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Sunday, March 12, 2017

दुख दर्द दहन हो होली में

दुख दर्द दहन हो होली में,
हो रंग ख़ुशी के होली में।

तन मन आंनदित हो जाये,
जब रंग उड़ेंगे होली में।

सब भेद भाव मिट जायेंगे,
जब गले मिलेंगे होली में।

जब पिया गुलाल लगायेंगे,
तन मन सिहरेगा होली में।


मन से मन का जब रंग मिले,
तन रंग न चाहे होली में।

...©कैलाश शर्मा 

Saturday, March 15, 2014

अब न खेलूंगी श्याम संग होरी

अब न खेलूंगी श्याम संग होरी.
बहुत सतावे है वह मोको, बहुत करे बरजोरी.  
चुनरी भीग गयी है मोरी, भीग गयी है चोरी.   
कैसे जाऊं मैं अब घर पे, देख रहीं सब छोरी.   
कान्हा शरम न आवै तुमको, हरदम सूझे होरी.  
आओगे जब बरसाने, समझोगे तब तुम होरी.    
प्रेम रंग बरसे है ब्रज में, कैसे रहती कोरी.
भीग रंग में तेरे कान्हा, बनी सदा को तोरी.    

होली की
हार्दिक शुभकामनायें 

....कैलाश शर्मा 

Monday, March 25, 2013

अब होली में रंग नहीं है


नहीं फाग के स्वर आते हैं,
ढोलक ढप हैं मौन हो गए,
अब उत्साह नहीं है मन में
अब होली में रंग नहीं है.

न मिठास बाक़ी रिश्तों में,
मिलते हैं गले अज़नबी जैसे,
रंग गुलाल हैं पहले ही जैसे
प्रेम पगे पर रंग नहीं हैं.

महंगाई सुरसा सी बढ़ती,
है गरीब की थाली खाली,
कैसे ख़ुमार छाये होली का
जब गिलास में भंग नहीं है.

गुझिया का खोया मिलावटी,
मुस्कानें बनावटी लगतीं,
आगे बढ़ते हाथ हैं मिलते,
दिल में पर उमंग नहीं है.

शहरों की सडकों पर टेसू
पैरों तले हैं कुचले जाते,
काले पीले चेहरे के रंग में
भौजी का वह रंग नहीं है.

एक बार लौट सकें पीछे
एक बार वह होली पायें,
ख़्वाब कहाँ हो सकते पूरे
अब वे साथी संग नहीं हैं.

*****होली की हार्दिक शुभकामनायें*****

कैलाश शर्मा