(१)
रात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?
(२)
दिल का दर्द
दबाया था बहुत
छलकी आँखें.
(३)
जीवन राह
बहुत है कठिन
जीना फिर भी.
(४)
जाता है राही
वहीं रहती राह
सहती दर्द.
(५)
न जाने कब
फिसली थी उंगली
यादें ही बची.
(६)
खून के रिश्ते
बन गये हैं पानी
बहे आँखों से.
(७)
खोई ज़िंदगी
ढूँढता अँधेरे में
शायद मिले.
(८)
थके कदम
करते हैं तलाश
आख़िरी मोड़.
कैलाश शर्मा
रात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?
(२)
दिल का दर्द
दबाया था बहुत
छलकी आँखें.
(३)
जीवन राह
बहुत है कठिन
जीना फिर भी.
(४)
जाता है राही
वहीं रहती राह
सहती दर्द.
(५)
न जाने कब
फिसली थी उंगली
यादें ही बची.
(६)
खून के रिश्ते
बन गये हैं पानी
बहे आँखों से.
(७)
खोई ज़िंदगी
ढूँढता अँधेरे में
शायद मिले.
(८)
थके कदम
करते हैं तलाश
आख़िरी मोड़.
कैलाश शर्मा
ओस रात का दर्द है, आंसू दिल का दर्द |
ReplyDeleteगर्द भरी यह राह है, बाकी यादें सर्द |
बाकी यादें सर्द , मर्द औरत के रिश्ते |
करूँ बयानी फर्द, रहे हैं रिसते -पिसते |
गहरा घना अंधेर, देर मत करना ईश्वर |
आना जाना फेर, मुक्त कर हारा रविकर ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
badhiya aur prabhavshali haaiku... shubhkaamnayen
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जिंदगी के दर्द को समेटे प्रभावशाली हाइकू ,,,,
ReplyDeleteRECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
बेहतरीन हाइकु
ReplyDeleteखून के रिश्ते बने पानी ..
ReplyDeleteसभी हायकू यथार्थ में दर्द की अनुभूति दे रहे हैं १
बेहतरीन!
रात का दर्द
ReplyDeleteसमझा है किसने
देखी है ओस?
sabhi sundar hai ....
सभी बहुत सुन्दर है..शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं
ReplyDeleteएक से बढ़ कर एक सुन्दर हाइकु - जीवन ...
ReplyDeleteरात का दर्द
ReplyDeleteसमझा है किसने
देखी है ओस?......शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं
bahut sundar .....
ReplyDeleteन जाने कब
ReplyDeleteफिसली थी उंगली
यादें ही बची.
एहसासों की हाइकु भीड़ से यह मेरे हाथों में आ गया ....
Triveni.,.bahoot sundar bhav:)
ReplyDeletebehtareen haikoo sharma ji
ReplyDeleteआभार...
ReplyDeleteओस की तरह रात के एकान्त में पड़े रहना...गहरा..
ReplyDeleteदिल का दर्द
ReplyDeleteदबाया था बहुत
छलकी आँखें.
सभी हाइकू अर्थ समेटे हुए अच्छे लगे बधाई
Haeku ka kya matlae he krupya kareke samjae dayevad
ReplyDeleteहाइकु जापानी साहित्य की एक विधा है. संक्षिप्त में कहा जाये तो हाइकु १७ अक्षर की एक छोटी कविता है जिसकी पहली और तीसरी पंक्ति में ५ और दूसरी पंक्ति में ७ अक्षर होते हैं. संयुक्त अक्षर को १ अक्षर माना जाता है.
Deletevery nice.....
ReplyDeleteवाह! क्या बात है!!
ReplyDeleteकृपया इसे भी देखें-
जमाने के नख़रे उठाया करो!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 06-09 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....इस मन का पागलपन देखूँ .
आभार...
Deleteखून के रिश्ते
ReplyDeleteबन गये हैं पानी
बहे आँखों से.
Bahut Sunder Haiku.....
बहुत अच्छे हाइकू |आभार
ReplyDeleteरात का दर्द
ReplyDeleteसमझा है किसने
देखी है ओस?
बहुत सुन्दर हाईकू ! सागर में गागर की तरह ! आभार !
खून के रिश्ते
ReplyDeleteबन गये हैं पानी
बहे आँखों से.........बहुत सुन्दर हाईकू !
सभी हाइकु लाजवाब .हैं पर पहला वाला सबसे ज्यादा पसंद आया
ReplyDeleteरात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?
....इतनी बढ़िया रचनाओं के लिए ...साभार !!!!
सभी हाइकु बहुत प्रभावी है शर्मा जी !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteबेहतरीन हाइकु
:-)
sabhi acche hain...
ReplyDeleteye sabse jyada pasand aaya
खून के रिश्ते
बन गये हैं पानी
बहे आँखों से.
सभी एक से बढ़कर एक ...हाइकू ...आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए
ReplyDeleteन जाने कब
ReplyDeleteफिसली थी उंगली
यादें ही बची.
BAHUT HI SUNDAR
jeevan ka dard samete sundar hayku..
ReplyDeleteबहुत सूंदर
ReplyDeleteलिखे हैं
तोड़ तोड़ !
ReplyDeleteजीवन दर्शन
कराते है
सुंदर हाइकू ।
kailash जी बहुत ही sundar rachnayein....
ReplyDeleteखून के रिश्ते
ReplyDeleteबन गये हैं पानी
बहे आँखों से.
मार्मिक...सभी हाइकू बहुत अर्थवान हैं...
बहुत सुन्दर हैं सभी।
ReplyDeleteBahut hi khoobsurat Sir :)
ReplyDeleteसभी हाइकू .. बहुत लाजवाब गहरा अर्थ समेटे ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
जीवन राह
ReplyDeleteबहुत है कठिन
जीना फिर भी.
यथार्थ को शब्दों में सुंदरता के साथ पिरोया है आपने।
अति उत्तम हाइकु..
ReplyDeleteअपने आप में अर्थपूर्ण हाइकू
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु लेखन शर्मा जी न जाने कब
ReplyDeleteफिसली थी उंगली
यादें ही बची.