Saturday, December 21, 2013

‘शुभमस्तु... सर्व जगताम’ – एक अभिनव प्रयास

फेस बुक पर अनेक साहित्यिक ग्रुप/समूह हैं जिसके सदस्य मंच पर अपनी रचनाएँ पोस्ट करते हैं, दूसरों की रचनाएँ पढ़ते हैं और अपनी टिप्पणियां देते हैं. लेकिन फेस बुक पर ‘नवोदित साहित्यकार मंच’ एक ऐसा साहित्यिक समूह है जो इनसे बिल्कुल अलग है. यहाँ केवल सदस्य अपनी रचनाएँ ही पोस्ट नहीं करते, वे दूसरे सदस्यों के द्वारा पोस्ट की हुई रचनाओं को गंभीरता से पढ़ते हैं और उन पर अपने सार्थक सुझाव भी देते हैं. काव्य की विभिन्न विधाओं जैसे ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे आदि पर विषद चर्चा और अभ्यास के कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिसमें वरिष्ठ रचनाकार नवोदित रचनाकारों का मार्ग दर्शन भी करते हैं. नवोदित रचनाकारों के प्रोत्साहन के लिए दिये हुए शीर्षक पर प्रति सप्ताह प्रतियोगिता आयोजित की जाती है जिसमें चुने गए रचनाकारों को सम्मानित किया जाता है. मुक्तक दिवस के अतिरिक्त हल्के फुल्के ‘गपशप’ और ‘Sunday-Fun day’ जैसे कार्यक्रम सदस्यों में एक स्नेह और भाईचारे की भावना भी जाग्रत करते हैं. नवोदित रचानाकारों को प्रोत्साहित करना और उनका मार्ग दर्शन करना इस मंच का मुख्य उद्देश्य है. इसी कड़ी में मंच के २५ वरिष्ठ और नवोदित रचनाकारों की प्रतिनिधि रचनाओं को एक काव्य-संग्रह ‘सुभमस्तु...सर्व जगताम’ के रूप में काव्य प्रेमियों के समक्ष लाकर एक अभिनव और सराहनीय प्रयास किया है जिसके लिए मंच के आयोजक/प्रबंधक श्री नीरज सिंह कौरा जी, श्री दीपक कुमार नगाइच ‘रोशन’ जी एवं श्री मुकेश कुमार पंड्या जी बधाई के पात्र हैं.

‘शुभमस्तु...सर्व जगताम’ साझा काव्य-संग्रह में ओम नीरव जी, डॉ आशुतोष वाजपेयी जी, अरुन श्रीवास्तव जी, प्रमिला आर्य जी, अश्वनी कुमार शर्मा जी, सविता अगरवाल जी, पूनम सिन्हा जी, विनिता सराना जी, मुकेश कुमार पंड्या जी, अनीता मेहता जी, नीलिमा शर्मा जी, दीपिका द्विवेदी जी, सीमा अग्रवाल जी, सोहन परोहा “सलिल” जी, वैशाली चतुर्वेदी जी, डा. शैलेन्द्र कुमार उपाध्याय जी, प्रहलाद पारीक जी, नीलम मैदीरत्ता जी, श्रीकान्त निश्छल जी, यूनुस अली जी, सुरेश चौधरी जी, सुशील सरना जी, नीरज सिंह कौड़ा जी, दीपक कुमार नगाइच “रोशन” जी की तीन या अधिक रचनाएँ हैं. इस काव्य सागर में कुछ बूँदें मेरी भी हैं. काव्य संग्रह में एक ओर जहाँ वरिष्ठ रचनाकारों की रचनाएँ हैं, वहीं नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए उनकी रचनाओं को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है.

काव्य-संग्रह में सभी रचनाकारों की एक से अधिक रचनाएँ होने से प्रत्येक रचनाकार की लेखन प्रतिभा के विभिन्न आयामों, भाव सम्प्रेषण और विभिन्न काव्य विधाओं में कौशल से परिचित होने का अवसर मिला है. संग्रह में चयनित उत्कृष्ट रचनाएँ अंतस को गहराई तक छू जाती हैं. प्रत्येक रचनाकार की रचनाओं के बारे में बहुत कुछ कहने की उत्कंठा है लेकिन आलेख का बहुत लम्बा हो जाने का डर है. प्रत्येक रचना का अपना भाव है, अपना सम्प्रेषण कौशल है, अपना आकर्षण है जो स्वयं पढ़ने के बाद ही महसूस किया जा सकता है.

पुस्तक में सम्मिलित रचनाओं में विभिन्न काव्य विधाओं का दिग्दर्शन इन्द्रधनुषी सौन्दर्य पैदा करता है. ‘शुभमस्तु...सर्व जगताम’ एक बार हाथ में उठाने के बाद आप इसको पूरा पढ़े बिना नहीं रह सकते. रचनाओं में विभिन्न भावों का आवेग, एक ही जगह विभिन्न काव्य विधाओं शास्त्रीय छंद, कविता, ग़ज़ल, नज़्म और छंद-मुक्त काव्य के विभिन्न रूपों का संगम, अंतस को सराबोर कर देता है और मुंह से केवल एक शब्द निकलता है ‘वाह’.

नवोदित साहित्यकार मंच की प्रस्तुति ‘शुभमस्तु...सर्व जगताम’ निश्चय ही एक उत्कृष्ट और संग्रहणीय काव्य-संग्रह है जिसके लिए मंच के आयोजक बधाई के पात्र हैं. आशा है कि यह मंच आगे भी नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहन देने और उनकी प्रतिभा को प्रकाश में लाने का अपने प्रयास जारी रखेगा.

पुस्तक का कवर पेज सर्व धर्म समभाव की भावना को जाग्रत करता प्रथम द्रष्टि में ही आकर्षित कर लेता है जिसके लिए सविता अगरवाल जी बधाई की पात्र हैं. शुक्तिका प्रकाशन को एक उत्तम और आकर्षक पुस्तक के प्रकाशन के लिए बधाई.

पुस्तक प्राप्ति के लिए मुकेश कुमार पंड्या जी (Mob. 09929138749) या दीपक कुमार नगाइच ‘रोशन’ जी (Mob. 9460826878 / 7877617167) से संपर्क कर सकते हैं.

प्रस्तुति : नवोदित साहित्यकार मंच
मूल्य : १२५/- रुपये
प्रकाशक : शुक्तिका प्रकाशन
         ५०८, न्यू अलीपुर, मार्केट काम्प्लेक्स,
         न्यू अलीपुर,
         कोलकाता – ७०००५३
         मो. 09830010986


.....कैलाश शर्मा 

15 comments:

  1. वाह बहुत सुंदर बधाई और शुभकामनाऐं !

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  2. साहित्य के सुन्दर संगम ऐसे ही पल्लवित हों, यथासंभव।

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  3. बहुत-बहुत बधाई हो आपको सर जी। ।
    :-)

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  4. बधाई और शुभकामनाऐं*************

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  5. " संसार विष वृक्षस्य द्वे फले अम्रतोपमे । काव्यामृत रसास्वादन संगतिः सज्जनैः सह ।" संसार रूपी इस विष-वृक्ष में दो ही अमृत के फल लगे हैं - एक- साहित्य का आनन्द दूसरा-सज्जनों की संगति ।"

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  6. बधाई और शुभकामनाएँ

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  7. उम्दा जानकारी के साथ २ बधाइयां एवं शुभकामनाएं। ..!
    =================================
    RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.

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  8. बहुत बहुत बधाई ....

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  9. ऐसे प्रयासों का स्वागत होना चाहिए ...
    आपको भी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ...

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  10. नवोदित साहित्यकार मंच व आपको बहुत बहुत बधाई

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  11. बीते दिनों साहित्य के क्षेत्र में बस अखाड़ा होने की खबरे ही मिली। नवोदित साहित्यकार मंच से कुछ सकारात्मक प्राप्त हुआ।
    बहुत बधाई !

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  12. ऐसे प्रयास आपसी मेलजोल के साथ एक दूसरे को जानने का पूरा मौका देते हैं और साथ ही हौसला-अफजाई के लिए फेसबूक उपयुक्त प्लेटफॉर्म है।

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