर हाईकू ! सभी सार्थक, सशक्त एवँ भावपूर्ण !
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक। …… बेहतरीन
ReplyDeleteवाह सभी के सभी सुन्दर |
ReplyDeletebadhiya
ReplyDeleteकुछ कहते ,बहुत कुछ समझाते आपके हाइकु........
ReplyDeleteगहन भाव युक्त .... सुन्दर हाइकू … आभार
ReplyDeleteबहुत ही गहन भाव की प्रस्तुति !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया .
ReplyDeletelovely haikus..
ReplyDeletesense of altruism at the concluding verse was very inspirational !!
सच! बड़ा मनभावन है हाइकू ...
ReplyDeleteबहुत ही सारगर्भित हाइकू, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
प्रणाम सरजी.. !
ReplyDeleteएक से एक गहरे सागर भरे हैं इन गागरों में.. !
वाह !
wah ! lajawab hiku
ReplyDeleteसार्थक हाइकू और तांका रचनाएँ
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