लहरें नाम मिटा देती हैं, अच्छा है पत्थर पर लिखता... बहुत बढ़िया पंक्ति है..मुझे इस पर विष्णु सक्सेना याद आ गए, वो कहते हैं: तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया पत्थरों पे लिखोगे मिटेगा नहीं...
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
man ke udgaron ka ka anokhe dhang se tasalli dhoondati hui anupam rachanaa .bahut badhaai aapko. आप का बहुत बहुत धन्यवाद की आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और इतने अच्छे सन्देश दिए /आप का आशीर्वाद मेरी रचनाओं को हमेशा इसी तरह मिलता रहे यही कामना है /मेरी नई पोस्ट आप की टिप्पड़ी के इन्तजार में हैं/ जरुर पधारिये /लिंक है / http://prernaargal.blogspot.in/2012/02/happy-holi.html मैंने एक और कोशिश की है /अगर आप को पसंद आये तो उत्साह के लिए अपने सन्देश जरुर दीजिये /लिंक है http://www.prernaargal.blogspot.in/2012/02/aaj-jaane-ki-zid-na-karo-sung-by-prerna.html
बहता नहीं नाम ... सागर की गहराई में साथ साथ होता है , यानि जीवन सार में वे विद्यमान होते हैं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteऔर होता नहीं अकेला
कम से कम मेरा नाम
तुम्हारे जाने पर.
वाह!!!
प्रेम गति में तैर वही फिर
ReplyDeleteशिखर तक ऊर्ध्व पहुँचता है.
अखिल विश्व में इसी तरह
आरोह-अवरोह क्रम चलता है.
दिव्य तरंग के इस प्रवाह में
मानव मन फिर डूबता है.
जिसकी जितनी अपनी क्षमता
उतनी गागर जल भरता है.
स्व-संवेदना से माप उसी को
सुख और दुःख वह कहता है.
प्रेम तो है दोनों से अलिप्त
ये दोनों मन में ही संलिप्त.
अलिप्त - संलिप्त के द्वंद्व में
घिसता-पिसता है मानव मन.
करो अनुभूत इस प्रेम रूप को.
करो बोध अपने स्वरुप को.
बहुत खूब ... उनके जाने के बाद नाम नहीं दिल भी तो सूना हो जाता है ... अच्छे भाव ...
ReplyDeletebahut hi pyaari,dil ko chhu jane wali rachna
ReplyDeleteBhaav-poorn rachnaa !
ReplyDeleteगहन भाव छिपे हैं इस रचना में |बहुत खूब |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर भावुक प्रस्तुति.
ReplyDeleteपत्थर पर लिखा भी शायद वक्त की मार से विलुप्त हो जाए.
लेख यदि हृदय पर लिखे हों तो अमर हो जाते हैं.
प्रस्तुति के लिए आभार,कैलाश जी.
मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
अंतरस्पर्शी रचना...
ReplyDeleteसादर.
bahut sunder ......
ReplyDeleteलहरें नाम मिटा देती हैं, अच्छा है पत्थर पर लिखता ।
ReplyDeleteकोने में करता स्थापित, हर पल साथी सम्मुख दिखता ।।
यादों को कितना खुबसूरत, कविवर आप बना देते हो ।
पत्थर पर लिखकर क्या करना, दिल में सही सजा लेते हो ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
लहरें नाम मिटा देती हैं, अच्छा है पत्थर पर लिखता...
Deleteबहुत बढ़िया पंक्ति है..मुझे इस पर विष्णु सक्सेना याद आ गए, वो कहते हैं:
तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया
पत्थरों पे लिखोगे मिटेगा नहीं...
लिखा तो था हम दोनों ने
ReplyDeleteअपना नाम
साहिल की रेत पर,
बहा कर ले गयी
वक़्त की लहरें.
काश,
लिखा होता पत्थर पर
कर देता स्थापित
घर के एक कोने में
और होता नहीं अकेला
कम से कम मेरा नाम
तुम्हारे जाने पर
जागी आँखों का खाब सा है पूरी रचना .
बहुत ही बढ़िया भावपूर्ण गहन अभिव्यक्ति ...
ReplyDelete//होता नहीं अकेला
ReplyDeleteकम से कम मेरा नाम
तुम्हारे जाने पर.
kaaashh aisa hota..
bahut sundar shabd sirji :)
palchhin-aditya.blogspot.in
पत्थर दिल पर अपना नाम कौन लिखना चाहता है..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत है
ReplyDeleteसर बहुत सुन्दर कविता
ReplyDeleteलिखा तो था हम दोनों ने
अपना नाम
साहिल की रेत पर,
बहा कर ले गयी
वक़्त की लहरें.
सर बहुत सुन्दर कविता बधाई
प्रश्न बनके कल तलक था सामने,आज वो उत्तर मुझे समझा रहा है
ReplyDeleteअब अधेरी रात में भी दूर के,दीप का जलना ह्रदय को भा रहा है
बहुत बढ़िया सराहनीय प्रस्तुति,सुंदर रचना के लिए बधाई .
WEL COME TO MY NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
और होता नहीं अकेला
ReplyDeleteकम से कम मेरा नाम
तुम्हारे जाने पर.waah bahut badhiya.
वक़्त की लहरे.... बहुत कुछ कह गयी.....
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रेममयी भावाव्यक्ति ,बधाई
ReplyDeleteवक्त की लहरों ने नाम मिटा दिया...भावपूर्ण रचना|
ReplyDeletebahut sundar baavpoorn...
ReplyDeleteभावमय करते शब्द , अंतर आवाज़ की तरह बधाई
ReplyDeleteवक़्त की लहरें भले ही मिटा दें उनके नाम को लेकिन वो हर सांस में जीते हैं, अमिट है उनकी छाप आत्मा पर... बहुत सुन्दर भाव...
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
ReplyDeleteरेत पर लिखा नाम भी तो अमिट ही होता है
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति,
ReplyDeleteसादर
इस उम्दा रचना को पढ़वाने के लिए आभार!
ReplyDeleteBahut Gahare Bhav....
ReplyDeleteक्या बात है.// वाह!
ReplyDeletebahut hee sundar bhaav...!
ReplyDeleteसुन्दर! पर पत्थर पे लिखा नाम दिल में लिखे नाम सा स्थाई कब हुआ है?
ReplyDeletewah bahut sundar :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...मन कैसे तसल्ली ढूंढता है ...!!
ReplyDeleteman ke udgaron ka ka anokhe dhang se tasalli dhoondati hui anupam rachanaa .bahut badhaai aapko.
ReplyDeleteआप का बहुत बहुत धन्यवाद की आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और इतने अच्छे सन्देश दिए /आप का आशीर्वाद मेरी रचनाओं को हमेशा इसी तरह मिलता रहे यही कामना है /मेरी नई पोस्ट आप की टिप्पड़ी के इन्तजार में हैं/ जरुर पधारिये /लिंक है /
http://prernaargal.blogspot.in/2012/02/happy-holi.html
मैंने एक और कोशिश की है /अगर आप को पसंद आये तो उत्साह के लिए अपने सन्देश जरुर दीजिये /लिंक है
http://www.prernaargal.blogspot.in/2012/02/aaj-jaane-ki-zid-na-karo-sung-by-prerna.html
बहुत ही सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
मन की गहराइयों तक असर करने वाली कोमल कविता।
ReplyDeleteTime can prove to b a tough teacher :)
ReplyDeletelovely read !!
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय...... शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत सार्थक भावुक प्रस्तुति, सुंदर रचना के लिए कैलाश जी बधाई,...
ReplyDeleteNEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
जब दिल की दीवार पर नाम लिख लिया जाता हैं तो ...वहाँ रेत और पत्थर पर लिखे नाम का वजूद भी फिका पड़ जाता हैं
ReplyDeleteऔर होता नहीं अकेला
ReplyDeleteकम से कम मेरा नाम
तुम्हारे जाने पर.....
वाह!!!
बहुत प्यारी रचना...
गहन प्रेम और टीस लिए बहुत ही सुंदर कविता!
ReplyDeleteवाह !
chhoti si, par pyari si kavita
ReplyDeleteजहा प्रेम होता है वहा इतना दर्द क्यों होता है !!
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