(१)
देख चुके जीवन में
रंग सभी मौसम के,
इंतज़ार है
पतझड़ का,
जो उड़ा कर ले जाये
सूखे पीले पत्तों को
कहीं दूर
किसी अनज़ान सफ़र पर.
(२)
कब तक लडेगा चाँद
अंधियारे से,
आखिर धीरे धीरे
छुप जाता है
उसका अस्तित्व भी,
अमावस के आगोश में.
(३)
क़ैद कर दो
ख़्वाबों को
किसी अँधेरे खँडहर में,
बहुत दुख देते हैं
टूट जाने पर.
(४)
कुछ रिश्ते
बन जाते हैं बोझ इतना
कन्धों पर,
कि उनको ढ़ोते ढ़ोते
ज़िंदगी की आँखें भी
पथराने लगती हैं
मौत के इंतज़ार में.
सुंदर और रुचिकर क्षणिकायें|
ReplyDeleteकब तक लडेगा चाँद
ReplyDeleteअंधियारे से,
आखिर धीरे धीरे
छुप जाता है
उसका अस्तित्व भी,
अमावस के आगोश में...
Amazing 'kshnikaayein' !
Nothing is eternal in this universe.
.
ख्वाबों को कैद कर लें, मुठ्ठी मजबूत करनी होगी।
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएँ स्वयं को अभिव्यक्त करने में सक्षम ...
ReplyDeleteजीवन के सत्य को दर्शाती क्षणिकाएं।
ReplyDeleteइन बेजोड़ क्षणिकाओं के लिए बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
बेहतरीन क्षणिकायें|
ReplyDeletebadhiyaa hai KC bhai.
ReplyDeleteकुछ रिश्ते
ReplyDeleteबन जाते हैं बोझ इतना
कन्धों पर,
कि उनको ढ़ोते ढ़ोते
ज़िंदगी की आँखें भी
पथराने लगती हैं
मौत के इंतज़ार में.
सभी क्षणिकाएँ एक से बढकर एक...
हम्म
ReplyDeleteजीवन को सकारात्मक रूप में भी लिया जा सकता है...
सभी क्षणिकाएॅ बेहतरीन है। अन्तिम रचना दिल को छुती है।
ReplyDeleteख्वाबों को कैद, यह क्या कह रहें है इन्हीके सहारे है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बधाई.............
क़ैद कर दो
ReplyDeleteख़्वाबों को
किसी अँधेरे खँडहर में,
बहुत दुख देते हैं
टूट जाने पर.
बहुत सुंदर क्षणिकाएं।
कब तक लडेगा चाँद
ReplyDeleteअंधियारे से,
आखिर धीरे धीरे
छुप जाता है
उसका अस्तित्व भी,
अमावस के आगोश में.
गहन अभिव्यक्ति .... बहुत सुंदर क्षणिकाएं
सभी क्षणिकाए बहुत सुन्दर बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकायें....
ReplyDelete"कब तक लड़ेगा चाँद अंधियारे से "
ReplyDeleteबहुत खूब सोच |बधाई
आशा
बहुत ही सुंदर भावों के साथ आपकी अभिव्यक्ति उभर कर सामने आयी है।मन के किसी कोने में इन भावों का स्थिर होकर आपना अस्तित्व बनाए रखना एक बड़ी बात है । आपने मन तरंगों में उठते भावों को जीवन के सही संदर्भों में एक नया आयाम देने का अप्रतिम प्रयास किया है,जो काबिले तारीफ है।धन्यवाद।पुन:मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteसुँदर क्षणिकाये . ख्वाबों को स्वछन्द विचरण करने दे . ये ही तो जीवन के असली रंग है .
ReplyDeleteगहन जीवन दर्शन को व्याख्यायित करतीं बेहतरीन क्षणिकायें ! बधाई स्वीकार करें !
ReplyDeletesabhee kshnikae jeevan darshan se judee yatharthbodh karatee......ek se bad kar ek hai.......ant to sabheeka ek hee hai aae hai to jana bhee hai par intzar ka mood dukhee kar gaya.......ise mood se ubarana jarooree hai.
ReplyDeleteबेहतरीन जीवन के सत्य को दर्शाती क्षणिकाएं जो काबिले तारीफ है।
ReplyDeleteआपके जज्बे को सलाम !!
बहुत सुंदर क्षणिकाएं। धन्यवाद|
ReplyDeleteकुछ रिश्ते
ReplyDeleteबन जाते हैं बोझ इतना
कन्धों पर,
कि उनको ढ़ोते ढ़ोते
ज़िंदगी की आँखें भी
पथराने लगती हैं
मौत के इंतज़ार में.
... bahut khoob
हर क्षणिका ज़िंदगी से जुडी हुई ..बहुत अच्छी लगीं
ReplyDeleteख़्वाबों को
ReplyDeleteकिसी अँधेरे खँडहर में,
बहुत दुख देते हैं
टूट जाने पर।
गहन भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर पंक्तियां।
कविता के द्वारा कितनी सहजता से बहुत गहरी बातें कह देते हैं आप।
जीवन के सत्य को बेहद गरिमापूर्ण रूप दिया है आपने ...सादर !
ReplyDeleteavsaad se bhari hain aapki "BHAAVKANIKAAYEN"bhaai sahib .
ReplyDeleteveerubhai
जिंदगी की हकीक़त है इन क्षणिकाओं में...
ReplyDeleteकब तक लड़ेगा चाँद अंधियारे से "
ReplyDeleteबहुत ही अनुपम प्रस्तुति ।
कुछ रिश्ते
ReplyDeleteबन जाते हैं बोझ इतना
कन्धों पर,
कि उनको ढ़ोते ढ़ोते
ज़िंदगी की आँखें भी
पथराने लगती हैं
मौत के इंतज़ार में.
सच जब रिश्तें निभाए नहीं जाते तब उनकों बोझ समझ ढोया ही जाता है...
बहुत संवेदनशील प्रस्तुति
priy sharma sahab
ReplyDeletesunder abhivyakti sarabor karti huyi ......
कुछ रिश्ते
बन जाते हैं बोझ इतना
कन्धों पर,
कि उनको ढ़ोते ढ़ोते
ज़िंदगी की आँखें भी
पथराने लगती हैं
मौत के इंतज़ार में.
marmik swarup bhavnaon ka ji .shukriya .
क़ैद कर दो
ReplyDeleteख़्वाबों को
किसी अँधेरे खँडहर में,
बहुत दुख देते हैं
टूट जाने पर.
अच्छी लगीं क्षणिकायें ...
कुछ दस, बारह बेहतरीन क्षणिकायें 'सरस्वती -सुमन' पत्रिका के लिए
अपने संक्षिप्त परिचय और छाया चित्र के साथ यहाँ भेजें ....
harkiratheer@yahoo.in
क़ैद कर दो
ReplyDeleteख़्वाबों को
किसी अँधेरे खँडहर में,
बहुत दुख देते हैं
टूट जाने पर.
बहुत ही सुंदर क्षणिकाएं |बहुत बहुत बधाई अग्रज शर्मा जी
आदरणीय श्रीकैलासजी,
ReplyDeleteज़िन्दगी क्या है ? मृत्यु का अहसान है.
आप बड़े उम्दा शायर-कवि ही नहीं, पर उम्दा इन्सान भी है,तभी तो ज़िदगी के हर पहेलू, इतना सटीक बयान कर सकते हैं।
आपको ढ़ेर सारी बधाईयाँ।
मार्कण्ड दवे।
http://mktvfilms.blogspot.com
कुछ रिश्ते
ReplyDeleteबन जाते हैं बोझ इतना
कन्धों पर,
कि उनको ढ़ोते ढ़ोते
ज़िंदगी की आँखें भी
पथराने लगती हैं
मौत के इंतज़ार में.
सभी क्षणिकाएँ एक से बढकर एक...
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteक़ैद कर दो
ReplyDeleteख़्वाबों को
किसी अँधेरे खँडहर में,
बहुत दुख देते हैं
टूट जाने पर...
वाह ... यूँ तो चारों ही कमाल की हैं .. पर कुछ ख़ास है इस बात में ... कोई क़ैद खाना मिले तब ही ना ...
कब तक लडेगा चाँद
ReplyDeleteअंधियारे से,
आखिर धीरे धीरे
छुप जाता है
उसका अस्तित्व भी,
अमावस के आगोश में.
खुबसूरत
निरामिष: अहिंसा का शुभारंभ आहार से, अहिंसक आहार शाकाहार से
क्षणिकाएं काबिले तारीफ है.
ReplyDeletebahut accha sharma G hamre blog par roj aane ka
ReplyDeletease hi aate rahiye ....apne pan ka ashsash hota hai hame bhi koi apne sa mil jata hai
bahut hi jabardast akeshnikaye aapke blog par aana bahut accha laga sir ji
ReplyDeleteaasha karta hoon aapse bahut kuch sikhne ko milega
ReplyDeletedhanywaad
sab ki sab maza de gayeen......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब क्षणिकाएं लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteबेहद प्रभावशाली शब्दांकन, जीवन को करीब से देखने की प्रश्तुती बधाई
ReplyDeleteaadarniy sir
ReplyDeletevilamb se tippni dene ke liye main hriday se aapse xhama mangti hun.
aksar hi aaj kal comments dene me mujhe deri ho jaati hai sawasthy ki gadbadi ke karan.
sir aap waqai me bahut hi behtreen likhte hain .
sari saari xhnikayen ek se badhkar ek hai .kiski
tarrif karun
(३)
क़ैद कर दो
ख़्वाबों को
किसी अँधेरे खँडहर में,
बहुत दुख देते हैं
टूट जाने पर.
behad hi achhi lagi
hardik abhi nandan
poonam
भावों की अभिव्यक्ति और शब्दों का चयन बहुत ख़ूब ..सुन्दर रचना....
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