तलाश करो स्वयं
अपने स्वयं का अस्तित्व
अपने ही अन्दर
न भागो अपने आप से,
तुम्हारा अपना स्वत्व ही
तुम्हारा मित्र या शत्रु,
प्रज्वलित होती अग्नि
अच्छाई या बुराई की
स्वयं अपने अंतस में,
व्यर्थ है दोष देना
किसी बाहरी शक्ति को।
दिखाता रास्ता अपना ही 'मैं'
आगे बढ़ने का जीवन राह में।
....कैलाश शर्मा
बहुत मुश्किल है :(
ReplyDeletenc post sr
ReplyDeleteसर बहुत बढ़िया व उत्कृष्ट रचना , धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन --: तेरा साथ हो , फिर कैसी तनहाई
शब्दशः सत्या एवं सार्थक कहती सुंदर रचना ...!!
ReplyDeleteयह मैं ही तो सारे फसाद कि जड़ बन जाता है कभी-कभी और कभी समस्या का हल भी...वाकई यह मैं बहुत ज़रूरी है।
ReplyDeleteमैं ही शब्द में सम्पूर्ण सच्चाई है..
ReplyDeleteसही - गलत है बहुत ही बेहतरीन सार्थक रचना..
:-)
मैं ही सर्वशक्तिमान हूँ .....हमारे ही अंदर अच्छा बुरा सब कुछ है.... सुंदर भाव ....!!
ReplyDeleteसंवेदना से भरी अद्भूत
ReplyDeleteप्रिय ब्लागर
ReplyDeleteआपको जानकर अति हर्ष होगा कि एक नये ब्लाग संकलक / रीडर Hindi Blog`s Reader , हिंदी ब्लाग रीडरका शुभारंभ किया गया है और उसमें आपका ब्लाग भी शामिल किया गया है । कृपया एक बार जांच लें कि आपका ब्लाग सही श्रेणी में है अथवा नही और यदि आपके एक से ज्यादा ब्लाग हैं तो अन्य ब्लाग्स के बारे में वेबसाइट पर जाकर सूचना दे सकते हैं welcome to Hindi blog reader
आत्मचिंतन को प्रेरित करती रचना. अति सुन्दर.
ReplyDeleteइस तलाश में कई भटक भी जाते हैं...राह बड़ी विकट है...
ReplyDeleteगहन भाव..
सादर
अनु
bas yahi bhav to meri prerak hai ki satya, astitva ya swa-anubhuti kirane ke dukan me nhi apne hi vyaktigat makan me milti hai. Jab ham antas ki yatra karte hain... Baki sab to bas yoon hi chalta rahta hai....
ReplyDeleteSadhuvad...
Einstein
http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय अंक २९/११/२०१३ में आपकी इस रचना को शामिल किया गया हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे धन्यवाद
ReplyDeleteबस तलाश मैं ही कई बार खो जाता है अस्तित्व
ReplyDeleteअपने स्वयं का अस्तित्व
ReplyDeleteअपने ही अन्दर
.. aur kya likhun..!
namn aapko sirji !
अंतर्मुख होकर यह काम करना अति कठिन -ऋषि मुनि भी असमर्थ
ReplyDeleteनई पोस्ट तुम
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
बेहतरीन अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteबहुत सही और सुंदर बात !
ReplyDeleteदिखाता रास्ता अपना ही 'मैं'
ReplyDeleteआगे बढ़ने का जीवन राह में।bahut sundar
आत्मविश्लेषण के लिए अग्रसर करती पंक्तियां।
ReplyDeleteगहन जीवन दर्शन की सार्थक एवँ सशक्त अभिव्यक्ति ! बहुत सुंदर !
ReplyDeleteकल 30/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर उत्कृष्ट प्रस्तुति ....!
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नई पोस्ट-: चुनाव आया...
बहुत सुन्दर दार्शनिक भाव लिए रचना ..
ReplyDeleteबिलकुल सही बाहरी सतह पर नहीं जीवन के गहरे अर्थ तो भीतरी "मैं' में हैं |
ReplyDeleteव्यर्थ है दोष देना
ReplyDeleteकिसी बाहरी शक्ति को।
purntah sahmat ......
मन को स्वयं से साम्य स्थापित करना होता है।
ReplyDeleteतलाश करो स्वयं
ReplyDeleteअपने स्वयं का अस्तित्व
अपने ही अन्दर
न भागो अपने आप से,
तुम्हारा अपना स्वत्व ही
तुम्हारा मित्र या शत्रु, truly said
gehre bhav
ReplyDeleteखुद की ईमानदार पहचान और अपने पे भरोसा कर के जीवन की राह मिलती है ...
ReplyDeleteस्वयं की तलाश स्वयं में .... बहुत सुंदर भाव ।
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