आए हमको ज्ञान सिखाने,
ऊधो प्रेम मर्म क्या जानो.
पोथी पढ़ना व्यर्थ गया सब
जब ढाई आखर न जानो.
दूर कहाँ हमसे कब कान्हा,
प्रतिपल आँखों में बसता है.
प्रेम विरह में तपत रहत तन,
लेकिन मन शीतल रहता है.
तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
मीठी विरह कशक क्या जानो.
नहीं ज्ञान को जगह तुम्हारे,
रग रग कृष्ण प्रेम पूरित है.
प्राण हमारे गए श्याम संग,
इंतजार में तन जीवित है.
केवल ज्ञान नदी सूखी सम,
प्रेम हृदय का भी पहचानो.
आयेंगे वापिस कान्हा भी,
यही आस काफ़ी जीवन को.
मुरली स्वर गूंजत अंतस में,
नहीं और स्वर भाए मन को.
ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
प्रेम भाव की महिमा जानो.
कैलाश शर्मा
ऊधो प्रेम मर्म क्या जानो.
पोथी पढ़ना व्यर्थ गया सब
जब ढाई आखर न जानो.
दूर कहाँ हमसे कब कान्हा,
प्रतिपल आँखों में बसता है.
प्रेम विरह में तपत रहत तन,
लेकिन मन शीतल रहता है.
तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
मीठी विरह कशक क्या जानो.
नहीं ज्ञान को जगह तुम्हारे,
रग रग कृष्ण प्रेम पूरित है.
प्राण हमारे गए श्याम संग,
इंतजार में तन जीवित है.
केवल ज्ञान नदी सूखी सम,
प्रेम हृदय का भी पहचानो.
आयेंगे वापिस कान्हा भी,
यही आस काफ़ी जीवन को.
मुरली स्वर गूंजत अंतस में,
नहीं और स्वर भाए मन को.
ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
प्रेम भाव की महिमा जानो.
कैलाश शर्मा
प्रेम न जाना , प्रेम ना जीया तो सारा जीवन निस्सार
ReplyDeleteप्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति........
ReplyDeleteकेवल ज्ञान नदी सूखी सम,
ReplyDeleteप्रेम हृदय का भी पहचानो.
सही है प्रेम बिना जीवन नीरस होता है... सुन्दर भाव... आभार
वाह ...बहुत ही बहुत बढि़या ।
ReplyDeletesundar bhaaw bahut badhiya
ReplyDeletevery nice.
ReplyDeletebahut sunder likha aapne
ReplyDeleteछलक रहा है प्रेम हृदय का उदगार..
ReplyDeleteपोथी पढ़ना व्यर्थ गया सब
ReplyDeleteजब ढाई आखर न जानो.
prem tan se rah gayaa hai
man to bechaaraa nepathy mein rah gaya
uttam rachnaa
बहुत ही सुन्दर भाव| धन्यवाद।
ReplyDeleteआयेंगे वापिस कान्हा भी,
ReplyDeleteयही आस काफ़ी जीवन को.
मुरली स्वर गूंजत अंतस में,
नहीं और स्वर भाए मन को.
ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
प्रेम भाव की महिमा जानो.
Bahut badhiya!
है प्रेम जगत मे सार और कुछ सार नही…………प्रेम का पाठ जिसने पढ लिया बस उसने ही जीवन जी लिया …………भक्तिमयी बेहद खूबसूरत रचना।
ReplyDeletebahut sundar bhaavnatmak rachna.
ReplyDeleteआयेंगे वापिस कान्हा भी,
ReplyDeleteयही आस काफ़ी जीवन को.
मुरली स्वर गूंजत अंतस में,
नहीं और स्वर भाए मन को.
बहुत बढि़या
सहज अर्थों में प्रेम की परिभाषा
ReplyDeleteऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
ReplyDeleteप्रेम भाव की महिमा जानो.
बहुत ही सुन्दर भाव!
प्रेममद छाके पग परत कहाँ के कहाँ...
ReplyDeleteढाई अक्षर प्रेम के बगैर जीवन नीरस है,
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति,.....
MY NEW POST...आज के नेता...
तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
ReplyDeleteमीठी विरह कशक क्या जानो.waah...
वाह बेहद खूबसूरत है रचना बधाई
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..भावभीनी...
सादर.
तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
ReplyDeleteमीठी विरह कशक क्या जानो.
बहुत सुंदर बात कही.....
उद्धव तुमने ठीक न कीन्हा,
ReplyDeleteसच्चा प्रेम नहीं क्यों चीन्हा ?
बढ़िया !
प्राणी मात्र के लिए मन में प्रेम ही दुनिया का उद्धार कर सकता है।
ReplyDeleteसबसे ऊँची प्रेम सगाई...सुंदर रचना !
ReplyDeleteतुमने प्रेम किया कब ऊधव,
ReplyDeleteमीठी विरह कसक क्या जानो.
राधा कृष्ण के प्रेम की ऊँचाइयों को स्पर्श करती पावन रचना.
तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
ReplyDeleteमीठी विरह कसक क्या जानो.
राधा कृष्ण के प्रेम की ऊँचाइयों को स्पर्श करती पावन रचना.
बहूत हि सुंदर
ReplyDeleteप्रेमपगी रचना है,,
बेहतरीन अभिव्यक्ती..
बहूत सुंदर!
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति,सुंदर रचना के लिए बधाई,.....
ReplyDeleteNEW POST...काव्यांजलि...आज के नेता...
NEW POST...फुहार...हुस्न की बात...
yadi aap mere dwara sampadit kavy sangrah mein shamil hona chahti hain to sampark karen
ReplyDeleterasprabha@gmail.com
दूर कहाँ हमसे कब कान्हा,
ReplyDeleteप्रतिपल आँखों में बसता है.
प्रेम विरह में तपत रहत तन,
लेकिन मन शीतल रहता है.
तुमने प्रेम किया कब ऊधव,
मीठी विरह कशक क्या जानो.
गोपियों की विरह-व्यथा आपके शब्दों का आश्रय पा कर जीवंत हो गई है।
sundar panktiyan
ReplyDeleteनहीं ज्ञान को जगह तुम्हारे,
ReplyDeleteरग रग कृष्ण प्रेम पूरित है.
प्राण हमारे गए श्याम संग,
इंतजार में तन जीवित है.
SHARMA JI NISCHAY HI YH RACHANA ANTAR MAN KO CHHOOTI HAI ....SADAR BADHAI
प्यार के रंगों से लबरेज खूबसूरत रचना.
ReplyDeletebahut sundar :)
ReplyDeletebahut sunder bhav liye shaandaar prastuti.bahut badhaai aapko.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३२) में शामिल किया गया है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप सबका आशीर्वाद और स्नेह इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /इस मीट का लिंक है
http://hbfint.blogspot.in/2012/02/32-gayatri-mantra.html
ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
ReplyDeleteप्रेम भाव की महिमा जानो.
अनुपम भक्ति भावपूर्ण प्रस्तुति.
पढकर मन मग्न हो गया है.
बहुत बहुत आभार जी.
ऊधव सीखो कुछ गोपिन से,
ReplyDeleteप्रेम भाव की महिमा जानो.
उधौ मन नाहीं दस बीस ,एकहू था जो गया श्याम संग
गोपी भाव के सामने उद्धव हतप्रभ रह गए .अच्छी रचना .
प्रेम और विश्वास ही तो इस जीवन का सार हैं
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