मैंने सब द्वार खुले रखे थे अपने घर के,
बंद दर देख के खुशियाँ न कहीं मुड़ जायें.
थक गयी चौखटें सुनसान डगर तकते हुए,
बंद करती नहीं पलकें कि नज़र आजायें.
कितना आसान निकल जाना चुरा कर नज़रें,
तुमको क्या इल्म जो गुज़री है किसी के दिल पर.
इतना डर था जो ज़माने की नज़र का तुमको,
मुस्करा कर क्यों उठाई थी ये नज़रें मुझ पर.
अब न शिकवा,न शिकायत,न कोई गम है,
चन्द लम्हे ही बहुत हैं जो तेरे साथ कटे.
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
वर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
अब न शिकवा,न शिकायत,न कोई गम है,
ReplyDeleteचन्द लम्हे ही बहुत हैं जो तेरे साथ कटे.
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
वर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
उफ़ ……………कितना दर्द भर आया है आखिरी की पंक्तियों मे…………बेहद मर्मस्पर्शी।
अब न शिकवा,न शिकायत,न कोई गम है,
ReplyDeleteचन्द लम्हे ही बहुत हैं जो तेरे साथ कटे.
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
वर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
hrdy ke bhavon ki marmik abhivyakti .bahut sundar ..
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (4-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
मैंने सब द्वार खुले रखे थे अपने घर के,
ReplyDeleteबंद दर देख के खुशियाँ न कहीं मुड़ जायें.
थक गयी चौखटें सुनसान डगर तकते हुए,
बंद करती नहीं पलकें कि नज़र आजायें.
अच्छी पोस्ट और आपको बधाई
दिन मैं सूरज गायब हो सकता है
ReplyDeleteरोशनी नही
दिल टू सटकता है
दोस्ती नही
आप टिप्पणी करना भूल सकते हो
हम नही
हम से टॉस कोई भी जीत सकता है
पर मैच नही
चक दे इंडिया हम ही जीत गए
भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर आप सबको ढेरों बधाइयाँ और आपको एवं आपके परिवार को हिंदी नया साल(नवसंवत्सर२०६८ )की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!
121 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हो गया
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
ग़ज़ब की रूमानियत है.
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
ह्रदय के भावों को बड़ी अच्छी तरह से शब्दों में रूपांतरित किया है. शुभकामनाएँ.
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
bahut khub kya bat hai badhai
बेहतरीन!
ReplyDeleteसादर
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
bahut khub kaha aapne
इतना डर था जो ज़माने की नज़र का तुमको,
ReplyDeleteमुस्करा कर क्यों उठाई थी ये नज़रें मुझ पर.
दर्द भरी अभिव्यक्ति ..और संवेदनाओं के विभिन्न रूप सुन्दरता से अभिव्यक्त हुए हैं ..आपका आभार
यही कसक तो है जो प्रेम में तीक्ष्णता बनाये रखती है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया पोस्ट!
ReplyDelete"कितना आसान निकल जाना चुरा कर नज़रें,
ReplyDeleteतुमको क्या इल्म जो गुज़री है किसी के दिल पर.
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
वर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे "
बहुत खूब, कितना दर्द कितनी कसक और उसकी बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति ।
आभार
सर बहुत सुंदर गीत बधाई |नवसम्वत्सर की शुभकामनाएं |
ReplyDeleteअब न शिकवा,न शिकायत,न कोई गम है,
ReplyDeleteचन्द लम्हे ही बहुत हैं जो तेरे साथ कटे.
बहुत खूबसूरती से भावों को लिखा है ...अच्छी रचना
इतना डर था जो ज़माने की नज़र का तुमको,
ReplyDeleteमुस्करा कर क्यों उठाई थी ये नज़रें मुझ पर.
अब न शिकवा,न शिकायत,न कोई गम है,
चन्द लम्हे ही बहुत हैं जो तेरे साथ कटे.
दर्द और कसक बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति....नवसंवत्सर २०६८ की हार्दिक शुभकामनाएँ
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
बहुत अच्छी रचना । शुभकामनाएं ।
अब न शिकवा,न शिकायत,न कोई गम है,
ReplyDeleteचन्द लम्हे ही बहुत हैं जो तेरे साथ कटे.
अंतर्मन का दर्द लिए भाव.....बहुत सुंदर
मैंने सब द्वार खुले रखे थे अपने घर के,
ReplyDeleteबंद दर देख के खुशियाँ न कहीं मुड़ जायें
बेहतरीन , आपकी कविताओ में एक सार्थक बहाव रहता है, हमेशा की तरह सुन्दर बधाई शर्मा जी
बहुत सटीक रचना...
ReplyDeleteबस तीन ही अंतरे! एकाध और होता तो मन तृप्त होता अभी तो प्यासा ही रह गया। बहुत बढिया।
ReplyDeleteदेके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
दर्द भरी प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति -
बहुत सुन्दरता से दिल की व्यथा व्यक्त की है ...
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
बहुत खूब कहा है आपने ।
थक गयी चौखटें सुनसान डगर तकते हुए,
ReplyDeleteबंद करती नहीं पलकें कि नज़र आजायें
बहुत खूब,सुन्दर !
अच्छा लिखा है. बधाई
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग भी देखें
अब पढ़ें, महिलाओं ने पुरुषों के बारे में क्या कहा?
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
bahut sunder abhivykti..........
aabhar.
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteजब हम खुद से प्यार करना सीख जाते हैं , तो अकेलापन महसूस नहीं होता ।
ReplyDeleteबेहतरीन,खूबसूरत. दर्दीले भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteनवसंवत्सर पर आपको हार्दिक शुभ कामनाएँ.
मेरी नई पोस्ट 'वंदे वाणी विनायकौ' पर आपका स्वागत है.
apney bhaut kuch keh diya apney shabdon mein.
ReplyDeleteअंतिम पंक्तियों में खूब कहा आपने :
अब न शिकवा,न शिकायत,न कोई गम है,
चन्द लम्हे ही बहुत हैं जो तेरे साथ कटे.
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
वर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
सुन्दर रचना ....
अब न शिकवा,न शिकायत,न कोई गम है,
ReplyDeleteचन्द लम्हे ही बहुत हैं जो तेरे साथ कटे.
बहुत सुन्दर रचना. आभार...
sharma sahab
ReplyDeletesadar pranam
aapki umda rachana vastav men antarman ko bahut prabhavit karti hai . tipaniyan milati hain ya nahin , main bahut nahi sochata , parantu apki aur sangeeta swarup ki ,aashish ki mujhe alag sukhanubhuti hoti hai . aapki rachna-dharmita men prakhar imandari jhalakati hai ,jo mujhe prabhavit karti hai .mafi chahenge
apni dhrishtata ke liye. sundar shilp.
अच्छी पोस्ट और आपको बधाई
ReplyDeleteVivek Jain vivj2000.blogspot.com
अब न शिकवा,न शिकायत,न कोई गम है,
ReplyDeleteचन्द लम्हे ही बहुत हैं जो तेरे साथ कटे।
ये चंद लम्हे ही जीवन भर साथ निभाते हैं।
क्या बात....क्या बात....क्या बात....
ReplyDeleteदर्द और कसक बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeleteदेके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
वाह क्या बात है ... बहुत ही सुन्दर रचना ... मन के भाव आपने बड़े सुन्दर तरीके से पेश किये हैं ...
कैलाश चन्द्र शर्मा जी नमस्ते!
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पे आया. आपके सारे पोस्ट पढ़े बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपका!!
देके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
वर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे.
बहुत ही सुन्दर रचना ..
इस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं
ReplyDeleteReally expectation always hurt you... behad khubsurat kavita :)
ReplyDeleteकसक को खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है आपने.
ReplyDeleteDil me utarti hui khubsurat rachana..aah!
ReplyDeleteह्रदय के भावों को बड़ी अच्छी तरह से शब्दों में अभिव्यक्त किया है शुभकामनाएँ.......
ReplyDeleteदेके उम्मीद बदल जाना कसक देता है,
ReplyDeleteवर्ना मुश्किल नहीं जो उम्र अकेले ही कटे. aapki abhivyakti saral shabdon me par badi shashkt hoti hai...dil ko gahre tak choo lene vali...
कितना आसान निकल जाना चुरा कर नज़रें,
ReplyDeleteतुमको क्या इल्म जो गुज़री है किसी के दिल पर.
इतना डर था जो ज़माने की नज़र का तुमको,
मुस्करा कर क्यों उठाई थी ये नज़रें मुझ पर.
हर पंक्ति बहुत ही दमदार जैसे किसी को दोषी करार कर रही हो ? बहुत ही खूबसरत अंदाज़ |
मक्खनी रचना है जिसमें स्मृति की बूंदें टपकती हैं और फिसलकर कहीं खो जाती हैं.
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